गोरखपुर (ब्यूरो)। बदलाव के मुताबिक अब कोई भी प्रोफेसर एक सत्र में अपने शोध निर्देश के लिए तीन से अधिक विद्यार्थियों का पंजीकरण नहीं कर सकेगा। चाहे उसके कोटे में कितनी खाली सीटें हों। इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसर के लिए दो और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए एक शोधार्थी के पंजीकरण की बाध्यता होगी। यह नया नियम सत्र 2023-24 के लिए आयोजित पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया से ही लागू हो जाएगा।
नियम के अनुसार एक प्रोफेसर एक बार में नौ, एसोसिएट प्रोफेसर छह और असिस्टेंट प्रोफेसर चार शोधार्थी को शोध करा सकता था। अब तक के नियम के अनुसार अपने कोटे की सभी खाली सीटों पर इन शिक्षकों को एक बार में शोधार्थियों का पंजीकरण कराने का अधिकार था। इससे कई बार ऐसे शोधाथियों का पंजीकरण भी हो जाता था, जिनके शोध गुणवत्ता के मानक पर खरे नहीं उतरते थे। नई व्यवस्था से अब शिक्षकों को ज्यादा योग्य शोधार्थी मिलेंगे। इससे शोध की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। हालांकि सभी शिक्षकों के लिए सह-निर्देशक बनने का विकल्प अलग से खुला होगा। इसके लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। यह व्यवस्था पहली बार शोध निर्देशक बनने का अधिकार पाए महाविद्यालयों के शिक्षकों पर भी लागू होगी।
अप्रैल के अंत तक शुरू होगी पंजीकरण प्रक्रिया
विश्वविद्यालय की ओर से 2023 में आयोजित की गई पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया रद कर दी गई है। नए शोध अध्यादेश के मानक पर इसका आयोजन नए सिरे से किया जाएगा। इसके लिए पंजीकरण अप्रैल के अंत तक शुरू हो सकता है। इसमें बीते वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों को फिर से पंजीकरण कराना होगा। उन्हें पंजीकरण फीस नहीं लिया जाएगा। शोध प्रवेश परीक्षा के लिए आयोजन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने विभागों और कालेजों से खाली सीटों का ब्यौरा मांगा है।
यूनिवर्सिटी में नया शोध अध्यादेश लागू हो गया है। नए शोध अध्यादेश में शोध की गुणवत्ता बढ़ाने पर विशेष जोर है। शोध गुणवत्ता को ध्यान में रखकर ही एक बार में शोध पंजीयन की संख्या को समिति रखने का निर्णय लिया गया है। अब एक सत्र में प्रोफेसर अधिकतम तीन, एसोसिएट प्रोफेसर अधिकतम दो और असिस्टेंट प्रोफेसर अधिकतम एक शोधार्थी का पंजीकरण ही करा सकेंगे।
प्रो.पूनम टंडन, वीसी, डीडीयूजीयू