गोरखपुर: यहां एक्सपर्ट मौत की गुत्थी को वैज्ञानिक आधार पर सुलझा कर अपराध की तह तक पहुंचने में पुलिस एवं ज्यूडिसरी की मदद करेंगे। मंजूरी के लिए एम्स की ओर से प्रदेश सरकार के गृह मंत्रालय को पत्र लिखा गया है।

शवों के लिए बनेगा रैक


एम्स का मोर्चरी हाउस पूरी तरह एसी युक्त होगा। यहां शवों को रखने के लिए विशेष कोल्डरूम होगा। कमरे का तापमान दो से चार डिग्री सेल्सियस के बीच रखा जाएगा। कोल्डरूम में शवों को रखने के लिए रैक बनाया जा रहा है, जिसकी पहले चरण में संख्या 24 होगी। बाद में इसकी संख्या 50 तक की जा सकेगी। पोस्टमार्टम विभाग गृह मंत्रालय के तहत काम करता है। इसकी मंजूरी के लिए एम्स द्वारा बीते 26 जुलाई को गृह मंत्रालय को पत्र भेजा गया है।

समझने में मददगार


फोरेंसिंक मेडिसिन का संबंध पुलिस एवं ज्यूडिसरी से काफी नजदीकी होता है, जिससे विवेचक को असल अपराधी तक पहुंचने में मदद मिलती है। साथ ही ज्यूडिसरी को न्याय को परिभाषित करना आसान हो जाता है। ऐसे में विभाग का कहना है कि अगर संबंधित पक्ष से बयान आया तो एम्स फोरेंसिक मेडिसिन विभाग पुलिस एवं ज्यूडिसरी प्रशिक्षित करने में पीछे नहीं रहेगा। एम्स पोस्टमार्टम हाउस में शव विच्छेदन प्रक्रिया एमबीबीएस एवं पीजी के लिए अपराध विज्ञान को नजदीक से समझने में मददगार साबित होगा।

मर्चरी हाउस तैयार


एम्स में पोस्टमार्टम के बाद शव को बचाने के लिए इंवाल्मिंग (शवलेपन की सुविधा उपलब्ध है। यह सुविधा एनॉटमी विभाग द्वारा प्रदान किया जाएगा। इसके एवज में पार्टी को शुल्क देना होगा। मौत के असल कारणों को फोरेंसिक मेडिसिन के डॉक्टर ही बताते हैं। अक्सर देखा गया है कि हत्या, जहरखुरानी, फांसी लगाने जैसी घटनाओं के विवेचक भी मामलों में एक्सपर्ट ओपीनियन लेने के लिए एम्स फोरेंसिक मेडिसिन विभाग ही आते हैं।

मिलती है सार्थक मदद


एम्स में उन्हें सार्थक मदद मिलती है। वर्तमान में फोरेंसिक विभाग का प्रभार अध्यक्ष डॉ। मनोज भाऊसाहेब, डॉ। आशीष सराफ, डॉ। नवनीत, यशवंत कुमार सिंह संभाल रहे हैं। लेकिन इतने दिन बितने के बाद भी न एम्स में पोस्टमार्टम हाउस शुरू हुआ न ही फोरेंसिक काम।

काम तेजी से चल रहा है। उम्मीद है कि दिसंबर माह से सभी प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
डॉ। अरूप मोहंती, मीडिया प्रभारी, एम्स