गोरखपुर (ब्यूरो) Pitru Paksha 2024: पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से 15 दिन पितृपक्ष मनाया जाता है। इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं और उनकी पुण्यतिथि पर श्राद्ध करते हैं। पितरों का ऋण श्राद्ध के माध्यम से चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास, तिथि में स्वर्गवासी हुए अपने पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है।

ऐसे करें श्राद्ध तर्पण


ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, सुबह स्नान के बाद पितरों का तर्पण करने के लिए सबसे पहले हाथ में कुश लेकर दोनों हाथों को जोड़कर पितरों का ध्यान करें और उन्हें अपनी पूजा स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करें। पितरों को तर्पण में जल, तिल और फूल अर्पित करें। इसके साथ ही जिस दिन पितरों की मृत्यु हुई है, उस दिन अपनी श्रद्धा अनुसार भोजन बनवाकर ब्राह्मणों को दान करें। कौवा और कुत्ता में भी भोजन वितरित करें।

पितृपक्ष के मुख्य दिन


ज्योतिषाचार्य मनीष मोहन के अनसार, चौथ भरणी या भरणी पंचमी- गतवर्ष जिनकी मृत्यु हुई है, उनका श्राद्ध इस तिथि पर होता है। मातृनवमी-अपने पति के जीवन काल में मरने वाली स्त्री का श्राद्ध इस तिथि पर किया जाता है। घात चतुर्दशी- युद्ध में या किसी तरह मारे गए व्यक्तियों का श्राद्ध इस तिथि पर किया जाता है। अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध होता है। नानी-नाना का श्राद्ध आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को होता है।

इस दिन पड़ेगी तिथि
- 17 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध
- 18 सितंबर प्रतिपदा श्राद्ध
- 19 सितंबर द्वितीया श्राद्ध
- 20 सितंबर तृतीया श्राद्ध
- 21 सितंबर चतुर्थी श्राद्ध
- 22 सितंबर पंचमी श्राद्ध
- 23 सितंबर षष्ठी श्राद्ध
- 24 सितंबर सप्तमी श्राद्ध
- 25 सितंबर अष्टमी श्राद्ध
- 26 सितंबर नवमी श्राद्ध
- 27 सितंबर दशमी श्राद्ध
- 28 सितंबर एकादशी श्राद्ध
- 29 सितंबर द्वादशी श्राद्ध
- 30 सितंबर त्रयोदशी श्राद्ध
- एक अक्टूबर चतुर्दशी श्राद्ध
- दो अक्टूबर को अमावस्या श्राद्ध