गोरखपुर (ब्यूरो)।ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में तो डॉक्टरों की लेटलतीफी जगजाहिर है। डॉक्टर के इंतजार में मरीज घंटों लाइन लगाकर बैठे रह रहे हैं। इलाज तो दूर पहले डॉक्टर को दिखाना ही ग्रामीणों को भारी पड़ रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने जिले में सीएचसी-पीएचसी की पड़ताल की तो तो स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली उजागर हो गई। हालांकि कई जगहों पर व्यवस्था दुरुस्त भी रही।

गगहा सीएचसी में दो घंटे लेट आए डॉक्टर

गगहा सीएचसी में ओपीडी का समय सुबह 10 बजे से शुरू होता है। मंगलवार को सीएचसी में नौ बजे से ही मरीजों की लंबी लाइन लग चुकी थी। 10 बजने पर लोगों को लगा कि डॉक्टर साहब आ रहे होंगे। काफी देर इंतजार के बाद जब कक्षा खाली रहा तो तीमारदारों ने पूछताछ शुरू की। स्टाफ ने जल्द आने का आश्वासन दिया लेकिन इसके बाद भी कक्ष खाली रहा। 12 बजे डॉ। अमित सिंह कक्ष में आए और मरीजों को देखना शुरू किया। सीएचसी प्रभारी डॉ। बृजेश कुमार ने बताया कि डॉ। अमित सिंह की गाड़ी खराब हो गई थी, इसकी वजह से उन्हें आने में देर हो गई। अस्पताल में रोजाना समय से मरीजों का इलाज किया जाता है।

गगहा सीएचीस में डॉक्टरों के देर से आने पर काफी परेशानी होती है। पर्ची जमाकर तीन घंटे से अस्पताल में डॉक्टर के इंतजार में बैठी रही।

कलावती, ग्रामीण

सुबह 10 बजे समय से गगहा सीएचसी में पहुंच गए थे। पता चला डॉक्टर ही नहीं आए हैं। 12 बजे डॉक्टर आए तो दिखाकर घर के लिए निकला।

महबूब अली, ग्रामीण

सहजनवां में फिजिशियन के इंतजार में लाइन लगाए रहे मरीज

सहजनवां एरिया में सीएचसी में डाक्टरों का अभाव है। डाक्टर न होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए जिला अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है। मंगलवार को टीम पहुंची तो पता चला कि सीएचसी पाली ठर्रापार महज दो डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है। जबकि इस सीएचसी पर रोज लगभग 200 की ओपीडी होती है। अधीक्षक कॅ। सतीश सिंह ने बताया की हॉस्पिटल पर डाक्टर की कमी है। इसके लिए पत्र भेजा गया है। सहजनवां सीएचसी पर एक बजे देखा गया कि फिजिशियन की कुर्सी खाली थी। मरीज ओपीडी के गेट पर उनका इंतजार कर रहे थे। इसके बारे में जब रिपोर्ट ने अधीक्षक ब्यास कुशवाहा से बात की गई तो पता चला की तीन माह से फिजिशियन छुट्टी पर है। इतना ही नहीं इस सीएचसी पर विगत दो वर्षो से किसी सर्जन की तैनाती ही नही है। जबकि सहजनवां सीएचसी हाइवे का सीएचसी है। यहां एक्सीडेंट के भी अधिकतर केस आते हैं। लेकिन डाक्टर न होने से अधिकतर उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।

कुछ देरी से सही मगर डॉक्टर आए

उरुवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुबह मरीजों की लंबी लाइन लगी थी। हालांकि कुछ मिनट की देरी पर प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ। जेपी तिवारी पहुंच गए। उन्होंने लाइन में लगे मरीजों को बारी-बारी से देखा।

सीएचसी चौरीचौरा में छह डॉक्टरों की तैनाती है। मंगलवार को मरीजों की लंबी लाइन लगी रही। इसमें एक डॉ। सत्येंद्र कुमार ओपीडी में नहीं रहे। बाकि अन्य डॉक्टर मरीजों के इलाज में जुटे रहे। प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ। आरपी सिंह ने बताया कि सभी डॉक्टर समय से मरीजों के इलाज के लिए पहुंचते हैं। कभी-कभार किसी कारणवश देरी हो जाती है।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरदारनगर में मरीजों की लाइन लगी रही। हालांकि डॉक्टर मौजूद रहे। प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ। हरिओम पांडेय ने बताया कि मरीजों की सेवा करने में कोई कोताही नहीं होती है।

पीपीगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ। मनौवर अंसारी मरीजों को एक-एक कर देखते मिले। डॉक्टर ने बताया कि सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक रोजाना ओपीडी में मरीजों को देखा जाता है। मरीज मनीष और अजय ने डॉक्टर की सराहना भी की।

पिपरौली सीएचसी में टीम पहुंची तो वहां प्रभारी डॉ। शिवानंद मिश्रा नहीं मिले। मोबाइल पर बात करने पर उन्होंने बताया कि नाइट ड्यूटी की वजह से वह नहीं आए हैं। बताया कि सीएचसी में कुल चार डॉक्टर हैं। इधर, सभी डॉक्टर कक्ष में मिले, जो आने वाले मरीजों का इलाज कर रहे थे।

सीएचसी गोला में टीम पहुंची तो वहां डॉ। योगेंद्र सिंह नहीं मिले। बताया गया कि उनकी नाइट ड्यूटी थी, इससे वह ड्यूटी पर नहीं हैं। कुल चार डॉक्टरों में एक डॉ। नीतू चंद्र जिला महिला अस्पताल में गई थंीं। अन्य डॉक्टर मौजूद रहे, जो मरीजों का इलाज कर रहे थे।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खजनी में डॉक्टर एखलाक अहमद अपने कक्ष में मरीजों का उपचार करते हुए मिले। इसके अलावा अन्य डॉक्टर भी मौजूद मिले। डॉ। एखलाक अहमद ने बताया कि 125 गांव के लोगों इलाज पीएचसी में होता है। यहां दो डॉक्टरों की तैनाती है, समय से मरीज देखे जाते हैं।

सीएचसी हो या पीएचसी, सभी जगह डॉक्टरों को समय से बैठने के निर्देश दिए गए हैं। अगर कहीं कोई लापरवाही मिलती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

- आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ