गोरखपुर (ब्यूरो) बसों में नहीं है अग्निशमन यंत्र, जिनमें मौजूद उसमें भी एक्सपायर हो चुके हैं
किसी का भी सामान नहीं बच सका। गोरखपुर जिले में भी चल रही बसें किसी ज्वालामुखी से कम नहीं हैं। प्राइवेट बसें हो या परिवहन निगम की बसें, अगर कहीं पर भी आग लगी तो लोगों का बचना मुश्किल हो जाएगा। इन बसों में न तो अग्निशमन यंत्र हैं और न ही सुरक्षा के दूसरे इंतजाम। ऐसे में यह बसें बिना जांच के दौड़ कैसे रहीं हैं, यह व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल है।
जनरथ बसों की जांच
गोरखपुर से चलने वाली ज्यादातर प्राइवेट बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं लगे हैं। वहीं परिवहन निगम की एसी बसों में अग्निशमन यंत्र की जगह तो निर्धारित है, लेकिन इसमें अधिकतर गाडिय़ों में या तो सिलेंडर नहीं हैं, जिसमें लगे भी हैं, वह भी एक्सपायर हो चुके हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम के बसों का रियलिटी चेक किया तो हकीकत सामने आई। टीम ने गोरखपुर बस स्टेशन के तीन जनरथ एसी बसों को चेक किया। इसमें अग्निशमन सिलेंडर तो मिले, लेकिन एक 2019 में ही एक्सपायर हो चुका था। वहीं दो बसों की एक्सपायर डेट तक दर्ज नहीं थी। ऐसे में अगर यात्रा के दौरान बस में आग लग जाए तो जान पर खतरा आ सकता है।
अग्निशमन यंत्र की जरूरत नहीं
मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सभी चार पहिया या बड़े वाहनों में अग्निशमन यंत्र होना आवश्यक है। मगर गोरखपुर से खुलने वाली बसों में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। प्राइवेट बसों में व्यवस्था नदारद है। नौसढ़ से लखनऊ के रास्ते दिल्ली जाने वाली बस में बैठे कंडक्टर से रिपोर्टर ने जब सवाल किया तो कंडक्टर ने कहा कि ये बस डीलक्स है। इसमें अग्निशमन यंत्र की आवश्यकता नहीं है। गोरखपुर बस स्टेशन से लखनऊ जाने वाली जनरथ एसी बस के कंडक्टर अशोक पांडेय ने कहा कि वर्कशाप से ही बस फिट निकलती है। अग्निशमन यंत्र का डेट एक्सपायर है तो इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है।
जनरथ एसी बस का अग्निशमन यंत्र एक्सपायर
यूपी 53 डीटी 4744
यूपी 53 डीटी 4772
यूपी 32 एनएन 0839
प्राइवेट बसों में नहीं मिला अग्निशमन यंत्र
आरजे 18 पीबी 1677
आरजे 18 पीबी 3124
ताख पर नियम -
परिवहन सुविधा को लेकर अक्सर नए-नए सुझाव और आदेश देते रहते हैं, मगर यात्री अग्निशमन यंत्र पर ध्यान नहीं गया है। ड्राइविंग लाइसेंस, बीमा, ओवर लोडिंग सहित अन्य मानकों पर अभियान के तहत चालान होता है। मगर अग्निशमन यंत्र को संबंधित अधिकारी भी नजरअंदाज कर देते हैं। जिस वजह से एक बस में सवार करीब 40 से 50 पैंसेंजर्स की जान हथेली पर रहती है। जिम्मेदार अफसर इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं। जबकि आरटीओ ने कई नियम बनाए हैं। इसमें समय-समय पर बसों के फिटनेस टेस्ट के साथ इसके संचालन की अवधि भी तय कर दी गई है, लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण बस संचालक नियमों को ताक पर रखकर बसें चला रहे हैं।
केस 1- 11 दिसंबर 2022 को रोडवेज की बस कानपुर से लखनऊ जा रही थी। चलती बस में आग लग गई। बस में करीब दर्जन भर पैसेंजर्स सवार थे। स्थानीय लोगों की मदद से पैसेंजर्स को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
केस 2-7 नवंबर 2022 हाथरस में एक चलती रोडवेज की बस में आग लग गई। आग लगने के बाद अफरा-तफरी मच गई। यह बस दिल्ली से आनंद बिहार के लिए जा रही थी। हादसे के दौरान पैसेंजर्स बस के अंदर से कूद कर जान बचाई।
इस बारे में सख्ती के आदेश जारी किए जा रहे हैं। आग बुझाने वाले यंत्रों को लगाना अनिवार्य है। इसे सख्ती से लागू किया जाएगा। बसों की हर समय फिटनेस करवाई जाती है और संचालक को नियमों का पालन करने के लिए कहा जाता है। बसों में यदि अग्निशमन यंत्र नहीं है तो इसकी जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी।
- अरुण कुमार, एआरटीओ प्रशासन गोरखपुर
वर्कशॉप से निकलने वाली प्रत्येक बस की फिटनेस जांचने के साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि अग्निशमन यंत्र और टायरों की जांच कर लें। तभी उन्हें वर्कशॉप से निकालें। अनफिट बसों को सड़क पर ना उतारे। अगर बसों के अग्निशमन यंत्र एक्सायर है तो उसकी जांच कराई जाएगी।
- लव कुमार सिंह, आरएम गोरखपुर रीजन