गोरखपुर (ब्यूरो)।जबकि सभी स्टॉलों पर बेबी फूड रखना अनिवार्य है। वहीं, कैटरिंग डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी है कि वह प्रत्येक स्टॉल पर इसका निरीक्षण कराकर बेबी फूड रखवाएं। लेकिन उदासीन रवैये के कारण बेबी फूड पर फोकस नहीं है।

तत्कालीन मंत्री ने किया था एलान

बता दें, तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 2016-17 के रेल बजट में स्टेशनों पर बेबी फूड रखने की सुविधा का एलान किया था। एलान के कुछ महीने बाद ही रेलवे स्टेशनों पर जोनल रेलवे, भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) के स्टॉलों पर अनिवार्य रूप से बेबी फूड उपलब्ध कराने का आदेश जारी हुआ था। वहीं, इस आदेश के बाद स्टेशन के स्टालों पर बेबी फूड रखे भी गए, महिलाएं अपने बच्चों को बेबी फूड को आसानी से लेकर उन्हें पिला लेती थी। लेकिन रेलवे स्टेशन के ज्यादातर स्टालों पर बेबी फूड नहीं है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक से नौ तक पूर्वोत्तर रेलवे के 19, ठेकेदार के 40 व आईआरसीटीसी के 3 फूड स्टाल लगाए गए हैैं। सभी पर बेबी फूड भी रखना है, लेकिन पूर्वोत्तर रेलवे के कुछ स्टालों पर छोड़, ठेकेदार व आईआरसीटीसी के स्टालों पर बेबी फूड नदारद हैं।

एक्सपायर होने के डर से नहीं रखते

वहीं रेलवे के कामर्शियल विभाग की जिम्मेदारी होती है कि वह सभी स्टाल की निगरानी करता है। लेकिन अधिकारियों को दिखाने के लिए स्टाल संचालकों द्वारा बेबी फूड रख लिए जाते हैैं, लेकिन एक्सपायर होने के डर से उसे स्टाल संचालक रखना नहीं चाहते हैैं। एक स्टॉल संचालक ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि लैक्टोजेन, प्रोटीनेक्स, पाउडर दूध के पैकेट रखने के लिए रख लिया था। लेकिन कस्टमर नहीं आने से वह एक्सपायर हो गया। दूध चूंकि कच्चा आइटम होता है, वह खराब जल्दी हो जाते हैैं। इसलिए दुकानदारों को घाटे का सौदा होता है। लेकिन कस्टमर के डिमांड पर उसे ख्ररीदकर देने का पूरा प्रयास किया जाता है।

क्या है नियम

स्टेशन के सभी स्टॉल संचालकों को ङ्क्षहदी व अंग्रेजी भाषा में बड़े अक्षरों में लिखकर चस्पा करना होता है। बेबी फूड यहां उपलब्ध है। जिससे जरूरत मंद यात्री आसानी से खरीद लें, रेलवे ने कोल्ड ङ्क्षड्रक स्टॉल, अमूल स्टॉल, टी स्टॉल में अनिवार्य रूप से बेबी फूड एमआरपी में बेचने का आदेश है। नहीं रखने वाले स्टॉल संचालक को रेलवे दो से पांच हजार रुपए तक जुर्माना लगा सकती है।

केस 1 ट्विट साइन के साथ

कैटरिंग डिपार्टमेंट की मानें तो कटरा-कामाख्या एक्सप्रेस (5655) ट्रेन के स्लीपर कोच के एस-9 में 35 व 38 बर्थ पर पैसेंजर की तरफ से ट्विट कर मदद मांगी गई थी। उसके डिमांड पर दूध खरीदकर कैटरिंग डिपार्टमेंट की तरफ से दूध पहुंचाया गया था।

केस 2

लुधियाना जाने के लिए सर्वेश दुबे खड़े थे। उनका 9 महीने का बच्चा रो रहा था। उन्होंने प्लेटफार्म 7 से 9 नंबर तक स्टाल पर बेबी फूड ढूंढा, लेकिन उन्हें दूध नहीं मिला। स्टॉल संचालकों से पूछा तो भी किसी ने नहीं दिया। वह स्टेशन के बाहर आकर पैकेट का दूध खरीदकर ले गए। इसकी शिकायत यात्री मित्र कार्यालय में दर्ज कराई।

स्टेशन के सभी स्टॉल पर बेबी फूड रखना अनिवार्य है। जो नहीं रखे हैैं, उन स्टालों पर चेकिंग कराई जाएगी। उन पर जुर्माना लगाया जाएगा।

पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे