गोरखपुर (ब्यूरो)।उसकी रीढ़ की हड्डी की नसें गुच्छा बनकर रीढ़ से बाहर आ गई थी, जिसकी वजह से कमर पर एक किलोग्राम की गांठ हो गई थी। साथ ही नसें रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से सट गई थीं। उसके पैरों में ताकत व संवेदना खत्म हो गई थी। चल नहीं पाती थी और चोट लगने पर उसे पता नहीं चलता था। ऑपरेशन के बाद बच्ची अब स्वस्थ है। धीरे-धीरे उसके पैरों में ताकत लौट रही है।
खर्च 4.50 लाख, सिर्फ 40 हजार में ऑपरेशन
परिजनों ने कई जगह उपचार कराया, लेकिन आराम नहीं मिला। ऑपरेशन के लिए कोई डॉक्टर तैयार नहीं होता था। वे बच्ची को लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक पहुंचे। न्यूरो सर्जन डॉ। नवनीत काला ने जांच की तो बीमारी व उसकी जटिलता पता चली। ऑपरेशन जटिल था और लाभ होने की संभावना बहुत ज्यादा नहीं थी, लेकिन परिजन की सहमति लेकर उन्होंने अपनी टीम के साथ ऑपरेशन किया, जो पांच घंटे चला। डॉ। नवनीत काला ने बताया कि यह बीमारी बहुत जटिल है और एक लाख बच्चों में किसी एक को होती है। इसके पहले उन्होंने इस तरह का ऑपरेशन किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ में किया था। बीआरडी में यह अपनी तरह का पहला ऑपरेशन था। निजी अस्पतालों में इस आपरेशन में लगभग 4.50 लाख रुपए खर्च होते हैं। यहां उसका इलाज मात्र 40 हजार रुपए में हो गया।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अब कई सुविधाएं बढ़ गई हैं। सुपर स्पेशियलिटी में जटिल ऑपरेशन होने लगे हैं। गंभीर पेशेंट्स को अब लखनऊ या दिल्ली जाने की जरूरत नहीं है। उनका यहीं इलाज हो जाएगा।
डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज