गोरखपुऱ (ब्यूरो)। कमेटी की आरंभिक रिपोर्ट में माना गया है कि छात्रा का यौन उत्पीडऩ प्रशासनिक अफसर के केबिन में हुआ था, इसलिए आरोपी अफसर की प्रतिनियुक्ति को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। कमेटी की रिपोर्ट का संदर्भ देते हुए एम्स प्रशासन की तरफ से एक रिपोर्ट भी आरोपी अफसर के मूल विभाग कैबिनेट सचिवालय भारत सरकार को भेजी गई है। इसके अलावा पूरे मामले में कानूनी कार्रवाई के लिए किसी सीनियर अधिवक्त से सलाह लेने का निर्णय भी लिया गया है। भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो, इसके लिए हॉस्टल मैनेजमेंट का कमेटी का गठन किया गया है। इसके अलावा अधिष्ठाता छात्र मामले की नियुक्ति की गई है।

सात जनवरी को हुई थी भर्ती

सात जनवरी को परिसर में रहने वाली एमबीबीएस की छात्रा को गंभीर हालत में मानसिक रोग विभाग में भर्ती कराया गया था। महिला काउंसलर ने काउंसिलिंग की तो छात्रा ने एम्स के प्रशासनिक अफसर पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया। इसकी जानकारी तत्काल कार्यकारी निदेशक डॉ। जीके पॉल को दी गई। छात्रा की हालत ठीक होने पर कार्यकारी निदेशक उससे मिलने पहंचे तो उसने अपने आरोपों को फिर दोहराया। इसके बाद कोर कमेटी की बैठक में छात्रा को पूरी सुरक्षा देने और आरोपी अफसर के परिसर में प्रवेश पर पाबंदी लगाते हुए विशाखा कमेटी को जांच का जिम्मा सौंपा गया।

ईडी ने दी कार्रवाई की जानकारी

शनिवार को कमेटी ने अपनी जांच के निष्कर्ष की जानकारी कार्यकारी निदेशक को दी। कार्यकारी निदेशक ने इस रिपोर्ट से एम्स की गवर्निंग बॉडी के प्रेसिडेंट देश दीपक वर्मा को अवगत कराया। देर शाम कार्यकारी निदेशक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले में अब तक हुई कार्रवाई की जानकारी देते हुए कहा कि आरंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि घटना कार्यालय परिसर में ही हुई है। इसलिए यह अत्यंत ही गंभीर प्रकृति का है। आरोपी अफसर यहां प्रतिनियुक्ति पर आए थे। उनकी प्रतिनियुक्ति को समाप्त करते हुए उनके मूल विभाग को पूरे घटनाक्रम से लिखित रूप से अवगत कराया गया है। पीडि़ता के भविष्य को देखते हुए अभी इस मामले में सीधे कानूनी कार्रवाई के बजाय विशेषज्ञों से विधिक सलाह ली जा रही है।