गोरखपुर (ब्यूरो)।वह भी तब जब पब्लिक की सुविधाओं का ख्याल रखने के लिए तमाम प्रोजेक्ट्स पर शासन का आदेश आ चुका हैैं, लेकिन प्रशासनिक हीलाहवाली के चलते वह किसी ठोस नतीजे पर पहुंचते हुए नजर नहीं आ रहे हैैं। यही वजह है कि गोरखपुर के विकास और वैभव से जुड़े 4 कार्यों पर अफसर निर्णय नहीं ले सके और सिर्फ तारीख पर तारीख दी जा रही हैं।

जिलास्तरीय इंवेस्टर्स समिट की डेट फाइनल नहीं

10 से 12 फरवरी तक लखनऊ में होने वाली ग्लोबल इवेंस्टर्स समिट-2023 के पहले हर जिले में इंवेस्टर्स समिट होनी हैं। अब तक जिला प्रशासन डेट डिसाइड नहीं कर सका है। जबकि शासन के 20 जनवरी से पहले जिलास्तरीय इंवेस्टर्स समिट कराने के निर्देश हैं। गोरखपुर लेवल पर होने वाली जिलास्तरीय इंवेस्टर्स समिट के लिए लक्ष्य 42 हजार करोड़ से बढ़कर 64,500 करोड़ कर दिया गया है। गीडा को 60,000 करोड़ रुपए का टारगेट दिया गया है। वहीं, उद्योग विभाग को 2000 करोड़ के इंवेस्ट का टारगेट है। टारगेट को लेकर गीडा सीईओ, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के अफसर निवेशकों को इंवेस्टर्स समिट-2023 में निवेश कराने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

एक नजर में टारगेट और आए निवेश प्रस्ताव

डिपार्टमेंट - ओल्ड टारगेट - न्यू टारगेट - अब तक आए प्रस्ताव

गीडा - 40 हजार करोड़ - 60 हजार करोड़ - 6500 करोड़

हथकरघा -2 हजार करोड़ - 3 हजार करोड़ - 1271 करोड़

उद्योग केंद्र - 1 हजार करोड़ - 1500 करोड़ - 1 हजार करोड़

कब मनाएंगे गोरखपुर का जन्मदिवस, कुछ तय नहीं

प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने शासनादेश जारी कर करते हुए सभी डीएम व नगर आयुक्त को निर्देश जारी किया था कि शहरों के स्थापना दिवस को जन्म दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाए। इसमें शहर के इतिहास, संस्कृति व सभ्यता के प्रति लोगों के अंदर गौरव की अनुभूति जागृत करने और विशिष्ट पहचान सुनिश्चित कराने का मौका दिया जाएगा, नगर आयुक्त अविनाश कुमार तीन बार जन्म दिवस मनाए जाने को लेकर मीटिंग कर चुके हैैं। लेकिन अब तक जन्म दिवस की डेट फाइनल नहीं हो सका है। जबकि प्रबुद्ध वर्ग से इसके लिए लगातार संपर्क भी साधा गया। लेकिन निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सके हैैं।

(सन 1801 में गोरखपुर जिले की स्थापना हुई थी। गोरखपुर का इतिहास लगभग 2600 साल पुराना है। गोरखपुर का नाम आठ बार बदला गया। इतिहासकारों के अनुसार गोरखपुर का नाम कभी रामग्राम था.)

कलर कोड के साथ तय रूट पर नहीं चल सके ई-रिक्शा

सिटी में लगने वाले जाम से गोरखपुराइट्स को निजात दिलाने के लिए हर रूट का अलग-अलग कलर (रंग) और कोड लागू किया जाना था। इसके लिए कमिश्नर रवि कुमार एनजी की अध्यक्षता में आरटीए की बैठक में इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया भी गया। डीआईजी के प्रस्ताव पर एसडीएम (नगर), एसपी ट्रैफिक एवं संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) की संयुक्त समिति को रिपोर्ट भी देना था। उसी के आधार पर कार्रवाई की जानी थी, लेकिन अब तक अब तक ई-रिक्शा के 19 निर्धारित रूट्स पर संचालन को लेकर कोई कलर कोड लागू नहीं किया जा सका है। जबकि दिसंबर 2022 में ही इसे लागू किए जाने की बात कही गई थी।

(19 रूट पर 890 ई-रिक्शा को कलर कोड सिस्टम से चलाने की तैयारी थी। ई-रिक्शा 4 सवारी से ज्यादा नहीं बैठा सकते, चौराहे से 50 मीटर आगे-पीछे ई-रिक्शा नहीं खड़े किए जाने थे, लेकिन फिलहाल पूरी व्यवस्था चौपट है.)

हरी झंडी के लिए खड़ी भारत-नेपाल बस सेवा

गोरखपुर से काठमांडू रोडवेज बस सेवा के लिए पैसेंजर इंतजार करते रह गए, लेकिन 2022 बीत गया, लेकिन अब तक हरी झंडी जिम्मेदार नहीं दिखा सके। जबकि गोरखपुर-काठमांडू बस सेवा के लिए राप्तीनगर डिपो की एसी जनरथ बस का चयन भी किया जा चुका है। गोरखपुर बस स्टेशन परिसर में टिकट के लिए काउंटर की व्यवस्था कर दी गई है। प्रति व्यक्ति किराया 1,005 रुपए तय है। बस गोरखपुर से शाम चार बजे रवाना होगी और शाम छह बजे सोनौली पहुंचेगी। यहां 15 मिनट विश्राम के बाद फिर काठमांडू के लिए प्रस्थान करेगी, जो 13 घंटे का समय लेते हुए अगले दिन सुबह पांच बजे काठमांडू पहुंचेगी। बसों की सफाई-धुलाई और रखरखाव स्थानीय कार्यशाला में ही होगा। क्षेत्रीय प्रबंधक पीके तिवारी का दावा रहता है कि बहुत जल्द संचालन होगा। लेकिन डेट अब तक डिसाइड नहीं हो सकी है।

(1005 रुपए किराये में बस गोरखपुर से नेपाल तक पैंसेजर्स को 13 घंटे में पहुंचाएगी.)