गोरखपुर (ब्यूरो)। उसी आधार पर अब स्कूलों में पढ़ाई होगी। किसी ने क्लास एक से एप्टीट्यूड टेस्ट को शामिल किया है तो किसी ने छोटी कक्षाओं में टेस्ट की व्यवस्था को खत्म कर दिया है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को रटने की आदत से बचाना है।
सिलेबस समझाने का लक्ष्य
गौरतलब है कि स्टूडेंट्स को रटने की आदत से बचाने और पूरा सिलेबस समझाने के उद्देश्य से बोर्ड ने 12वीं के एग्जाम पैटर्न में बदलाव किया था। बोर्ड ने क्रिटिकल एनालिसिस पर जोर देते हुए ऐसे सवालों की संख्या बढ़ाई जिससे स्टूडेंट्स को रटे रटाए जवाब देने की जगह सिलेबस को समझकर एग्जाम देना पड़ा। जिन स्टूडेंट्स ने सिलेबस ठीक से समझा और पढ़ा था, उन्हें काफी अच्छे माक्र्स भी मिले हैं।
इसी सेशन से किया गया लागू
बोर्ड के इस बदले पैटर्न को स्कूलों ने क्लास एक से ही अपना लिया है। अब क्लास एक से ही क्रिटिकल एनालिसिस पर आधारित सवाल शुरू करने की तैयारी है। स्कूलों का मानना है कि इससे स्टूडेंट्स के रटकर जवाब देने की आदत खत्म होगी।
क्लास परफार्मेंस के आधार पर माक्र्स
न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अनुसार, छोटी क्लास के बच्चों के लिए टेस्ट प्रक्रिया को खत्म किया गया है। अब स्टूडेंट्स को पूरे साल क्लास की परफार्मेंस और वर्क के बेस पर माक्र्स दिए जाते हैं।
क्लास एक से ही बच्चों के रटने की आदत को खत्म कराने की कोशिश की जाएगी। एग्जाम में भी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने वाले सवाल अधिक पूछे जाएंगे।
अजय शाही, चेयरमैन आरपीएम समूह
बोर्ड एग्जाम के लिए बच्चों को पहली क्लास से ही तैयार किया जाएगा। न्यू पॉलिसी के तहत जो भी गाइडलाइन है, उसका पालन किया जाएगा।
राजीव गुप्ता, डायरेक्टर स्टेपिंग स्टोन स्कूल
पहले बच्चों को काफी रटना पड़ता था। न्यू एजुकेशन पॉलिसी में रटने की जगह क्रिटिकल एनालिसिस सवाल ज्यादा पूछ जा रहे हैं। ये बच्चों के हित में ही है।
राजकुमार श्रीवास्तव, प्रिंसिपल रैंपस
न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत जितनी भी स्कीम आ रही हैं उसे स्कूल में लागू किया जा रहा है। बच्चों को अब पहली क्लास से ही बोर्ड एग्जाम के लिए तैयार किया जाएगा।
रीमा श्रीवास्तव, प्रिंसिपल स्प्रिंगर लोटेरो