गोरखपुर: शासन ने डीटीआई में उपकरण लगाने की जिम्मेदारी मारुति कंपनी को सौंपी थी। अगस्त 2024 को कंपनी की देखरेख में उपकरण लगाए गए। सीसी कैमरे और सेंसर के लिए टेस्ट ट्रैक पर टावर का काम पहले ही पूरा हो चुका है। वहीं, भवन के भूतल पर प्रयोगशाला तैयार किया जा चुका है। हल्के व भारी वाहनों के अभ्यास के लिए दो कंप्यूटर कक्ष, प्रथम तल पर सेंटर हेड कक्ष, सर्विलांस कक्ष, सभागार, अभ्यर्थियों के लिए क्लास रूम ओर 100 लोगों के लिए आडिटोरियम तैयार है। सिस्टम तैयार होने के बाद इसे चालू करवाया जाना था, लेकिन आरटीओ के जिम्मेदार हर बार तारीख पर तारीख तय करते हैं, लेकिन संचालन की डेट फाइनल नहीं हो पाई है और ट्रैक पर लगा सिस्टम शो पीस बन कर रह गया है।
यह है दावा
डीटीआई में कोई भी व्यक्ति प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना लाइसेंस बनवा सकता है। प्रशिक्षण के लिए न्यूनतम एक माह की अवधि निर्धारित की गई है। प्रशिक्षण के साथ यातायात के नियमों की समुचित जानकारी भी दी जाएगी। निगरानी के लिए संभागीय निरीक्षक तैनात होंगे। उनकी देखरेख में ही प्रशिक्षण के बाद ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाएंगे। वर्तमान व्यवस्था भी यथावत चलती रहेगी। परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए बाहर के अभ्यर्थियों का टेस्ट भी कैमरे की निगरानी में ही होगा।
489.56 लाख खर्च कर चालक प्रशिक्षण सेंटर का निर्माण
डीटीआइ में प्रतिदिन 50 से 60 अभ्यर्थी टेस्ट देने पहुंचते हैं। चालक प्रशिक्षण केंद्र शुरू हो जाने से व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी और व्यवस्थित हो जाएगी। पूर्वांचल के युवाओं को कुशल चालक बनाने व मार्ग दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से शासन ने 489.56 लाख रुपये खर्च कर चालक प्रशिक्षण सेंटर का निर्माण कराया है। 15 अक्टूबर, 2020 को निर्माण कार्य पूरा हो गया था। जुलाई 2021 से ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित कार्य शुरू है।
- शासन स्तर पर शहीद बंधू सिंह चालक प्रशिक्षण सेंटर को संचालित करने के लिए टेंडर निकला गया है। कंपनी नामित होने के बाद संचालन शुरू कर दिया जाएगा। उम्मीद है कि एक माह के अंदर टेस्ट ट्रैक का संचालन शुरू हो जाएगा। प्रशिक्षण प्राप्त करना और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना और आसान हो जाएगा।
- अरुण कुमार, एआरटीओ प्रशासन गोरखपुर