गोरखपुर (ब्यूरो)।इसके लिए स्वच्छ राज्य मिशन की ओर से कई बिंदुओं पर निर्देश जारी किए गए हैं। नगर निगम का कहना है कि सख्ती का आशय यह है कि अगर घरों से कूड़ा अलग-अलग मिल जाएगा तो कर्मचारियों की मेहनत बचेगी, उनको छांटकर एमआरएफ सेंटर नहीं भेजना पड़ेगा। साथ ही कूड़े का सही से इस्तेमाल किया जाएगा। क्योंकि एक ही डिब्बे में कूड़े को रखने से काफी मात्रा में कूड़ा भी इस्तेमाल करने के लायक नहीं बचता है। अगर घरों से कूड़ा अलग कर लिया जाएगा तो शत-प्रतिशत इस्तेमाल हो सकेगा। कूड़े को कंपोस्ट और बायो सीएनजी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाएगा।

ये मिले हैं निर्देश

- वैसे घर जहां से घर से कूड़ा एकत्र किया जा रहा है, वहां अब अलग-अलग कूड़ा प्राप्त करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो 200 रुपये जुर्माना

- निर्माण व विध्वंस सामग्री सड़क पर मिलने पर 2000 रुपये का जुर्माने के प्रावधान

- पेड़ों की कटाई छंटाई के उपरांत उसके अवशेष सड़क पर मिलने पर 2000 हजार का जुर्माना

- जानवरों, पशु, पक्षियों के अवशेष सड़क पर मिले तो 750 रुपये का जुर्माना लगेगा

- होटल, रेस्टोरेंट आदि अगर कूड़ा का मैनेजमेंट नहीं करते हैं, या फिर अलग-अलग नगर निगम को नहीं देते हैं, उन पर 1000 हजार का जुर्माना

निगम का दावा- सभी जगहों पर डोर टू डोर कलेक्शन

नगर निगम का दावा है कि लगभग वार्डों में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन किया जा रहा है। जिन जगहों पर अभी कलेक्शन शुरू नहीं किया जा सका है, जल्द ही कवर कर लिया जाएगा। नगर निगम की ओर अभी कूड़ा कलेक्शन में 60 मैजिक के अलावा ट्राईसाइकिल, ठेले आदि लगाए गए हैं। वार्डों कर्मचारियों की ओर से उनके ठेले से अलग कूड़ा एकत्र किया जा रहा है। 100 और गाडिय़ों की व्यवस्था की जा रही है। दावा है कि घरों का कूड़ा सड़क पर नहीं आने दिया जाएगा। इससे शहर में गंदगी नहीं दिखेगी और शहर भी स्वच्छ दिखेगा।

चार मार्च से चलेगा अभियान

स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अफसर डॉ। मणिभूषण त्रिपाठी के अनुसार चार मार्च से जुर्माने की कार्रवाई शुरू की जाएगी। इसके पहले 10 तक अभियान चलाकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है। सभी लोग जागरूक हों, और अलग-अलग कूड़ा नगर निगम कर्मचारियों कों दें, यही अपील भी है। इससे शहर की सुंदरता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इसके साथ ही हम कूड़े का बेहतर इस्तेमाल भी कर सकते हैं। राज्य मिशन का निर्देश है कि चार मार्च के बाद जो भी चालान की कार्रवाई की जाए, उसकी जानकारी ई-मेल के जरिए निदेशालय को उपलब्ध कराई जाए।

हरा डस्टबिन- गीला कचरा

रसोई का कचरा, फल के छिलके, सड़े फल, सब्जी, बचा भोजन, अंडे के छिलके आदि

नीला डस्टबिन- सूखा कूड़ा

प्लास्टिक, बोतले, कागज कप, प्लेट, पैकेट अखबार, डिब्बे, बॉक्स, पुराने कपड़े डाला है। इसके अलावा बेकार कचरों की श्रेणी में आने वाले डायपर, सेनिटरी नैपकिन, पट्टियां, टिशू पेपर, रेजन, प्रयोग में लाई हुई सीरिंज, ब्लेड, स्लाइन की बोतलें आदि को कागज में लपेटकर सूखे कचरे वाले डस्टबिन में डालना है।

क्यों है जरूरी

गीला और सूखा कचरा अलग करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है, क्योकि यह पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में मदद करेगा। पर्यावरण को स्वस्थ भी रखेगा। इन अलग-अलग कचरे का दोबारा से उपयोग किया जा सकता है और विशेष रूप से प्लास्टिक कचरे को नए उत्पादों परिवर्तित किया जा सकता है।

सुथनी में प्लांट लगने पर सब कुछ दुरुस्त होने की आस

सहजनवां के सुथनी में बायो सीएनजी प्लांट लगाया जा रहा है। इस प्लांट में गीले कचरे से बायो सीएनजी बनाई जाएगी। इसकी बिक्री सीएनजी पंपों पर की जाएगी। प्लांट की क्षमता 200 टन की है। इसमें लिक्विड खाद का भी निर्माण होगा। इस पर 150 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। इस प्लांट के शुरू होने के बाद घरों से निकलने वाला कूड़ा सीधे प्लांट में चला जाएगा। घरों से कूड़ा अलग होने से इसमें देरी भी नहीं होगी। नगर निगम का कहना है कि अभी कूड़ों को एमआरफ सेंटर पर ले जाया जाता है। यहां से कूड़ों को अलग-अलग करके प्लांट में भेजा जाता है। सुथनी में प्लांट लगने के बाद से शहर पूरी तरह से कूड़ा मुक्त हो जाएगा।

डोर टू डोर कलेक्शन करने वालों को अब अलग-अलग कूड़ा करके लोगों को देना होगा। स्वच्छता के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी यह जरूरी है। सभी लोग इसमें अपना योगदान दें ताकि सुंदर, स्वच्छ और स्वस्थ शहर के रूप में गोरखपुर की पहचान बन सके। जुर्माने से पहले लोगों को अवेयर करने का प्रोग्राम चल रहा है।

- डॉ। मणिभूषण त्रिपाठी, नोडल अफसर, स्वच्छ भारत मिशन व सहायक नगर आयुक्त