गोरखपुर : अलग-अलग औद्योगिक इकाइयों के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित है। टोल प्लाजा के लिए सालाना शुल्क 50 हजार रुपये निर्धारित किया गया है। जबकि औद्योगिक इकाइयों के लिए उनकी प्रकृति के अनुसार पांच हजार से 50 हजार रुपये तक लाइसेंस शुल्क देना होगा। जिला पंचायत की ओर से इस उपविधि को लेकर एक महीने में आपत्ति भी मांगी गई है।


जिले में इंडस्ट्रियल एरिया, इंडस्ट्रियल एस्टेट एवं गीडा में अधिकतर औद्योगिक इकाइयां संचालित की जा रही हैं। गीडा में ही लगभग 900 इकाइयां हैं। जिला पंचायत की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में संचालित किसी औद्योगिक इकाई के पास यदि अन्य किसी निकाय या संस्था से अनुमति होगी, तब भी जिला पंचायत से लाइसेंस प्राप्त किए संचालन नहीं हो सकेगा। ग्रामीण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लघु उद्योग संचालित होते हैं। उद्योग विभाग में अधिकतर पंजीकृत भी हैं। कई औद्योगिक इकाइयां शासन की विकासपरक योजनाओं के जरिये मिली वित्तीय मदद के बाद स्थापित की गई हैं। जिला पंचायत की ओर से बनाई गई उपविधि के अनुसार ऐसी इकाइयों को भी लाइसेंस फीस देनी होगी। इसके लिए अपर मुख्य अधिकारी या उनके द्वारा अधिकृत कोई अन्य अधिकारी लाइसेंस अधिकारी होगा। अपर मुख्य अधिकारी वीके ङ्क्षसह के मुताबिक औद्योगिक इकाइयों के लिए लाइसेंस लेने को उपविधि बनाई गई है। इसको लेकर आपत्ति आमंत्रित की गई है।

वित्तीय वर्ष होगी लाइसेंस की अवधि


लाइसेंस की अवधि वित्तीय वर्ष तक होगी। एक अप्रैल से 31 मार्च तक लाइसेंस मान्य होगा। उसके बाद फिर नवीनीकरण कराना होगा। लाइसेंस फीस के लिए लगभग सभी तरह की इकाइयों को शामिल किया गया है।


पहले से होता है लाइसेंस


औद्योगिक इकाइयों के लिए किसी न किसी संस्था से लाइसेंस मिला होता है। गीडा का अपना नियम है। उस क्षेत्र में स्थापित होने वाली इकाइयों का मानचित्र वहीं से पास होता है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित होने वाली इकाइयों को उद्योग विभाग से अनुमति लेनी होती है। अब नए सिरे से लाइसेंस की व्यवस्था बनाए जाने के बाद हलचल मचने की उम्मीद है। इसी तरह टोल प्लाजा का लाइसेंस भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से जारी होता है।