गोरखपुर: डेंगू का वाहक मच्छर सिर्फ छोटे जलस्रोत के साफ पानी में ही पनपता है। साथ ही अगर किसी को बुखार हो तो वह बिना डॉक्टर्स को दिखाए दवा न खाए। ऐसा करने से कई बार डेंगू की पहचान नहीं हो पाती है और यह जानलेवा हो जाता है।
ठीक से करें सफाई
घर की छतों पर फेंके हुए गमले, टायर, पशु पक्षियों के भोजन के पात्र, नारियल की खोल, फ्र ज ट्रे, कूलर, ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के नाद आदि छोटे जलस्रोतों में बरसात का जो पानी जमा है उसे सड़क पर बहा देना चाहिए। ऐसा करने से लार्वा नष्ट हो जाएंगे। इस बार जब घरों की साफ सफाई की जाए तो छोटे जलस्रोतों को अवश्य साफ कर लें।
होता असहनीय दर्द
डेंगू में बुखार के साथ शरीर में तीव्र दर्द होता है और खासतौर से आंखों के पीछे असहनीय दर्द होता है। कई बार लोग अप्रशिक्षित व्यक्ति की सलाह पर और कई बार खुद दवा का सेवन कर अपने नियमित दौड़ भाग का कार्य जारी रखते हैं । सामान्य बुखार होने पर तो ऐसे लोगों को बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं होती, लेकिन अगर वह डेंगू बुखार से पीडि़त हैं तो जटिलताएं बढ़ जाती हैं और कई बार क्रिटिकल स्थिति हो जाती है। साथ ही अगर बिना परामर्श के दर्द निवारक खून पतला करने वाली दवाएं खा ली जाती हैं तो मरीज की स्थिति खराब होने की आशंका होती है। यही वजह है कि डॉक्टर के परामर्श और जांच के बाद ही बुखार की दवा खानी चाहिए। सभी सरकारी अस्पतालों पर जांच और इलाज की मुकम्मल व्यवस्था उपलब्ध है।
डोमेस्टिक ब्रीड चेकर्स
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि 40 डोमेस्टिक ब्रीड चेकर्स अगस्त माह से शहरी क्षेत्र के घरों पर जाकर मच्छरों के स्रोत नष्ट करवा रहे हैं। अब तक 2.22 लाख पात्रों को जलमुक्त किया जा चुका है। यह लोग 44509 घरों का भ्रमण कर पम्पलेट और लीफलेट्स के माध्यम से लोगों को जागरूक भी कर चुके हैं। दस्तक अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता भी घर घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं और डेंगू के नये मरीज खोज रही हैं। इन सबके बावजूद सामुदायिक भागीदारी हो और लोग खुद मच्छरों का स्रोत नष्ट करें तो डेंगू पर नियंत्रण और भी आसान होगा।
ग्रामीण से अधिक मरीज
इस बार 18 अक्टूबर तक डेंगू के 94 कंफर्म मरीज मिले हैं, जिनमें से 55 मरीज ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। कुल 39 मरीज शहरी क्षेत्रों के हैं। गांव के लोगों को भी छोटे जलस्रोतों की साफ सफाई, दिन में पूरे बांह के कपड़े पहनने और बुखार होने पर डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लेने का व्यवहार अपनाना होगा।
916 मरीज, दो की मृत्यु
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2017 से इस वर्ष 18 अक्टूबर तक डेंगू के कुल 916 कंफर्म मरीज स्वास्थ्य विभाग को मिले। वर्ष 2019 और 2020 में इस बीमारी से एक एक मरीज की मृत्यु भी हुई । बीपी, शुगर, ह्रदयरोग, गर्भावस्था, कुपोषण आदि की स्थिति में यह बीमारी होने पर अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता होती है। यह एक सामान्य बुखार है जो दवा और बेडरेस्ट से घर पर ठीक हो सकता है। जटिलताएं सिर्फ मनमाना दवा सेवन, दौड़भाग के कारण बढ़ती हैं।
वर्ष डेंगू मरीज मौत
2017 11 00
2018 25 00
2019 114 01
2020 09 01
2021 69 00
2022 318 00
2023 276 00
2024 94 00
मलेरिया और डेंगू की रोकथाम के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए। साथ ही लोगों को जागरूक भी किया गया। डॉक्टर के परामर्श और जांच के बाद ही बुखार की दवा खानी चाहिए। सभी सरकारी अस्पतालों पर जांच और इलाज की मुकम्मल व्यवस्था उपलब्ध है।
डॉ। आशुतोष कुमार दूबे, सीएमओ