गोरखपुर (ब्यूरो)। यूजर रील स्क्रॉल करते समय सोचते हैं कि बस ये आखिरी है और इसके बाद फोन बंद कर सो जाएंगे, लेकिन देखते ही देखते 11 बजे मोबाइल यूज करने का शुरू हुआ ये सिलसिला कब रात दो बजे तक पहुंच जाता है पता ही नहीं चलता। इस बीच लोगों को झपकी और उबासी आती है तो भी लोग अपनी नींद खराब करते हुए स्क्रॉलिंग जारी रखते हैं। हालांकि, धीरे-धीरे यह आदत बढऩे से उनके मानसिक, शारीरिक और भावात्मक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और रिवेंज बेड-टाइम प्रोक्रैस्टिनेशन का शिकार हो जाते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अच्छी नींद बॉडी के लिए बेहद जरूरी है।

युवाओं को ज्यादा हो रही समस्या

सोने के समय में देरी के पीछे की एक्टिविटीज आमतौर पर काफी आसान होती हैं, जिन्हें करने में लोगों को मजा आता है। जैसे मोबाइल पर स्वाइप करते रहना, टीवी देखना या फिर बुक्स पढ़ते रहना। जिला अस्पताल के सीनियर फिजीशियन डॉ। प्रशांत अस्थाना ने बताया कि पेशेंट में इस समय करीब 40 परसेंट ऐसे पेशेंट्स आ रहे हैं जिनमें नींद की समस्या देखने को मिल रही है। नींद की समस्या आमतौर पर रात में सोने की जगह टीवी या मोबाइल पर टाइम बिताना, रील देखने से हो सकती है। यह समस्या 15 से 35 साल तक के युवाओं के बीच ज्यादा देखने को मिल रही है।

महिलाएं स्लीप एफीशियंसी का ध्यान रखें

डॉ। अस्थाना बताते हैं कि स्लीप एफिशिएंसी इंडेक्स का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आप जितना सोएं उसका 20 परसेंट एक्स्ट्रा ही बेड पर लेट सकते है। इससे ज्यादा लेटने पर नींद गड़बड़ हो सकती है। यह समस्या महिलाओं और सीनियर सिटीजन में ज्यादा देखने को मिलती है। जिसे स्लीप पर्सेप्शन डिस्आर्डर कहा जाता है।

आदत बदलने में लगता है समय

सीनियर फिजीशियन ने बताया कि ऐसे मरीज जब आते है तो उनको रात में स्क्रीन न देखने को कहा जाता है। पर वे कहते हैं कि ऐसा न करने के बाद उन्हें नींद नहीं आती। ऐसे में उनको समझाया जाता है कि इस आदत को विकसित करने में 5-6 महीने का समय लगता है, इसे ठीक होने में भी काफी समय लगता है। इससे पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए थेरेपी व काउंसिलिंग कराना बेहद जरूरी है।

अच्छी नींद के लिए इन बातों का रखें ध्यान

डॉ। अस्थाना के मुताबिक, अच्छी नींद के लिए कई चीजों का संतुलन बेहद जरूरी होता है। पहला, दिन में फिलिकल एक्टिवटी और रात में समय पर रेस्ट बेहद जरूरी है। दूसरा, डाइजेशन सिस्टम रिलैक्स हो गया तो नींद अच्छी आती है। ऐसे में सोने से दो-तीन घंटे पहले खाएं। तीसरा, नीद के लिए स्ट्रेस फ्री होना बेहद जरूरी है, वरना नींद में खलल खलल पड़ सकता है।

प्रोक्रैस्टिनेशन से हो सकते हैं खतरनाक नतीजे

- ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत

- निर्णय लेने में दिक्कत

- कमजोर याददाश्त

- एकाग्रता में कमी

- चिंता या तनाव

- अवसाद की स्थिति

- हार्ट डिजीज

- कमजोर इम्यूनिटी

- हाई ब्लड प्रेशर

- हार्मोनल समस्याएं

- मसल्स में दर्द

इन बातों का रखें ध्यान

- समय पर नींद लें

- स्लीप हायजीन का ध्यान रखें

- सोने से तीन घंटे पहले खाएं

- रात का खाना हल्का हो

- फैटी फूड कम हो

- नीद से एक घंटा पहले स्क्रीन से दूरी बना लें

- रात को हल्का म्यूजिक सुनें

- हल्के रंग की चादर कपड़े का प्रयोग करें

- सोने से पहले नहाएं

- परिवार के साथ समय बिताएं

किसी भी काम के लिए नींद को टालना अच्छी आदत नहीं है। इससे शरीर में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लोगों को अच्छी नींद के लिए स्लीप हायजीन का ध्यान रखना चाहिए। पर्याप्त नींद लेना सेहत के लिए जरूरी होता है। प्रोक्रैस्टिनेशन के कॉफी पेशेंट ओपीडी में आते हैं।

- डॉ। प्रशांत अस्थाना, सीनियर फिजीशियन, जिला अस्पताल