गोरखपुर (ब्यूरो)। उनके मकान के आसपास 200 मीटर के अंदर पानी की सप्लाई भी नहीं है और वाटर टैक्स भी जोड़ दिया गया है। उन्होंने निगम अफसरों को पत्र देकर जलकर टैक्स हटाने की मांग की है।

केस दो

वार्ड नंबर 23 जंगल तुलसीराम बिछिया की रहने वाली मालती देवी ने बताया कि वाटर की पाइपलाइन नहीं है लेकिन बिल में वाटर टैक्स जोड़कर भेजा गया है। 2010 से मकान नगर निगम में पंजीकृत है्र। अब तक का पुराना टैक्स जमा किया है लेकिन वाटर टैक्स क्यों लिया जा रहा है, इसकी जानकारी देने वाला कोई नहीं है। शिकायत का भी कोई असर नहीं हो रहा है।

श्रम विभाग में आफिसर पद पर तैनात अवधेश तिवारी अब रिटायर हो चुके हैैं। फैमिली के साथ अपना समय बीता रहे हैैं। लेकिन बीते दिनों उनके हाथ में फैक्चर होने से उनकी तबीयत खराब हो गई है, लेकिन 5-6 दिन पहले नगर निगम की तरफ से हाउस टैक्स के साथ वाटर टैक्स का बिल देखकर उनका ब्लड प्रेशर हाई हो गया और माथा चकराने लगा। आखिरकार 1999 से अब तक कॉटिन्यू हाउस टैक्स देने के बाद भी अचानक से जीआईएस सर्वे के टैक्स ने गोरखपुराइट्स की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इसमें खामियां इस कदर हैं कि एक मकान पर दो टैक्स भेज दिया गया है। यही नहीं वॉटर सप्लाई न होने के बाद भी टैक्स जोड़कर भेजा जा रहा है। शिकायत भी कोई सुनने वाला नहीं है। ये दो केस बानगी भर हैं। वार्ड 23 में ऐसे केसेज की भरमार है। यहां पब्लिक का कहना है कि जीआईएस सर्वे के नाम नगर निगम ने लूट मचा दी है। जीआईएस सर्वे में मनमानी की गई है। टैक्स जमा करने के लिए नोटिस देकर दबाव भी बनाया जा रहा है।

पाइपलाइन नहीं, बिल में टैक्स

वार्ड 23 के रामनाथ ने बताया कि उनके मकान क्या, वार्ड में ही पाइप लाइन नहीं है। नियम के अनुसार 200 मीटर दूरी पर अगर पाइप लाइन है तो टैक्स देना होगा। अगर ऐसा होता है कनेक्शन ले लेता और टैक्स भी देता लेकिन बिना कनेक्शन के ही बिल जमा करने के लिए नोटिस थमा दिया जा रहा है। ऐसा वार्ड की अधिकांश पब्लिक के साथ किया गया है।

कमरा बना तो दर्शा दिया घर

वार्ड 23 के रामनाथ का कहना है कि घर में एक नया कमरा बनते ही जीआईएस सर्वे में उसे नया मकान दर्शा दिया गया है। जबकि बाहर से देखने में ही वह कमरा उसी घर में भी प्रतीत होता है। जीआईएस सर्वे की टीम ने भी उनसे कोई संपर्क नहीं किया। मनमाने तरीके से सर्वे किया गया और उसके बाद नगर निगम ने टैक्स जमा करने के लिए नोटिस थमा दिया।

कोई नहीं सुन रहा शिकायत

वार्ड 23 की मालती देवी ने बताया कि बिना वॉटर कनेक्शन के ही उन्हें वॉटर टैक्स जमा करने के लिए नोटिस दिया गया है। उनके वार्ड में पाइपलाइन ही नहीं है। मेरे जैसे वार्ड में कई हैं, जिनको वॉटर टैक्स जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है। शिकायत की गई लेकिन उसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई। बताया कि हाउस टैक्स में भी तमाम खामियां हैं।

क्या है जीआईएस सर्वे

जीआईएस (जियोग्राफिक इंफार्मेशन सिस्टम) एक भू विज्ञान प्रणाली है। यह संरचनात्मक डाटा बेस पर आधारित है। यह भौगोलिक सूचनाओं के आधार पर जानकारी प्रदान करती है। संरचनात्मक डाटा बेस तैयार करने के लिए वीडियो, भौगोलिक फोटोग्राफ और जानकारियां आधार का कार्य करती हैं। इसके बाद टैक्स दरों में संसोधन तैयार किया जाता है.इसमें आरसीसी, आरबीसी, पत्थर की छत, सीमेंट या चादर, खुली भूमि सभी जोन की दरें अलग-अलग निर्धारित हैं।

कैसे होता है टैक्स निर्धारण

नगर निगम क्षेत्र के अलग-अलग इलाके में टैक्स की दर अलग है। मान लिजिए सूर्य विहार कालोनी में यह दर प्रति वर्ग फुट 80 पैसे है, वहीं मकान के 10 साल से पुराना होने पर टैक्स निर्धारण में 25 प्रतिशत, 20 साल से ज्यादा पुराना मकान पर 32 प्रतिशत और 30 साल से ज्यादा पुराने पर टैक्स निर्धारण में 40 प्रतिशत तक छूट मिलती है। प्रति मंजिल के हिसाब से यह टैक्स निर्धारित होता है।

पांच जोन में बंटा शहर

नगर निगम ने पांच जोन में शहर को बांटकर टैक्स वसूली करता है। इसमें जोन एक मोहद्दीपुर है। इसमें रामगढ़ताल, महादेव झारखंडी समेत तमाम इलाके शामिल हैं। इसी तरह जोन 2 में लालडिग्गी है। जिसमें बेतियाहाता व अन्य मोहल्ले शामिल हैं। जोन तीन में सिविल इालंस, जोन चार में सुभाषचंद्रबोसनगर, जोन पांच मेडिकल कॉलेज रोड है। पूरे जोन में 1.50 लाख मकान हैं, जिनसे नगर निगम सालों से टैक्स वसूली कर रहा है। जीआईएस सर्वे में 1.14 लाख मकान नए चिन्हित हुए हैं।

जीआइएस सर्वे में चिन्हित संपत्तियां

1.14 लाख मकान चिन्हित

48 हजार प्लाट

4675 नई संपत्तियों में 1633 से 3 करोड़ टैक्स मिला

जीआईएस सर्वे में पुराने टैक्सपेयर 10,815 चिन्हित, 5 हजार से अधिक सेे 3.35 करोड़ का टैक्स मिला

एक नजर में बकाया

40 करोड़ आवासीय संपत्तियों पर बकाया

20 करोड़ कॉमर्शियल संपत्तियों पर बकाया

1.50 लाख मकान नगर निगम एरिया में

टैक्स बिल में अगर किसी को कोई दिक्कत हो तो वह जोनल अधिकारी से मिलकर आपत्ति दर्ज करा सकता है। इसके साथ ही वह मेरे कार्यालय में भी आकर शिकायत कर सकता है। अगर शिकायत जायज होगी तो उसका निस्तारण किया जाएगा।

विनय राय, मुख्य कर जोनल अधिकारी