गोरखपुर: जिसे देश की बहुसंख्यक आबादी जानती, समझती और बोलती है। सीएम शनिवार को डीडीयू के दीक्षा भवन में हिंदी दिवस के अवसर पर डीडीयू और हिंदुस्तान एकेडमी उप्र प्रयागराज (भाषा विभाग उप्र शासन के नियंत्रणाधीन) की ओर से आयोजित 'समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का अवदानÓ विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
भाषा है सर्वोपरि
सीएम ने कहा कि राजभाषा हिंदी की उत्पत्ति देववाणी संस्कृत से हुई है। कहा कि दुनिया की अधिकतर भाषाओं और बोलियों का स्त्रोत हमारी भाषा देववाणी संस्कृत ही है। उन्होंने कहा कि अगर हमारी भाव व भाषा हमारे लिए सर्वोपरि नहीं है तो यह हमारी प्रगति को बाधित करेगी। इस बाधा को हटाने के लिए ही देश में स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर स्वतंत्रता पश्चात हिंदी के उन्नति के लिए विभिन्न कार्य किए गए।
पूस्तक का विमोचन
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डॉ। पद्मजा सिंह द्वारा लिखित 'नाथपंथ का इतिहासÓ एवं अरूण कुमार त्रिपाठी द्वारा लिखित 'नाथपंथ की प्रवेशिकाÓ पुस्तक का तथा गोरक्षनाथ शोधपीठ की अर्धवार्षिक पत्रिका 'कुंडलिनीÓ का विमोचन भी किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री जी ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में दिव्यांगजन कैंटीन का भी शुभारंभ किया। इस कैंटीन का संचालन दिव्यांगजनों द्वारा किया जाएगा।
भाषा के रूप में प्रस्तुत
सीएम ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले 10 वर्षों में देश को जोडऩे के लिए हिंदी को व्यावहारिक भाषा के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी को एक व्यावहारिक भाषा के रूप में प्रस्तुत करने का कार्य किया है। संस्थाओं को भी इस अभियान को प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज देश में इंजीनियरिंग व मेडिकल शिक्षा के पाठ्यक्रम भी हिंदी में बनाए जा रहे है। आज देश में लोंगो में हिंदी के प्रति सुआग्रह का भाव दिखता है। अन्य देश के राजनयिक भी भारत यात्रा के दौरान आपसी संवाद के लिए अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ हिंदी भाषा को भी अपना रहे है।