गोरखपुर (ब्यूरो)। वॉर रूम के अलावा भी लीडर कैंपेन की तैयारी में जुटे हैं। इतना ही नहीं कई एजेंसियों ने खुद के एआइ टूल बना लिए हैं। नेताजी इलेक्शन कैंपेन में व्यस्त रहेंगे ओर एजेंसी एआइ टूल के जरिए फोटो का इस्तेमाल कर उनका वीडियो, ऑडियो तैयार कर वायरल करेगी। राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया सेल भी इसकी तैयारी में हैं। छवि खराब करने के लिए डीपफेक का फर्जी मैसेज के काउंटर की भी तैयारी हो गई।
निजी एजेंसियों से मदद
राजनीतिक पार्टियों जिन लीडर्स की घोषणा कर दी हैं। उनमें से अधिकांश सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए निजी एजेंसी की मदद ले रहे हैं। जहां नाम बाकी हैं, वहां के दावेदार व पार्टी के नेता भी इसी राह पर हैं। पार्टी सोशल मीडिया सेल टीम एआइ का इस्तेमाल करेगी। अगर कोई फर्जी वीडियो वायरल करता है तो तत्काल सच्चाई लोगों तक पहुंचाने की तैयारी है। पार्टी सोशल मीडिया सेल के एक्सपर्ट का कहना है कि प्रत्याशी की घोषणा के साथ विंग काम शुरू कर देगी। सोशल मीडिया का प्रयास इन निजी कंपनियों के हाथ में हैं।
ऐसे काम करेंगे एआई टूल
-लीडर्स कैंपेन में रहेंगे और एआइ टूल से उनका वीडियो-ऑडियों वायरल हो जाएगा।
-लीडर की आवाज का सैंपल एजेंसी ने रखा है। किसी मुद्दे पर कंपनी जवाब तैयार करेगी और आवाज के सैंपल के जरिए नेताजी की आवज में संदेश तैयार हो जाएगा, जो हजारों लोगों तक पहुंचेगा।
-नेताजी के फोटो व ऑडियो सैंपल का इस्तेमाल कर वीडियो तैयार होगा और उसे वायरल किया जाएगा।
-वर्तमान दौर में वाइस कॉल का जोर है। इसमें नेताजी की आवाज में संदेश प्रसारित होता है। वे व्यस्त हुए तो उनकी आवाज के सैंपल से संदेश बनाकर लोगों तक पहुंचाएंगे।
-नेताजी द्वारा इलाके में लोगों की सुविधा के लिए किए गए कार्य के आकर्षक पोस्टर व मीम्स बनाकर हजारों वाट्सएप नंबरों पर एक साथ भेजें जाएंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल वैरियस फील्ड में हो रहा है। लोकसभा चुनाव में भी कंटेंट क्रिएशन से लेकर कैंडिडेट्स के वॉयस तक के रिकॉर्डिंग में यूज किया जा रहा है। पहले इसके लिए अलग से एक्सपर्ट रखना पड़ता था। लेकिन एआई ही सबकुछ कर दे रहा है।
मिसेज मीनू, एसोसिएट प्रोफेसर, एमएमएमयूटी