जन स्वास्थ्य सेवाएं


सीएमओ डॉ। आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि शासन से मिले आदेश के बाद मंकीपाक्स से संक्रमित लोगों को स्क्रीनिंग के लिए सभी प्रवेश स्थलों पर जन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसे लेकर अफसरों के साथ बैठक भी की गई है। साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि जिले में एक चिकित्सा इकाई को रेफरल बनाकर यहां ट्रांजिट आइसोलेशन सुविधा स्थापित की जाए। इसकी जिम्मेदारी प्रभारी व नोडल अफसरों को दी गई है।

क्या है मंकीपाक्स


मंकीपाक्स, स्मॉल पॉक्स की तरह एक वायरल बीमारी है। इनका नाम भले मंकीपॉक्स है। लेकिन इसका मंकी से कोई संबंध नहीं है। यह स्मॉल पॉक्स परिवार से जुड़ी समस्या है। मंकीपाक्स वायरस की पहचान पहली बार 1958 में हुई थी। जब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में चेचक जैसी बामीरी के लक्षण मिले थे। इस बीमारी का पहला मामला 1970 में मिला था, जिसके बाद 2022 में मंकीपॉक्स दुनियाभर में फैल गया।

कैसे फैलता है


यह हवा में नहीं फैलता है। यह मरीज के संपर्क में आने से, संक्रमित इंसान के रैश या फोड़े के पानी से संपर्क से और सेक्सुअल रिलेशन से फैलता है। दूषित चारद, तौलिया, कपड़ों से भी ये समस्या फैल सकती है।

क्या है लक्षण


-बुखार और शरीर पर दाने निकलना
-चेहरे पर दाने निकला
-तेज सिरदर्द, पीठ में दर्द
-मांसपेशियों में दर्द
-शरीर में कमजोरी
-मुंह, गले, आंख और प्राइवेट पार्ट पर रैश

क्या है बचाव


-किसी संक्रमित जानवर या व्यक्ति के संपर्क में न रहें
-ऐसे कपड़े, चादरें, कंबल या दूसरी चीजों को छूने से बचें
-हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं
-हैंड सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें

मंकीपाक्स की आशंका को देखते हुए शासन की ओर से जारी आदेश का पालन किया जा रहा है। चिकित्सा प्रभारी और नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश से आने वालों पर नजर रखी जाए। हवाई अड्डे पर हेल्प डेस्क बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ। आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ