गोरखपुर (ब्यूरो)।इस डिपार्टमेंट में सवा दो करोड़ रुपए से स्थापित गेट लैब को सीलन की वजह से बंद कर दिया गया है। आलम यह है कि सीलन के कारण गेट लैब में लगे उपकरण खराब हो रहे हैं। यह लैब हड्डियों में टेढ़ेपन की पहचान करती है। यह सुविधा प्रदेश में सिर्फ दो मेडिकल कॉलेज में हैं।
केजीएमयू और आगरा के बाद तीसरी लैब
लखनऊ के केजीएमयू व आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में यह लैब है। योगी के सीएम बनने के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज को भी यह सुविधा प्रदान की गई। 2017-18 में हड्डियों का टेढ़ापन दूर करने के लिए आर्थो डिपार्टमेंट में यह लैब स्थापित की गई। सवा दो करोड़ रुपए की मशीन व उपकरण खरीदे गए। गेट एनालिसिस मशीन में पांच कैमरे लगे हैं। इस लैब में पेशेंट के चलते समय उसकी विभिन्न एंगल से फोटो खींचते हैं और उसमें लगा साफ्टवेयर उसका एनालिसिस करता है। इसका रिजल्ट स्क्रीन पर दे देता है। इससे पता चलता है कि कौन सी मांसपेशी कमजोर है और कहां भार ज्यादा पड़ रहा है। इससे हड्डियों की कमजोरी, उनका टेढ़ापन आदि पकड़ लिया जाता है और इलाज आसान हो जाता है।
लैब की दीवारों का गिर रहा प्लास्टर
गेट लैब की स्थापना नेहरू अस्पताल के पहली मंजिल पर आर्थो डिपार्टमेंट में हुई थी। इस डिपार्टमेंट में सीलन के कारण पूर्वी दीवार पूरी तरह से खराब हो गई है। दीवार पर फंगस लग गए हैं। पेंट व प्लास्टर गिर रहा है। सीलन के कारण छत से बरसात में पानी रिसता है। खतरे को देखते हुए करीब दो साल पहले गेट लैब के कमरे को बंद कर दिया गया है। तब से कमरा आज तक पेशेंट्स के लिए नहीं खुला।
एक्सरे से करते हैं ट्रीटमेंट
पूर्वी यूपी में यह लैब कहीं और नहीं है। इसलिए हड्डियों के टेढ़ेपन की सटीक जांच नहीं हो पा रही है। डॉक्टर पेशेंट्स का एक्सरे कराकर या अनुभव के आधार पर अंदाजा से इलाज कर रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि गेट लैब अंद होने से उनकी गेट एनालिसिस नहीं हो पा रही है। इसलिए पता नहीं चल पाया कि कमरे से पैर तक में कहां की हड्डी कमजोर होने से यह प्रॉब्लम आ रही है। एक्सरे के आधार पर उनका ट्रीटमेंट हो रहा है।
आर्थो डिपार्टमेंट में यह बड़ी प्रॉब्लम है। लैब दीवारों में सीलन होने की वजह से गेट लैब को बंद करना पड़ा है। इसकी सूचना अनुरक्षण डिपार्टमेंट के अलावा शासन को दे दी गई हैं। जल्द ही समस्या का समाधान हो जाएगा।
डॉ। पवन प्रधान, एचओडी आर्थो डिपार्टमेंट बीआरडी
दीवारों की मरम्मत कराने के लिए अनुरक्षण डिपार्टमेंट की ओर से शासन को प्रपोजल भेज दिया गया है। बजट मिलते ही कार्य शुरू हो जाएगा।
डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज