गोरखपुर (ब्यूरो)।जहां एक्सप्रेस-वे पर सफर करने वालों का समय बचेगा। वहीं दूसरी ओर दोनों ओर पॉल्युशन एब्जॉब करने और उसे खास लुक देने के लिए हरे-भरे पेड़ भी लगाए जाएंगे। पौधों की सिचांई के लिए ड्रिप इरिगेशन टेक्नीक का यूज होगा, जिससे कि पानी कम खर्च हो और एक्सप्रेस-वे हरा-भरा भी नजर आए। डिवाइडर, सर्विस रोड पर चाइनीज घास के साथ सर्विस रोड के किनारे पर छायादार पौधे लगाए जाएंगे, ताकि अगर किसी को लंबी दूरी तय करनी है तो उसे रेस्ट करने में परेशानी का सामना न करना पड़े।
एक्सीडेंट होने का भी रहता है खतरा
इस सिस्टम का इस्तेमाल पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर किया जाना है। एक्सप्रेस-वे पर हाई स्पीड की गाडिय़ां चलती है। यहां एक्सीडेंट का भी ज्यादा खतरा रहता है। इस खतरे को देखते हुए यूपीडा ने प्लांटेशन की सिंचाई के लिए इस तरह के सिस्टम लगाने की पहल की है। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करने की कवायद शुरू की जा चुकी है। इसकी पहल यूपीडा ने की है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही इसपर वर्क भी शुरू हो जाएगा।
पांच किलोमीटर पर लगेगा सिस्टम
लिंक एक्सप्रेस-वे पर पौधों की सिंचाई के लिए चार से पांच किलोमीटर पर यह सिस्टम लगाए जाने की तैयारी की गई है। पाइप के साथ ही प्वांइट बनाए जाएंगे, ताकि सिंचाई के दौरान पानी की बर्बादी ना हो और हरियाली बरकरार रहेगी। एक्सप्रेस-वे को ग्रीन फील्ड बनाने के लिए कार्यदायी संस्था अलग-अलग जगहों पर काम करेगी। एक्सप्रेस-वे पर लिंक रोड, सर्विस रोड में खाली जगह पर चाईनीज घास लगाने का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। इसके साथ जल्द ही हरियाली लाने वाली घास और पौधे लगाने पर भी फोकस है।
सर्विस रोड पर होगी रोशनी
एक्सप्रेस-वे पर भी रोशनी रहेगी। इसके लिए 24 घंटे रोशनी का इंतजाम किया जाएगा। सोलर एनर्जी प्लांट लगने के साथ इसको जोड़ा जाएगा। जिससे पैसेंजर्स को सफर में आसानी होगी। एक्सप्रेस-वे पर लक रोड से चढऩे और उतरने के लिए विशेष तरह से संकेतक भी लगाए जाएंगे। ये संकेतक एक्सप्रेस-वे के ऊपर व संबंधित सड़कों पर नीचे लगेंगे। इनमें बाहर से आने वाले हर यात्री को तकरीबन पूरी जानकारी मिल जाएगी।
पहले भी कई जगह घास और पौधे लगाए जा चुके हैं। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के डिवाइडर व आसपास हरियाली दिखेगी। पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि पौधों की सिंचाई आसानी से की जा सके। नॉर्मल टैंकर से पौधों की सिंचाई करने में प्रॉब्लम होती है। साथ ही हाई स्पीड गाडिय़ां चलने की वजह से दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए यह सिस्टम लगाने पर विचार किया जा रहा है।
- ओंकार भारती, डायरेक्टर, यूपीडा