गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर नौसढ़ से चलने वाली ज्यादातर बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं लगे हैं। एसी बसों में अग्निशमन यंत्र की जगह तो निर्धारित हैं, लेकिन बसों में यंत्र का पता नहीं है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने गुरुवार को करीब 7 बजे रात को बसों का रियलिटी चेक किया तो हकीकत सामने आई। टीम ने आग लगने वाले घटनास्थल भीटी रावत के केशव ढाबा और सैठी ढाबे पर आने वाले दिल्ली से बिहार या बिहार से दिल्ली जाने वाली तीन स्लीपर एसी बस नंबर एचआर 69 डी 4704, आरजे 14 पीई 4063 आदि को चेक किया। इसमें कहीं पर भी अग्निशमन सिलेंडर नहीं मिले। ऐसे में अगर यात्रा के दौरान बस में आग लग जाए तो जान पर खतरा आ सकता है। जब कंडक्टर राजन से बातचीत की गई तो उसने बताया कि डिलक्स बस हैं। इसलिए इसमें अग्निशमन यंत्र नहीं लगाया जाता है। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चार पहिया या बड़े वाहनों में अग्निशमन यंत्र होना आवश्यक है। मगर गोरखपुर से खुलने वाली स्लीपर बसों में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। प्राइवेट बसों में व्यवस्था नदारद है। नौसढ़ से लखनऊ के रास्ते दिल्ली जाने वाली बस में बैठे कंडक्टर से जब बातचीत की गई तो कंडक्टर ने बताया कि ये बस डीलक्स है। इसमें अग्निशमन यंत्र की आवश्यकता नहीं है।

यात्री सुविधा पर नहीं है ध्यान


सुविधा को लेकर अक्सर नए-नए सुझाव और आदेश देते रहते हैं। मगर यात्री अग्निशमन यंत्र पर ध्यान नहीं गया है। ड्राइविंग लाइसेंस, बीमा, ओवर लोडिंग सहित अन्य मानकों पर अभियान के तहत चालान होता है। मगर अग्निशमन यंत्र को संबंधित अधिकारी भी नजरअंदाज कर देते हैं। जिस वजह से एक बस में सवार करीब 40 से 50 पैसेंजर्स की जान हथेली पर रहती है। जिम्मेदार अफसर इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं। जबकि आरटीओ ने कई नियम बनाए हैं। इसमें समय-समय पर बसों के फिटनेस टेस्ट के साथ इसके संचालन की अवधि भी मय कर दी गई है। लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण बस संचालक नियमों को ताक पर रखकर बसें चला रहे हैं।

बस में नहीं था अग्निशमन यंत्र


बाबा खाटू श्याम ट्रेवल्स दिल्ली की डबल डेकर बस बीआर 06 पीएफ 1012 में 35 पैसेंजर्स सवार को दिल्ली से बिहार के समस्तीपुर जाने के लिए रवाना हुए। सहजनवां के पास ढाबे पर बस रूकी। सभी पैसेंजर्स नीचे उतर गए। इस दौरान बस में अचानक आग लग गई। सूचना पर पहुंची फायर की टीम ने आग पर काबू पाया। हालांकि जांच के दौरान पता चला कि बस के अंदर अग्निशमन यंत्र नहीं थे। इस पूरे प्रकरण की जांच चल रही है।

कोट
बसों में आग बुझाने वाले यंत्रों को लगाना अनिवार्य है। इसेे सख्ती से लागू किया जाएगा। बसों की हर समय फिटनेस करवाई जाती है और संचालक को नियमों का पालन करने के लिए कहा जाता है। बसों में यदि अग्निशमन यंत्र नहीं है तो इसकी जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी।
अरुण कुमार, एआरटीओ प्रशासन