गोरखपुर (ब्यूरो)। जिसे लेकर कई बार पैरेंट्स लापरवाही बरतते हैं और ये समस्या बच्चे को लंबे समय तक परेशान करती रहती है। नाक और गले के इंफेक्शन की वजह से कान से सुनने की शक्ति को भी खत्म कर रहा है। ये इंफेक्शन अगर फेफड़े तक पहुंच जाता है तो मरीज का हार्ट भी फेल हो सकता है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग की ओपीडी में इस तरह के 200 केस प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। इसमें एवरेज 10 से 15 बच्चे इस इंफेक्शन से पीडि़त मिल रहे हैं। एक्सपर्ट ने इसमें से 50 से 60 मरीजों पर स्टडी की। इस स्टडी में 10 साल से कम उम्र के ज्यादा बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।

गले से शरीर में पहुंच जाता है बैक्टीरिया

बीआरडी मेडिकल कॉलेज ईएनटी विभाग के डॉ। आदित्य पाठक ने बताया कि टॉन्सिल या एडिनाइड एक तरह का फिल्टर है जो गले के आखिरी हिस्से में होता है। ये किसी भी तरह के वायरस और बैक्टीरिया को सीधे गले से शरीर में पहुंचने से रोकता है। अगर ये वायरस गले से अंदर चले जाते हैं तो प्रॉब्लम होने लगती है। इसमें टॉन्सिल सूजन आ जाती है। और गले में तेज दर्द होता है। ये दर्द बोलने, खाना खाने, थूक निगलने में बहुत तकलीफ देता है। समय से इलाज नहीं होने पर गले और नाक में इंफेक्शन होने से सुनने की भी शक्ति खत्म होने लगती है। जरूरी है कि बच्चे के गले में हो रही इस तरह की परेशानी पर बच्चे को तत्काल डॉक्टर के पास ले जाकर इलाज करावाएं।

इंफेक्शन को न करें नजर अंदाज

डॉ। आदित्य पाठक ने बताया कि हर महीने 250 ऐसे मरीज आते हैं, जिनमें इस तरह की समस्या देखने को मिलती है। इससे पैरेंट्स को सावधान रहने की जरूरत है। यदि यह प्रॉब्लम लंबे समय तक रहती है तो इसका इंफेक्शन फेफेड़ तक भी पहुंच सकता है। इससे हार्ट फेल भी हो सकता है और जान भी जा सकती है। इसलिए इसे नजरअंदाज ना करें, प्रॉब्लम होने पर तत्काल डॉक्टर्स से संपर्क कर इलाज कराएं।

गले में इंफेक्शन से होने वाली दिक्कतें

- सांस लेने में दिक्कत

-खाना खाने में तकलीफ

-कान का बहना

-कम सुनाई देना

-दांतों के टेड़ा होना

-बोलने में प्रॉब्लम

-रेगुलर सर्दी का होना

-चेहरे का बिगड़ जाना

-ज्यादा समस्या होने पर फेफड़े में दिक्कत

न करें ये काम

- ठंडा पानी, ठंडा जूस, कोल्डड्रिंक, आइसक्रीम, ठंडे ड्रिंक से परहेज करें

-ज्यादा देर तक नहाने ना दें, खासतौर पर राम के समय उसे नहलाने से परहेज करें

-बच्चा अगर खाना खाता है तो उसे दूध और दही बिल्कुल ना दें

-सिर पर तेल ना लगाएं

-सीधे एसी, कूलर या पंखे के सामने ना लेटाएं, जिससे कि ठंडी हवा लगे।

-दिन में ना सुलाएं

करें ये काम

- बच्चे का टॉन्सिल बार-बार बढ़ जाता है तो एक्सपर्ट के सुझाव लें

-गले में सूजन होने पर गार्गल करवाएं। गुनगुने एक गिलास में एक चुटकी नमक और एक चम्मच हल्दी डालें और गार्गल करवाएं

-गले, चेहरे और सीने पर कपूर के तेल की मसाज करें

-सीने में जकडऩ महसूस हो तो स्टीम दें

-गर्म चीज जैसे सूप पीने को दें।

-बहुत ठंडे पानी से ना नहलाएं और सिर के पानी को जल्द से पोछ दें

हर महीने अधिकांश बच्चे आते हैं, जिनमें अलग-अलग सिमटम देखने को मिल रहे हैं। ओपीडी में आने वाले करीब 50 से 60 बच्चों पर स्टडी की गई है। इसमें गले की दिक्कत ज्यादा आती है। यदि समय से इलाज नहीं कराते हैं तो इंफेक्शन फैलने का खतरा रहता है और जान जाने की भी संभावना रहती है। इसलिए तत्काल डॉक्टर्स से संपर्क कर इलाज कराएं।

डॉ। आदित्य पाठक, ईएनटी विभाग बीआरडी मेडिकल कॉलेज