Gorakhpur News: बीए में पढऩे वाली 22 साल की शालिनी (काल्पनिक नाम) बीते दिनों ब्वॉयफ्रेंड से हुए ब्रेकअप के बाद डिप्रेशन में चली गईं। पहले तो उन्होंने फ्रेंड्स और परिवार के लोगों से बातचीत बंद की। इसके बाद जीवन से निराश होकर एक दिन सुसाइड अटेम्प्ट कर डाला। हैरान-परेशान परिजन शालिनी को इलाज के लिए हॉस्पिटल लेकर गए। बाद में ठीक होने पर परिजन उन्हें लेकर डीडीयू के काउंसलिंग सेंटर में पहुंचे यहां तकरीबन तीन महीने की लगातार काउंसलिंग और प्रॉपर मेडिसिन लेने के बाद किसी शालिनी रेग्युलर लाइफ की ओर लौट सकीं। यह केवल शालिनी के साथ ही नहीं हुआ सिटी में 18 से 23 साल एज ग्रुप के ऐसे सैकड़ों यूथ हैं जो सीवियर डिप्रेशन की अवस्था से गुजर रहे हैं। ऐसे कई युवा डीडीयू के काउंसलिंग सेंटर पहुंचकर काउंलिंग करा रहे हैं। साइकोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर अनुभूति दूबे के मुताबिक, हफ्ते में दो दिन खुलने वाले इस सेंटर पर 8 से 10 की संख्या में स्टूडेंट पहुंचते हैं और डिप्रेशन से बाहर आने के लिए काउंसलिंग कराते हैं।
ब्रेकअप के बाद फील करते हैं आब्जेक्ट
प्रो। अनुभूति ने बताया कि ब्रेकअप के बाद यूथ, स्पेशली लड़कियां अपने आप को आब्जेक्ट महसूस करने लगती हैं। उन्हें ऐसा लगता कि उनका फिजिकली और इमोशनली यूज किया गया है। हालांकि, लड़कों में भी इसी तरह की फीलिंग होती है। प्रो। अनुभूति के मुताबिक, डिप्रेशन की अवस्था में जाने का यह सबसे प्रमुख कारण है।
बच्चों में भी बढ़ रहा डिप्रेशन
डीडीयू के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। धनंजय कुमार ने बताया कि केवल यूथ में ही नहीं अब बच्चों में भी तेजी से डिप्रेशन बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि इसका प्रभाव कुछ ऐसा है कि 12 साल से कम एज वाले बच्चों को टाइप-टू स्टेज की सुगर हो रही है। बच्चों में होने वाले डिप्रेशन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इससे बचने के लिए सही समय पर काउंसलिंग और मेडिसिन कराकर उन्हें इससे बाहर निकालना चाहिए, ताकि आगे चलकर वे कोई गलत कदम न उठा सकें।
'जेन जी में विजुअल अट्रैक्शन ज्यादा
'जेन जी यानी साल 1998 से 2012 के बीच जन्म लेने वाले बच्चों में विजुअल अट्रैक्शन ज्यादा देखने को मिलता है। ऐसे बच्चे मोबाइल की ओर सबसे तेज आकर्षित होते हैं। प्रो। धनंजय के मुताबिक विजुअल अट्रैक्शन का लती बच्चा किसी से बात करने में रूचि नहीं लेता और एकांत में रहना पसंद करता है।
विटामिन-डी की कमी डिप्रेशन का कारण
प्रो। अनुभूति दूबे ने बताया कि आधुनिक दौर में घर से लेकर स्कूलों तक में बच्चे ज्यादातर समय कमरे में बिताते हैं। उन्हें हफ्ते में मुश्किल से कुछ मिनट ही सन लाइट में गुजारने को मिलता है। ऐसे में बच्चों में विटामिन-डी की कमी हो जाती है और वे डिप्रेशन के चंगुल में फंस जाते हैं।
टीनएजर्स लड़कियों में खून की कमी
प्रो। अनुभूति दूबे ने बताया कि टीनएजर्स लड़कियों में खून की कमी ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि आजकल बहुत सारे यूथ स्मोकिंग करते हैं। इससे उनके अंदर खून की कमी हो जाती है।
तीन स्टेज में होता है डिप्रेशन
- माइल्ड डिप्रेशन
- मॉडरेट डिप्रेशन
- सीवियर डिप्रेशन
बच्चों में डिप्रेशन बढऩे के कारण
- स्कूल परफार्मेंस
- पैरेंट्स का प्रेशर
- गेमिंग डिवाइसेज की लत
- गेमिंग कंटेंट
- पैरेंटल लॉस
- न्यूक्लियर फैमिली
- वर्किंग पैरेंट्स
- मेड का विहैवियर
- डिस्टेंस पैरेंटिंग
ज्यादातर यूथ ब्रेकअप के बाद डिप्रेशन में चले जाते हैं। ऐसे कई स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी के काउंसलिंग सेंटर में काउंसलिंग देकर और मेडिसिन के माध्यम से डिप्रेशन से बाहर निकाला गया है। सभी को रेग्युलर लाइफ में लौटाने के लिए काउंसलिंग सेंटर लगातार काम कर रहा है।
- प्रो। अनुभूति दूबे, सॉइकोलाजिस्ट
कम एज के बच्चे भी तेजी से डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। 12 साल से कम एज के बच्चों में टाइप-टू का सुगर डिडेक्ट हो रहा है, यह चिंताजनक है, ऐसे बच्चों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए पैरेंट्स को उनका ख्याल रखना चाहिए और प्रॉपर काउंसलिंग व मेडिसिन दिलाकर उन्हें डिप्रेशन से बाहर निकालना चाहिए।
- प्रो। धनंजय कुमार, सॉइकोलाजिस्ट