गोरखपुर (ब्यूरो)। क्योंकि बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हुए एक रिसर्च में सामने आया कि नर्र्सो की तुलना में मां के देखभाल से बच्चे जल्द स्वस्थ्य हो रहे हैं। इसके बाद बाल रोग विभाग ने माताओं को एसएनसीयू में रखने के लिए अनुमति दी है।
नर्सो के भरोसे था बच्चों की देखभाल
दरअसल, एसएनसीयू में बच्चों की देखभाल नर्सो के भरोसे होती है। पूर्व में हुए रिसर्च में नर्सो के मुकाबले मां की देखभाल से बच्चे जल्द से जल्द स्वस्थ्य हाने की बात सामने आई है। इसलिए प्रबंधन ने अब मां को एसएनसीयू में प्रवेश दे दिया है। बाल रोग संस्थान के 20 बेडों के पास मां के लिए कुर्सियां लगा दी गई है। अब इलाज के साथ मां की थपकी और देखभाल प्यार-दुलार बच्चों को जल्द स्वस्थ होने में हेल्प करेगा।
मॉडल एसएनसीयू
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में प्रदेश का मॉडल एसएनसीयू है। इसमें नवजात शिशुओं को एडमिट कर इलाज किया जाता है। अभी तक मां को एसएनसीयू में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। समय-समय पर उन्हें बच्चे के बारे में सूचना दी जाती थी। नर्सो द्वारा उनका दूध निकालकर अंदर ले जाया जाता था और बच्चे को पिलाया जाता था, लेकिन अब मां खुद बच्चे के साथ रहेंगी। नर्सो की निगरानी में बच्चे की देखभाल करेंगी।
बेड के पास कुर्सियों की व्यवस्था
अभी 20 बेड पर कुर्सियों की व्यवस्था की गई है। जल्द ही सभी बेडों पर कुर्सियां लगा दी जाएगी। इस कार्य में बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ। भूपेंद्र शर्मा के साथ डॉ। अजित यादव, डॉ। अभिषेक कुमार सिंह व डॉ। संतोष गुप्ता का विशेष सहयोग मिल रहा है।
बता दें कि पूर्व में हुए रिसर्च में सामने आया है कि बच्चों के देखभाल के लिए नर्सो से ज्यादा मां का योगदान है। मां के रहने से ज्यादातर बच्चे जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं। इसलिए एसएनसीयू में मां की प्रवेश की अनुमति दी गई है। ताकि बच्चा जल्द स्वस्थ हो सके।
डॉ। भूपेंद्र शर्मा, एचओडी बाल रोग संस्थान बीआरडी मेडिकल कॉलेज