लोगों का कहना है कि कॉन्ट्रैक्टर एक बड़े नेता का खास है, इसलिए उसपर कार्रवाई नहीं हो रही है। कुछ दिनों पहले प्रमुख सचिव ने स्पोट्र्स कॉलेज में हो रहे पवेलियन के काम का निरीक्षण किया था, अधूरे काम को देखते हुए प्रमुख सचिव ने कॉन्ट्रैक्टर को चेतावनी देते हुए इस काम को 10 अगस्त तक हर हाल में पूरा कराने के आदेश दिया है। बावजूद इसके यह काम अधूरा है। जिस काम को अगस्त 2023 में पूरा हो जाना था, वह 2024 में भी पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है। स्टैंड का काम भी चार साल बाद शुरू हुआ। इससे यहां इंटरनेशनल मैच नहीं हो पा रहे हैं।
बढ़ गया बजट
सीएम की घोषणा के बाद पवेलियन के लिए पहले चरण में पांच करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे। काम 2019 में शुरू भी हो गया, इसे 2021 में पूरा हो जाना था, लेकिन 2020 में कोरोना के दौरान कुछ महीनों का ब्रेक लग गया। करीब छह महीने के ब्रेक के बाद काम एक बार फिर शुरू हुआ, लेकिन कॉन्ट्रेक्टर और जिम्मेदारों की लापरवाही से अब तक पूरा नहीं हो सका है। उधर, समय बढऩे से काम का बजट पांच करोड़ से बढ़कर लगभग नौ करोड़ रुपये हो गया है।
फिनिंसिंग का काम
वीर बहादुर सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में बन रहे पवेलियन का लगभग 80 से 90 परसेंट काम ही पूरा हुआ है। पवेलियन के भीतर सिलिंग और बिजली वायरिंग का काम चल रहा है। अभी कई कमरों के दरवाजे नहीं लगे हैं। बिल्डिंग के भीतर रंग-रोगन का काम होना बाकी है। स्पोर्ट्स कॉलेज के जिम्मेदारों का कहना है कि काम पूरा होने में दो से तीन महीने का समय लग जाएगा। जबकि कॉन्ट्रैक्टर का दावा है कि काम का एक सप्ताह में पूरा करा लिया जाएगा।
2019 में शुरू
सिटी में साल 2019 में इंडिया और फ्रांस के बीच आयोजित इंटरनेशनल हॉकी मैच के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड के पूरब की ओर पवेलियन के साथ ही चारों ओर स्टैंड बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड के तीन तरफ करीब 22 करोड़ रुपये की लागत से छह हजार लोगों की क्षमता वाला स्टैंड बनाने की कवायद शुरू हुई। जिस स्टैंड की कवायद 2019 में शुरू हुई उसकी शुरुआत 2024 में हुई। मार्च में स्टैंड के बजट की पहली किस्त के रूप में पांच करोड़ रुपये जारी हुए और जुलाई के अंत में काम की शुरुआत हुई है।
ग्राउंड बनाने में देरी
वीर बहादुर सिंह स्पोर्ट्स कालेज में एस्ट्रोटर्फ की सौगात दिसंबर 2015 में ही मिली थी। तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड के लिए पहले 5.59 करोड़ रुपये का बजट जारी किया। बाद में इसकी लागत बढ़कर करीब सात करोड़ रुपये हो गई। कुछ दिन काम चलने के बाद इसमें पेंच फंसा और मामला पेंडिंग हो गया। कई बार जिम्मेदारों ने इसका निरीक्षण किया और काम में लापरवाही पर फटकार लगाई, लेकिन इसके बाद भी काम की सूरत नहीं बदल सकी। अप्रैल 2017 में गोरखपुर पहुंचे स्पोर्ट्स डायरेक्टर ने जिम्मेदारों को फटकार लगाते हुए जुलाई तक काम पूरा कराने के निर्देश दिया, लेकिन डेडलाइन बीतने के बाद भी टर्फ लगाने का काम पूरा नहीं हो सका है। काफी मुश्किलों के बाद जनवरी 2019 में लोगों को टर्फ ग्राउंड मिल सका। इसके बाद यहां हॉकी का पहला इंटरनेशनल मैच खेला गया। लेकिन, सुविधाओं के अभाव में पांच साल में यहां एक भी इंटरनेशनल मैच नहीं खेला जा सका है।
पवेलियन में होंगी सुविधाएं
- चेंजिंग रूम
- वीआईपी गैलरी
- खिलाड़ी गैलरी
- चार ग्रीन रूम
- मेडिकल रूम
- मसाज रूम
- वॉशरूम
फैक्ट फाइल
- पवेलियन की लागत- 9 करोड़
- काम शुरू होने का समय- 2019
- काम पूरा होने का समय- 2021
- स्टैंड की लागत- 22 करोड़
- काम शुरू होने का समय- 2024
- काम पूरा होने का समय- 2025
क्या है एसट्रोटर्फ, घास की पिच से अच्छा क्यों?
- एस्ट्रोटर्फ को अक्सर कृत्रिम घास के दूसरे नाम के रूप में प्रयोग किया जाता है, एस्ट्रोटर्फ एक अमेरिकी कंपनी है जो खेल पिचों और मैदानों के लिए सिंथेटिक टर्फ में विशेषज्ञता रखती है
- कृत्रिम घास प्राकृतिक घास की तुलना में अधिक सुसंगत सतह प्रदान करती है, जो हॉकी खेलते समय बहुत फायदेमंद होती है
- सिंथेटिक घास के प्रत्येक ब्लेड की ऊंचाई और मोटाई पूरी तरह से एक समान होती है, जिससे गेंद का व्यवहार सुसंगत और पूर्वानुमानित होता है
- हॉकी पिच फील्ड हॉकी के खेल के लिए खेल की सतह है। कृत्रिम पिचों में बदलाव 1970 के दशक के दौरान आया और 1976 में प्रमुख प्रतियोगिताओं के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया
- कृत्रिम घास का उपयोग करने का एक मुख्य कारण सतह को ठंडा करना है। सिंथेटिक फाइबर गर्मी को अवशोषित कर सकते हैं, जिससे एथलीटों के लिए सतह बहुत गर्म हो जाती है, पानी से सतह का तापमान कम करने में मदद मिलती है, जिससे खेलने का माहौल आरामदायक और सुरक्षित बनता है
- ओलंपिक हॉकी में मैदान की माप फुटबॉल मैदान के आकार के समान होती है, जिस पिच पर हॉकी खेली जाती है वह 91.4 मीटर लंबी और 55 मीटर चौड़ी होती है
- फील्ड हॉकी मैच खेलने की अवधि 60 मिनट होती है, जिसे चार क्वार्टर में खेला जाता है। इस दौरान पहले और तीसरे क्वार्टर के बाद दोनों टीमों को दो मिनट का ब्रेक मिलता है, हाफ टाइम के बाद 15 मिनट का अंतराल भी होता है
वीर बहादुर सिंह स्पोट्र्स कॉलेज में बन रहे पवेलियन के काम को बहुत पहले ही पूरा हो जाना था, लेकिन कॉन्ट्रैक्टर की लापरवाही से अबतक काम पूरा नहीं हो सका है। इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से भी की जा चुकी है।
आले हैदर, प्राचार्य, वीर बहादुर सिंह स्पोट्र्स कॉलेज
एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान के सामने बन रहे पवेलियम का काम तेजी से चल रहा है। कुछ ही काम बचा है। एक सप्ताह में इस काम को पूरा करा लिया जाएगा।
चंद्रसेन सिंह, कॉन्ट्रैक्टर