गोरखपुर (ब्यूरो)। विश्वविद्यालय की ओर से निर्धारित अंतिम तिथि तक अलग-अलग कालेजों ने अपने यहां संचालित होने वाले 39 पाठ्यक्रमों के लिए केंद्रीयकृत प्रक्रिया में शामिल होने के लिए आवेदन किया है। कई कालेज ऐसे भी हैं, जिनका आवेदन विश्वविद्यालय स्तर पर विचाराधीन है। विश्वविद्यालय प्रशासन आवेदन की कमियों को दूर कराने के बाद उसे स्वीकार करेगा। अब तक 13 परंपरागत और 7 प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों के लिए विभिन्न कालेजों ने आवेदन किए हैं। मारवाड़ बिजनेस स्कूल ने सर्वाधिक 11 पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन किया है। महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़ का आवेदन चार पाठ्यक्रमों के लिए है। इसके अतिरिक्त चंद्रकांति रमावती देवी आर्य महिला कालेज, वीरबहादुर ङ्क्षसह महाविद्यालय, हरनहीं, प्रभादेवी ला कालेज, सहजनवा, नेशनल पीजी कालेज बड़हलगंज, बापू पीजी कालेज, पीपीगंज, बुद्ध पीजी कालेज, रतसिया कोठी, डीएवी पीजी कालेज गोरखपुर, जानकी डिग्री कालेज, गीडा, एमपी महिला महाविद्यालय, रामदत्तपुर, हरिसहाय ला कालेज, शांति सशक्तीकरण महाविद्यालय, बीआरडी पीजी कालेज देवरिया और मधुसूदन दास महाविद्यालय, गोरखपुर ने भी विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन किया है। इनमें डीएवी पीजी कालेज और बीआरडी पीजी कालेज वित्तपोषित हैं। बाकी सभी कालेज स्व-वित्तपोषित हैं।
प्रक्रिया में शामिल होने को रखी थी शर्तप्रक्रिया में शामिल होने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने कालेजों के सामने बाकायदा शर्त रखी थी। शर्त के मुताबिक कालेजों को कम से कम दो पाठ्यक्रमों के साथ प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होना था। दो परंपरागत पाठ्यक्रम के लिए 40 हजार रुपये और दो प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों के लिए एक लाख रुपये जमा करने थे। इन शर्तों को स्वीकार करते हुए कालेजों के प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होने से विश्वविद्यालय प्रशासन उत्साहित है। इसे शैक्षिक विकास की एक महत्वपूर्ण कड़़ी मान रहा है। विश्वविद्यालय का मानना है कि इससे कालेजों को मेधावी छात्र मिलेंगे, जिससे उनके यहां शिक्षा का स्तर बढ़ेगा। साथ ही छात्रों की उपलब्धता के लिए उन्हें संघर्ष नहीं करना पड़ेगा।
नियमित पाठ्यक्रमों में केंद्रीयकृत प्रवेश का निर्णय पूरी तरह से स्वैच्छिक रखा गया था लेकिन जिस तरह से महाविद्यालयों ने नियमित पाठ्यक्रमों में भी संयुक्त रूप से जुडऩे की इच्छा प्रदर्शित की है वह बेहद सकारात्मक है। इससे यह भी पता चलता है कि महाविद्यालय इसे वास्तव में अपने लिए हितकर महसूस कर रहे हैं।
प्रो.पूनम टंडन, वीसी, डीडीयूजीयू