गोरखपुर : गुरुवार को महराजगंज के डीएम अनुनय झा, एसपी सोमेंद्र मीना, डीएफओ गोरखपुर विकास यादव और एडीएम गोरखपुर पुरुषोत्तम दास गुप्ता ने कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया। दो करोड़ 80 लाख 54 हजार रुपये की लागत से बने इस केंद्र का मुख्यमंत्री ने 2020 में आनलाइन शिलान्यास किया था।
लाल गर्दन वाले राज गिद्ध को वर्ष 2007 में लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध कर दिया गया है। देश में इस प्रजाति के गिद्धों की कमी को देखते हुए सरकार ने राज गिद्धों के सरंक्षण व प्रजनन को लेकर तैयारी शुरु की। बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और प्रदेश सरकार के बीच समझौता होने के बाद कैंपियरगंज के भारीवैसी में जमीन चिह्नित की गई। सरकार से धन मिलने के बाद केंद्र का निर्माण शुरू हुआ और वर्ष 2023 में बनकर तैयार हो गया। इस केंद्र में ब्रीङ्क्षडग एवरी, होङ्क्षल्डग एवरी, हास्पिटल एवरी, नर्सरी एवरी, वेटरनरी सेक्शन, प्रशासनिक भवन, रिकवरी एवरी, गार्डरूम, जेनरेटर रूम, पाथवे का निर्माण किया गया है।
केंद्र के प्रभारी डा। दुर्गेश नंदन ने बताया कि केंद्र में 12 बाड़े बने हैं। पांच बाड़े में गिद्धों को रखा गया है। एक बाड़े में रहने से यह गिद्ध एक दूसरे के प्रति ङ्क्षहसात्मक हो जाते है। इसलिए उन्हें अलग-अलग रखा गया है। जनवरी में लाए गए नर गिद्ध ने जोड़ा बना लिया है। इनके जोड़े को परिसर के अंतिम बाड़े में रखा गया है। इस केंद्र के जरिये राजगिद्धों की संख्या बढ़ाने पर काम होगा। लोकार्पण होने के बाद विलुप्त होती प्रजातियों में शामिल इन जीवों को देखने के लिए सैलानियों के आने से ईको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। इस संबंध में डीएफओ विकास यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री के लोकार्पण कार्यक्रम की तैयारियां पूरी कर ली गई है।