गोरखपुर (ब्यूरो)।प्लांट के लिए एनएमसीजी की तरफ से स्वीकृति दे दी गई है। सीईटीपी के निर्माण एवं संचालन के लिए एसपीवी (गीडा सीईटीपी फाउंडेशन) का गठन किया गया है। एसपीवी के माध्यम से सभी औद्योगिक इकाईयों की ओर से संचालन की लागत वहन की जाएगी। सीईटीपी के स्थापना को लेकर डीएम कृष्णा करुणेश की अध्यक्षता में गीडा सभागार में मीटिंग आयोजित की गई। इस दौरान एसपीवी के मेंबर्स, एनएमसीजी व एसएमसीजी के प्रतिनिधि, चीफ इंजीनियर, नगर निगम, गोरखपुर क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गोरखपुर अधिशासी अभियंता, उत्तर प्रदेश जल निगम, गोरखपुर व उपायुक्त जिला उद्योग केंद्र और सचिव, चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज व 55 जल प्रदूषित औद्योगिक इकाईयों के साथ मीटिंग हुई।

गीडा ने किया भूमि अधिग्रहण

मीटिंग के दौरान प्लांट आमी नदी के समीप ग्राम अडिलापार में लगभग 12 एकड़ में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। गीडा की तरफ से भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। सीईटीपी में भूमि विकास एवं भूमि मूल्य के अतिरिक्त में कुल अनुमानित खर्च लगभग 93.25 करोड़ होगा। जिसमें से एनएमसीजी की ओर से 50 प्रतिशत, गीडा एवं औद्योगिक इकाईयों की ओर से 25 प्रतिशत एवं अवस्थापना व औद्योगिक विकास विभाग की ओर से 25 प्रतिशत का खर्च वहन किया जाएगा।

प्रदूषण का रखा जाएगा ख्याल

मीटिंग के दौरान यह भी चर्चा हुई कि गीडा के औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित फैक्ट्रियों से अपशिष्ट जल को बंद प्रणाली से संग्रह करते हुए सीवर लाइन के माध्यम से प्लांट तक लाया जाएगा। इसके बाद शुद्ध जल को उद्योगों के उपयोग और किसानों के सिंचाई के उपयोग के लिए प्रयोग किया जाएगा। मीटिंग में डीएम ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को निर्देशित किया कि प्रत्येक इकाईयों का इनलेट एवं आउटलेट पैरामीटर्स व क्षमता को फिर से जांच कर तत्काल एसपीवी को सूचित करेंगे। ताकि प्रत्येक इकाई का व्यय भार तय किया जा सकेगा। प्रत्येक इकाई से एमओए सिग्नेचर हो सकेगा।

आमी नदी और सरैया नाले पर भार होगा कम

डीएम ने बताया कि गीडा में स्थापित होने वाले 7.5 एमएलडी क्षमता का कॉमन इंफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की स्थापना से आमी नदी एवं सरैया नाले पर प्रदूषण का भार कम होगा और पर्यावरण भी शुद्ध होगा। जल निगम को भी डीएम ने निर्देशित किया कि सभी औपचारिकताएं पूरा कर 7.5 एमएलडी क्षमता की सीईटीपी के निर्माण का टेंडर की प्रक्रिया एनएमसीजी को भेजा जाएगा। एनएमसीजी के प्रतिनिधि ने एसपीवी प्रबंधन के लिए पेमेंट सिक्योरिटी एकाउंट खोले जाने का सुझाव दिया है।