गोरखपुर (ब्यूरो)। इसके तहत 14 फरवरी यानी वेलनटाइन डे तक स्कूलों में विभिन्न एक्टिीविटी के माध्यम से बच्चों को अवेयर किया जाएगा। साल 2018 की रिपोर्ट के अनुसार 199 देशों में सड़क मृत्यु के मामले में भारत पहले स्थान पर है। इसको लेकर केन्द्र के साथ ही राज्य सरकारें सड़क सुरक्षा पर काम कर रही है।
अवेयर करने का अच्छा साधन हैं बच्चे
सरकार का मानना है कि पब्लिक को अवेयर करने का सबसे अच्छा माध्यम स्कूल के बच्चे होते हैं। इसलिए करीब एक माह तक स्कूलों में रोड सेफ्टी कैंपेन चलाने का अनुरोध किया गया है। इससे बच्चों के साथ ही उनके परिवार के लोग भी ट्रैफिक रूल जानेंगे और उसका पालन कर हादसों में कमी लाएंगे।
स्कूल में इन्हें करना है अवेयर
सभी स्कूलों से अनुरोध किया गया है कि वह राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह के दौरान बस ड्राइवरों, स्टूडेंट्स और कर्मचारियों के लिए रोड सेफ्टी एक्टिविटी, ट्रेनिंग, कार्यशालाएं, सेमिनार कराए जाएं। साथ ही विभिन्न एक्टिविटी की एक सूची वेबसाइट पर अपलोड भी करें।
स्कूल ऑर्गनाइज कराए यह एक्टिविटी
पोस्टर/नारे/पेंटिंग, निबंध/प्रश्नोत्तरी/वाद-विवाद/वर्णन, व्याख्यान (छात्रों, अभिभावकों, ड्राइवरों आदि के लिए), सड़क सुरक्षा कॉमिक स्ट्रिप्स की तैयारी, सड़क सुरक्षा शिक्षा के लिए एकीकृत पाठ्यचर्या योजना, सड़क सुरक्षा प्रदर्शनी, गीत/नृत्य/जिंगल, माइम/स्किट, फिल्में/विज्ञापन मूवी, पैम्फलेट/प्रकाशन/वेबसाइट संसाधन/ब्लॉग/मोबाइल ऐप इसके साथ ही अन्य एक्टिविटी स्कूलों में ऑर्गनाइज कराई जानी है।
एक नजर में एक्सीडेंट
वर्ष सड़क दुर्घटना शिकार व्यक्ति मौत घायल
2023 1419 1254 558 696
2022 1328 1346 533 815
2021 1016 1171 441 730
वाहन से हुए हादसे
दो पहिया वाहन - 1006 (34 परसेंट)
चार पहिया वाहन - 489 (16 परसेंट)
दुर्घटना स्थान
खुले स्थान पर - 1173 (39 परसेंट)
मार्केट में - 1098 (37 परसेंट)
हाइवेपर - 394 (13 परसेंट)
नेशनल हाइवे पर - 703 (23 परसेंट)
बच्चों को ट्रैफिक रूल के प्रति अवेयर करना बेहद जरूरी है। बच्चों के द्वारा काफी लोगों के बीच अवेयरनेस फैलाई जा सकती है। सर्कुलर आया है। इसका पालन किया जाएगा। बच्चों के साथ ही स्कूल स्टाफ को भी ट्रैफिक रूल बताया जाएगा।
सलील के श्रीवास्तव, ट्रेनिंग कोआर्डिनेटर, सीबीएसई