गोरखपुर: सीबीएसई के गाइडलाइन के मुताबिक, 'नो बैग डेÓ के दौरान स्टूडेंट ऐतिहासिक, पर्यटन स्थलों, सांस्कृतिक केंद्रों, कला दीर्घाओं का टूर करेंगे, ताकि व्यवाहारिक जीवन की वास्तविकताओं से रूबरू हो सकें। स्कूल स्टूडेंट के टूर की विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करेंगे, ताकि स्वतंत्र तौर पर अवलोकन आधारित शिक्षा एवं लेखन प्रक्रिया को बढ़ावा मिले सके।
दुनिया की समझ
आरपीएम समूह के चेयरमैन अजय शाही ने बताया की इस इनोवेशन से स्टूडेंट क्लासरूम के बाहर की दुनिया को समझ सकेंगे। उनमें अवलोकन के आधार पर परिस्थितियों को समझने की क्षमता उत्पन्न होगी। स्टूडेंट स्थानीय शिल्पकारों एवं कलाकारों से मिल सकेंगे और उन्हें करीब से जान व समझ सकेंगे।
108 पेज की बुकलेट
गाइडलाइन के मुताबिक 108 पेज की पूरी बुक भी स्कूलों को भेजी गई है। इनमें 'नो बैग डेÓ के उद्देश्यों से लेकर, उद्देश्यों को हासिल करने के लिए किए जाने वाले प्रयास की जानकारी दी गई है। सीबीएसई ने यह साफ किया है कि 'नो बैग डेÓ लागू किए जाने पर स्टूडेंट में स्कूल आने की संभावना बढ़ेगी।
मौलिक कार्य सीखें
मृदा, जल एवं पेड़-पौधे अर्थात सॉइल, वाटर एंड प्लांट्स मानव जीवन के महत्वपूर्ण एवं मूलभूत हिस्से हैं। 'नो बैग डेÓ के दौरान स्टूडेंट सॉइल, वॉटर-टेस्टिंग व प्लांट आइडेंटिफिकेश के दौरान ना सिर्फ विज्ञान को सीखें अपितु वे व्यापारिक ज्ञान भी हासिल कर सकें।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी को सीबीएसई तेजी के साथ लागू कर रहा है। इसी क्रम में अब सीबीएसई के स्कूलों मेंं साल के 10 दिन नो बैग डे होगा। इस दिन बच्चे आउटिंग करेंगे और बाहर की दुनिया को करीब से समझेंगे।
अजीत दीक्षित, डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर, सीबीएसई