गोरखपुर (ब्यूरो)। Gorakhpur News: बीआरडी मेडिकल कॉलेज के चेस्ट और टीबी रोग विभाग में आने वाले करीब 40 मरीजों पर डॉक्टर्स ने रिसर्च किया। रिसर्च में खुलासा हुआ कि टीबी के मरीजों के फेफड़े में पानी भरने की वजह से टीबी का इलाज करा रहे 40 परसेंट मरीज लंग कैंसर से पीडि़त हैं। यह रिसर्च की है टीबी-चेस्ट के एचओडी डॉ। अश्वनी मिश्रा ने। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-24 में विभाग में इलाज कराने पहुंचे 40 मरीजों को इस रिसर्च के लिए सलेक्ट किया गया। इन मरीजों के फेफड़े में पानी भरा मिला। डॉक्टर्स दो महीने से मरीजों का टीबी का इलाज कर रहे थे। इन मरीजों के फेफड़े की जांच थोरेकोस्कोपी की मदद से की गई। इसकी रिपोर्ट चौकाने वाली रही। इनमें 16 मरीज ऐसे मिले जिनके फेफड़ों में कैंसर के कारण पानी बना था जबकि 20 मरीज के फेफड़ों में टीबी मिला। चार मरीजों के फेफड़ों में पानी की वजह से पता नहीं चल सका।
40 मरीजों को सलेक्ट किया गया
डॉ। अश्वनी मिश्रा ने बताया कि ऐसे 40 मरीजों को सलेक्ट किया गया जो कम से कम दो महीना टीबी की दवा खा चुके थे। इसके बावजूद उनके फेफड़े में पानी नहीं सूखा। ऐसे मरीजों में अधिकतर में कैंसर पाया गया। थोरेकोस्कोपी की मदद से मरीजों के पसलियों के बीच फेफड़े की झिल्ली पर जमी कैविटी की जांच की गई। मरीजों के फेफड़ों में जमें पानी की भी जांच हुई। थोरेकोस्कोपी में लगी दूरबीन से फेफड़ों की झिल्ली की जांच की गई तो यह पता चला कि उनमें से 16 को कैंसर, 20 को टीबी और चार को किसी अन्य कारणों से फेफड़े में पानी था।
चेस्ट एक्स-रे से फेफड़े में पानी दिखता
डॉ। अश्वनी मिश्रा ने बताया कि रिसर्च से निष्कर्ष निकला कि अगर चेस्ट एक्स-रे से फेफड़े में पानी दिखता है, तो परंपरागत तरीके से मरीज की टीबी की दवा शुरू करना सही फैसला नहीं होता है। चिकित्सक ऐसे मरीजों का थोरेकोस्कोपी जांच कराएं। कारण पता कर इलाज शुरू करने से सफलता की संभावना बढ़ जाती है। पूर्वी यूपी में ही इस पर पहली बार रिसर्च हुआ है। इसे अंतराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित करने के लिए भेजा जा रहा है।