गोरखपुर (ब्यूरो)। सूचना पाकर पहुंचे बिजली कर्मी के अथक प्रयास के बाद सप्लाई बहाल की जा सकी।

बिजली सप्लाई ठप होने से 500 घर प्रभावित हो गए। लोगों के घरों में पानी का संकट गहरा गया। साथ ही इंवर्टर के बंद होने के बाद से लोगों का गर्मी में काफी परेशान होना पड़ा कंज्यूमर्स ने जेई और बिजली कर्मियों की इसकी सूचना दी। सूचना पर पहुंचे कर्मियों के प्रयास के बाद करीब 12.30 बजे सप्लाई शुरू होने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली।

हाई टेंप्रेचर में हाई बीपी से हो रहा ब्रेन स्टोक का अटैक

- बीपी घटने और बढऩे के चलते हो रही प्रॉब्लम

- जिले में डेली आते 20 से 30 परसेंट केस, 30 से 40 एजग्रुप के लोग

कहां जाता है कि ब्रेन हैमरेज का खतरा ठंड के मौसम में होता है, गर्मी में नहीं। लेकिन अब तथ्य गलत साबित हो रहा है। साथ ही इनमें एक दो परसेंट की बढ़ोत्तरी जरूर होती है। बीपी के मरीज के गर्मी आते ही राहत की सांस लेने लगते है साथ ही इलाज में लापरवाही बरतना शुरू कर देते है, जो उनके लिए घातक साबित हो रहा है।

विशेषज्ञ का कहना है कि ब्रेन हेमरेज से मौसम का कोई लेना देना नहीं है। इस भ्रम को हटाने और हाई ब्लड पे्रशर, डायबीटीज, हाई कोलेस्ट्राल जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोग को नियमित जांच कराने की जरूरत है। इतना ही नहीं मोटापे को हावी न होने दें और सही व संतुलित आहार को अपनी आदत में शामिल करें। सिगरेट-तंबाकू का सेवन करते हो तो तत्काल बंद कर दें।

ब्रेन स्ट्रोक अब बुजुर्गो को ही नहीं बल्कि यूथ भी बड़ी संख्या में इसके शिकार हो रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक के केसेज में 20 से 30 परसेंट ऐसे पेशेंट होते हैं जिनकी उम्र 40 साल से कम है। गोरखपुर की बात करें तो यहां भी डेली आने वाले 40 से 50 ब्रेन स्ट्रोक के केसेज में करीब 30 परसेंट यगेस्टर पेशेंट ही होते हैं।

न्यूरो विशेषज्ञ डॉ। मुकेश शुक्ला का कहना है कि साल दर साल यूथ में ब्रेन स्ट्रोक के केसेज बढ़ते ही जा रहे हैं, जो काफी चिंताजनक है। आज के युवा स्ट्रेस, अल्कोहल, स्मोकिंग आदि का सेवन कर रहे है, जो उनके लिए खतरा बन गया हैं। अनकंट्रोल हाईपर टेंशन के चलते वे स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें इससे सावधान रहने की जरूरत है और समय-समय पर डॉक्टर्स से संपर्क कर प्रॉपर अपनी जांच करानी चाहिए।

विशेषज्ञ के मुताबिक, टेम्प्रेचर ज्यादा बढऩे की वजह से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ब्रेन स्ट्रोक में दिमाग के सेल्स तक ऑक्सीजन ठीक से नहीं पहुंच पाती हैे। इस वजह से इसमें जान का खतरा भी रहता है।

कुल ब्रेन हैमरेज के मामलों में करीब 20 से 30 परसेंट तक ऐसे यगेस्टर हैं, जिनकी उम्र 40 साल से कम है। इन यगेस्टर पेशेंट्स में 60 परसेंट पुरुष हैं। इसका मुख्य कारण नशे की लत, खराब लाइफस्टाइल और जागरुकता का अभाव है। ब्लड वेन्स में सिकुडऩ या क्लॉटिंग (नलियों में वसा का जमना) के कारण दिमाग में ब्लड का प्रवाह कम हो जाता है, जब दिमाग के भीतर धमनियां फट जाती हैं तो इसे हैमरेजिक स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज कहते हैं।

टेम्प्रेचर को कम करने के अलावा, आपको अपनी सेहत से जुड़े अन्य फैक्टर्स का भी ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है। हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, जैसे फैक्टर्स भी स्ट्रोक के जोखिम को प्रभावित करते हैं। इसलिए इन रिस्क फैक्टर्स को भी मैनेज करना काफी जरूरी है। डायबिटीज और हाइपरटेंशन के पेशेंट्स में स्ट्रोक का खतरा बाकी लोगों की तुलना में काफी अधिक रहता है। इसलिए गर्मी के साथ इन फैक्टर्स का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी होता है। अगर किसी में स्ट्रोक के लक्षण दिखते हैं और खुद ही 24 घंटे के अंदर ठीक भी हो जाते हैं तो इसे ट्रांजियंट इस्कमिक स्ट्रोक (टीआईए) कहते हैं। यह ब्रेन स्ट्रोक की चेतावनी है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर्स से सलाह लेनी चाहिए।

स्ट्रोक होने पर क्या करें

मरीज को स्ट्रोक के साढ़े चार घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचाए। मरीज को धमनियों के माध्यम से दवाएं दी जाती हैं, जो मस्तिष्क में जाकर ब्लड के थक्के को तोड़ देती हैं।

बचाव के तरीके

- हाई रिस्क फैक्टर को जानें और बचें।

- अगर हार्ट, बीपी, शुगर या किडनी की बीमारी के मरीज हैं तो सतर्क रहें।

- बीमारी को नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से दवाओं का सेवन करते रहें।

- सिगरेट, खैनी, गुटखा व शराब के सेवन से बचें।

- मोटापा के शिकार हों तो वजन नियंत्रित रखें। दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करें।

- पानी खूब पिएं तथा जंक फूड से दूरी बनाए रखें।

- गर्मी में बीमारी से बचने के लिए कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें।

-ज्यादा गर्मी में घर से बाहर न निकलें।

- हल्के और सूती कपड़े पहनें।

- भोजन में नमक व सैच्युरेटेड फैट की मात्रा सीमित रखें।

लक्षण

- शरीर के आधे हिस्से में कमजोरी

- आधे चेहरे, एक हाथ या पैर में सुन्नपन या कमजोरी महसूस होना

- हाथ-पैर का संतुलन बिगडऩा

- बेहोशी आना

- सिर में तेजदर्द के साथ उल्टी और चक्कर आना

- भ्रम की स्थिति होना

- आंख से धुंधला या डबल दिखना, निगलने में परेशानी, चाल में लडखड़ाहट, आवाज में तुतलाहट या बंद होना

ब्रेन स्ट्रोक पेशेंट्स की प्रारंभिक जांचों में कुछ ब्लड टेस्ट और अन्य जांच कराया जाता है। प्रॉपर इलाज होने पर मरीज ठीक हो जाते हैं।

- डॉ। मुकेश शुक्ला, न्यूरो सर्जन

हिट वेव और लू के चलते ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है। पानी की कमी के चलते ब्लड का गाढ़ा होना मुख्य कारण है। सबसे ज्यादा इन दिनों यगेस्टर ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं। पेशेंट्स को चाहिए की वह डॉक्टर्स से संपर्क कर नियमित जांच कराएं।

डॉ। सौरभ श्रीवास्तव, न्यूरो सर्जन

केस 1- गोरखपुर जिले का रहने वाला 25 वर्षीय युवक सऊदी अरब में एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। कुछ रोज पहले घर लौटा। अचानक ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आ गया। परिजनों ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां उसका इलाज चल रहा है।

केस 2- बरगदवां के 42 वर्षीय व्यक्ति की बीपी हाई होने के बाद चक्कर के साथ उल्टी होने लगी। घर वाले डॉक्टर्स के पास ले गए। जांच के बाद पता चला कि ब्रेन हेमरेज हुआ है। एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।

रूस्तमपुर बिजली घर के एसडीओ ने बताया कि ओवरलोड की वजह से केबल बॉक्स दग गया था। मरम्मत कार्य पूरा करने के बाद सप्लाई बहाल करा दी गई है।

सात सालों बाद एक बार फिर बढ़ गया इनवर्टर-बैट्री का कारोबार

- सिटी में तमाम जगहों पर हो रहे निर्माण कार्यों से लड़खड़ाई बिजली व्यवस्था

- अप्रैल माह में कट चुकी है अबतक 185 घंटे बिजली

- बिजली के कटने से बढ़ गई इंवर्टर की बिक्री

इस साल अप्रैल महीने में ही तपती गर्मी और बिजली की कटौती ने आम लोगों को परेशान कर दिया है। आलम यह है कि बिजली की कटौती की समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोग इंवर्टरर और बैट्री खरीद रहे है, जिससे इनकी बिक्री में 20 से 25 परसेंट की बढ़ोतरी हो गई है। इनवर्टर कंपनियां भी तरह-तरह की सुविधाएं दे रही हैं। लोगों में भी काफी उत्साह देखने को मलि रहा है। ब्रांडेड इंवर्टरर और बैट्री तीन से चार सालों तक की वारंटी पर उपलब्ध कराया जा रहा है। दरअसल, सिटी में इन दिनों विकास के काम काफी तेजी से चल रहे हैं। इसके साथ ही बारिश से पूर्व सड़क और नाले का निर्माण कार्य भी जोरों पर हैै। इसके चलते आए दिन लोगों को फाल्ट और बिजली की कटौती की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बिजली निगम से मिली जानकारी के मुताबिक अप्रैल माह में 185 घंटे बिजली कटौती हो चुकी है। इससे इनवर्टर और बैट्री की बिक्री जोरों पर है। वहीं, बिक्री बढऩे से इनवर्टर और बैट्री के व्यापारी काफी उत्साहित हैं।

निजी बैंक कर रहे फाइनेंस

गर्मी से राहत देने के लिए निजी बैंक खरीदारों को फाइनेंस के लिए भी तैयार हैं। इसके लिए मौजूदा स्कीम की जानकारी दी जा रही है। ब्रांडेड इंवर्टरर व बैट्री एक साथ यानी (कॉम्बों) कई रेंज में मौजूद हैं। इसमें न्यूनतम 15 हजार से अधिकतम 29 हजार तक की रेट तय की गई है। कुछ कंपनियां अपने कार्ड धारकों को जीरो डाउन पेमेंट पर भी इसे फाइनेंस कर रही हैं। इससे खरीदारों को इनवर्टर-बैट्री खरीदना आसान हो रहा है।

सात साल की गारंटी, बढ़ रही मांग

तीन से चार साल की नहीं अब बाजार में सात साल तक की गारंटी वाली बैट्रियां उपलब्ध हैं। इसके लेकर कस्टमर में काफी उत्साह देखा जा रहा है। साथ ही 250 एम्पीयर तक बैट्री भी है, जो ज्यादा बैकअप दे रही है। बाजार में इनवर्टर 800 वाट की क्षमता से शुरू होकर अधिकतम 1800 वाट तक की है। इनकी कीमत 4500 से लेकर 8000 रुपये तक है। वही,ं बैट्री की कीमत 9 हजार रुपये से शुरू होकर 21 हजार रुपये तक है।

अप्रैल माह में बैट्री और इंवर्टरर की बिक्री में काफी उछाल आया था। इसका मुख्य कारण विकास कार्य है। सिटी में जगह-जगह काम चल रहे हैं इससे बिजली कटौती बढ़ी है। इसका असर इस बार इनवर्टर और बैट्री व्यापार पर पड़ा है। इस बार 15 से 20 फीसद तक बिक्री में उछाल आया है।

- दीपक जायसवाल, बैट्री-इंवर्टरर डीलर.

- बिजली की कटौती पिछले पांच सालों से काफी कम हो रही थी, इससे लोगों को इंवर्टर और बैट्री की आवश्यकता ही नहीं पड़ रही थी, लेकिन इस साल बिजली कटौती बढऩे से लोगों ने इंवर्टर और बैट्री की खरीदारी की है। इससे व्यापार ठीक हुआ है।

- अमित जायसवाल, डीलर इंवर्टर-बैट्री

पिछले कई सालों से गर्मी में बिजली कटौती नहीं हो रही थी, ऐसे में इंवर्टर और बैटरी का ज्यादा इस्तेमाल ही नहीं हुआ, लेकिन इस बार जमकर बिजली कटौती हो रही है, बैट्री पुराना हो गया था और बैकअप नहीं दे रहा था तो इस बार नई बैट्री खरीदी है।

- सुरेंद्र, दाउदपुर

कई सालों से इंवर्टर और बैट्री पर ज्यादा लोड नहीं पड़ु रहा था, तो पता ही नहीं चल रहा था, लेकिन इस बार इंवर्टर और बैट्री दोनों ने ही जवाब दे दिया है, ऐसे में नई इंवर्टर और बैट्री खरीदनी पड़ी है। पहले की तुलना में दोनों की कीमतें भी बढ़ गई हैं।

- जितेंद्र, शाहपुर