गोरखपुर (ब्यूरो)। ऐसे ही लोगों की तकदीर बदलने के लिए गोरखपुर के यूथ ने अपना कदम बढ़ाया है। पढ़े-लिखे ये युवा अब सरकारी स्कूलों और सड़कों पर घूमने वाले बच्चों को भी उस लेवल की एजुकेशन देने में लगे हैं, जिससे कि न सिर्फ वह पढऩे-लिखने में हुनरमंद हो जाएं, बल्कि उनकी जिंदगानी भी बदल जाएगा। पढ़ाने के साथ ही ये यूथ उन्हें अब्दुल कलाम की कहानियां सुनाकर उनकी सोच और जिंदगी बदले की कोशिश में लग गए हैं। देश को ऐसी ही जेनरेशन की जरूरत है, जो अपने साथ भारत का फ्यूचर संवारने की ताकत रखते हों। आइए आपको गोरखपुर के ऐसे युवाओं से मिलवाते हैं, जो अपने सपने के साथ ही दूसरों के सपने को हकीकत में बदलने का प्रयास कर रहे हैं।

प्लास्टिक के बदले पढ़ाती हैं अनिता और नंदिनी

सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए इस समय की बड़ी समस्या है। इसका निदान तो सिर्फ केारम पूरा करने के लिए हो रहा है। मगर गोरखपुर की दो ऐसी बेटियां हैं, जिन्होंने प्लास्टिक को दूर करने के साथ ही नई पीढ़ी को एजुकेट करने का जिम्मा उठाया है। अनिता और नंदिनी इस पॉलीथिन के लिए हानिकारक बन गई हैं। अनिता और नंदिनी मिलकर 100 से अधिक एलकेजी से क्लास 8 तक के बच्चों को पढ़ा रही हैं। इसके बदले में फीस के रूप में हर बच्चे से यह 10 प्लास्टिक लेती हैं। जंगल तिकोनियां नंबर 2 की रहने वाली एमए पास अनिता निषाद और बीए कर रही नंदिनी प्रजापति साल 2015 से ही अपने वार्ड के एक बागिचे में बच्चों को फ्री में पढ़ाना शुरू किया। पढ़ाई के बदले में जब बच्चों ने फीस पूछी तो उनसे दस-दस प्लास्टिक लेने लगीं। तीन माह में करीब 6 कुंतल तक प्लास्टिक डंप हो जाता है। फिर इसे एक दुकान पर देते हैं, जहां पर इन प्लास्टिकों से सड़क के लिए करैल बनाया जाता है।

स्लम चिल्ड्रेन का फ्चूयर संवार रहीं सोनिका

सड़क पर घूमने वाले और आर्थिक तंगी झेल रहे परिवार के बच्चों का फ्यूचर सोनिका खरवार संवार रही हैं। इनको सभी बच्चे सोनिका दीदी कहकर पुकारते हैं। गरीब बस्तियों में जाकर वहां स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को सोनिका खोजकर निकालती हैं। फिर उन्हें कुछ दिन पढ़ाकर स्कूल में दाखिला भी दिलवाती हैं। सिटी कई एरियाज में सोनिका की क्लास आपको चलती मिल जाएगी। सोनिका बताती हैं कि वर्तमान समय में उनके पास अलग-अलग एरियाज के 100 से अधिक बच्चे हैं। जिन्हें उनकी टीम शिक्षित कर रही है। उन्होंने बताया कि मैं बच्चों को इस लायक बनाने का प्रयास करती हूं कि उनका किसी भी स्कूल में दाखिला आसानी से हो जाए।

इंजीनियर पढ़ाते हैं मैथ्स और साइंस

मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी ने भी 8 सरकारी स्कूलों को गोद लिया गया है। यहां के स्टूडेंट हर शनिवार को इन स्कूलों के अलावा जहां से डिमांड आती है, वहां मैथ्स और साइंस पढ़ाने जाते हैं। यहां पर अधिष्ठाता विस्तार क्षेत्रीय गतिविधियां और पुरातन संबंध सेल बनाया गया है। जिसके डीन पीके सिंह और एसोसिएट डीन अवधेश कुमार को बनाया गया है। इनके नेतृत्व में कॉलेज के 24 बच्चे 3-3 की टोली में हर शनिवार को सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने जाते हैं। इसके साथ ही यह इंजीनियरिंग करने वाले स्टूडेंट माह में एक दिन बच्चों के साथ बस से कहीं टूर पर भी जाते हैं। जहां पर बच्चों के साथ खेलना और इंज्वाय करते हैं।

बच्चों में पढऩे की अलख जगा रही एबीवीपी

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद गोरखपुर महानगर इकाई द्वारा रामलीला मैदान के पास मानसरोवर मन्दिर परिसर में लगातार 3 वर्षों से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। शुरूआत में यह मुहिम अगल-बगल की बस्ती के 4 से 5 स्टूडेंट के साथ शुरू हुई। इस पाठशाला में बच्चों के साथ-साथ इनके अभिभावक भी रुचि लेने लगे, वह खुशी खुशी अपने बच्चों को भेजने लगे। वर्तमान समय में 50 से 60 बच्चे डेली पढऩे आ रहे हैं। इन बच्चों को निशुल्क पढ़ाकर इस तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है कि वह अच्छे स्कूलों में दाखिला पा सकें और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। एबीवीपी के प्रभात राय चंचल, हरिकेश तिवारी, अमन सिंह, अभिषेक कुमार, आशीष त्रिपाठी, सुमित श्रीवास्तव, सिद्घार्थ शुक्ला, राधा, अनन्या, प्राची त्रिपाठी, आलोक गुप्ता और नीतीश सिंह की टीम बच्चों में पढऩे की अलख जगा रही है