गोरखपुर (अनुराग पांडेय)।पुलिस के पास कई ऐसे मामले आते हैं, जिसमें बच्चे की उम्र देखकर लगता ही नहीं है कि इसमें उसका इनवॉल्वमेंट होगा। इंटरनेट की दुनिया में खोए बच्चे कभी गेम की खातिर तो कभी अपने शौक के लिए घर का ही खजाना खाली कर देते हैं। ऐसे मामलों में जब घरवालों को सही बात पता भी चलती है तो वे कुछ कर नहीं पाते हैं।
हर साल आते हैं 40 से 50 मामले
गोरखपुर में बच्चों द्वारा किए गए साइबर अपराध के 40 से 50 मामले पुलिस तक पहुंचते हैं। लेकिन अधिकतर मामलों में घर के बच्चे ही इनवॉल्व होते हैं, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं होती है। साइबर एक्सपर्ट की मानें तो ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले बच्चों की उम्र 10 से 15 वर्ष के करीब होती है।
गेम खेलने के लिए घर के उड़ाए पैसे
सितंबर 2022 में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। पबजी गेम बंद होने के बाद बीजीएमआई गेम बच्चों की पहली पंसद बन गया। इस गेम की लत में आए शाहपुर के एक बच्चे ने घर के एटीएम कार्ड से पैसे भेजता था। इसी बीच किसी ने उसका अकाउंट हैक कर दिया। हैक करने वाले ने उस बच्चे से अकाउंट के बदले पैसे की डिमांड की। बच्चे ने कुछ पैसे दिए भी लेकिन उसका अकाउंट सही नहीं हुआ। जब घर वालों को इसकी जानकारी हुई तो वे बच्चे की हरकत देख भौचक्का हो गए। उन्होंने बच्चे से पैसे मांगने वाले के खिलाफ साइबर सेल में शिकायत की।
क्लासमेट की आईडी से धमकी दे रही थी छात्रा
साल 2022 में पीपीगंज थाना क्षेत्र की एक छात्र क्लासमेट को उसी की आईडी से धमकी दे रही था। मामला साइबर थाने पहुंचा तो पुलिस भी भौचक रह गई। भला नौंवी में पढऩे वाली बच्ची का कौन ब्वाय फ्रेंड होगा। छानबीन के दौरान पता चला कि उसे धमकी देने वाली उसी के क्लास के छात्र है।
गर्लफ्रेंड को पार्टी देने के लिए निकाले 2.02 लाख
2021 में चौरीचौरा क्षेत्र में नवीं में पढऩे वाले एक 13 वर्षीय बालक ने गर्लफ्रेंड के मोबाइल व दोस्तों की पार्टी के लिए बाबा के खाते से 2.02 लाख रुपये निकाल लिए थे। करीब माह भर तक साइबर थाने की टीम इस मामले में परेशान रही। पीडि़त का दावा कि वह बैंक गया ही नहीं था और ना ही एटीएम का उपयोग किया था। छानबीन के दौरान पता चला कि बच्चे ने थंब स्कैनर पर बाबा का अंगूठा लगवाकर तीन माह में यह रुपये निकाले हैं और बार-बार वह बाबा को कहता रहा कि वह टयुशन के लिए रुपये निकाल रहा है।
पिता के मोबाइल की ओटीपी बताकर गंवाए 1.75 लाख
2021 में ही रेतीचौक के पास के छठवीं में पढऩे वाले एक बच्चे ने पबजी खेल के दौरान जालसाजों ने पिता के मोबाइल की ओटीपी बताकर 1.75 लाख रुपए गंवा दिए। इस प्रकरण में भी पुलिस करीब सप्ताह भर तक परेशान रही। बाद में पता चला कि घटना को बच्चे ने अंजाम दिया है तो स्वजन भी बैकफुट पर आ गए।
पेरेंट्स को ध्यान देना होगा उनका बच्चा कितना समय मोबाइल में बीता रहा है। नासमझी में बच्चे गलती कर बैठते हैं, जिससे वे साइबर अपराध के भी शिकार होते हैं। ऐसे में बच्चों को मोबाइल, इंटरनेट के अच्छा और बुरे दोनों पहलू बताने होंगे।
इंदूप्रभा सिंह, एसपी क्राइम