गोरखपुर : जिला पंचायत ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले व्यापार से लाइसेंस शुल्क वसूलता है। हर वर्ष यह शुल्क दुकानदारों से लिया जाता है। इससे पहले 2017 में यह दरें संशोधित की गई थीं। कपड़े की दुकान, किराना की दुकान, बिसाता, मेडिकल स्टोर, नर्सिंग होम, कास्मेटिक, साइकिल मरम्मत, आभूषण की दुकान, जलौनी लकड़ी के व्यवसाय, घड़ी के मरम्मत का व्यवसाय करने वालों से भी लाइसेंस शुल्क बढ़ाकर लिया जाएगा। कृषि, खाद, बीज की दुकानों का लाइसेंस शुल्क भी बढ़ाया गया है। शराब, बीयर आदि दुकानों पर भी नया नियम लागू होगा। मकान की शटङ्क्षरग करने वाले लोग भी इस जद में आएंगे। कबाड़ से जुड़ी छोटी-बड़ी दुकान का लाइसेंस शुल्क भी बढ़ाया गया है। धर्मकांटा व पशुओं का आहार बेचने वाले दुकानदारों को भी बढ़ा हुआ लाइसेंस शुल्क देना होगा। इसके साथ ही मछली, अंडा, मिठाई, चाय, पान, फल, सब्जी, ढाबा, रूई धुनने के व्यवसाय पर भी लाइसेंस शुल्क बढ़ाया गया है। अपर मुख्य अधिकारी वीके ङ्क्षसह ने बताया कि जिला पंचायत की बैठक में लाइसेंस शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इसको लेकर आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं।


35 नए तरह के व्यवसायों के लिए भी लेना होगा लाइसेंस


गोरखपुर : अपर मुख्य अधिकारी ने बताया कि कई तरह के व्यवसाय लाइसेंस शुल्क की सूची से बाहर थे। ऐसे 35 नए व्यवसायों को सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि अब वाटर पार्क, स्टेडियम, रिजार्ट, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, सीएनजी पंप, रेस्टोरेंट एवं बार, ग्राहक सेवा केंद्र-मनी ट्रांसफर, जिम, कोङ्क्षचग संस्थान, तकनीकी एवं उच्च शिक्षण संस्थान, कैटरर, नर्सरी, बिल्डर, ट्रेवेल एजेंसी के लिए भी जिला पंचायत से लाइसेंस लेना होगा। नए शामिल व्यवसायों का लाइसेंस शुल्क 500 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये वार्षिक तक निर्धारित किया गया है।