गोरखपुर: लाइफस्टाइल और मोबाइल फोन के यूज की अवधि के बारे में की गई जानकारी में यह तथ्य सामने आया है कि मोबाइल फोन के रेडिएशन से ब्रेन में ट््यूमर (गांठ) बन रही है। इससे पहले नई दिल्ली ओर कई दूसरे देशों में हुए स्टडी में यह जानकारी सामने आ चुकी है।
यहां हो चुका रिसर्च
चीन, अमेरिका, स्वीडन, कोरिया, जापान, फिनलैंड, थाइलैंड, फ्रांस आदि कई देशों ने एक मेटा-विश्लेषण स्टडी में हिस्सा लेकर डेटा एकत्र किया। निष्कर्ष निकला कि ग्लियोमा, मेनिंगगियोमा, ध्वनिक जैसे मस्तिष्क ट््यूमर 10 वर्ष या इससे अधिक समय तक मोबाइल का यूज करने वालों में मिल रहे हैं। राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) केरल में किए गए एक स्टडी में सामने आया कि मोबाइल फोन का यूज करने वालों में सिरदर्द, चक्कर आना, सुन्नता, सीने में भारीपन के लक्षण मिलते हैं।
रेडिएशन का खतरा
मोबाइल फोन से जितना रेडिएशन विकिरण निकलता है। यह शरीर और ब्रेन के लिए खतरनाक होता है। इसकी माप विशिष्ट अवशोषण दर (एसएआर) से की जाती है। एसएआर उस दर का माप है, जिसपर रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र के संपर्क में आने पर मानव शरीर प्रति यूनिट द्रव्यमान में ऊर्जा अवशोषित करता है। इसकी इकाई वाट प्रति किलोग्राम है।
ये है लक्षण
- सिर में दर्द
- उल्टी
- आंखों की रोशनी कम होना
- व्यवहार में परिवर्तन
- अवसाद में जाना
- चिंतित रहना
- कमजोरी
- असामान्य संवेदनाएं
- संतुलन की समस्या
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
अधिक रेडिएशन वाले मोबाइल फोन का ज्यादा यूज करने वालों के ब्रेन की कोशिकाओं और उसकी झिल्ली में ट््यूमर बनता है। यह 10 से 20 सेंटीमीटर तक का हो सकता है। जैसे ही ट््यूमर के बारे में पता चले। ऑपरेशन करा लेना चाहिए। एम्स गोरखपुर में 20 पेशेंट्स का सफल ऑपरेशन हो चुका है। सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड से इसकी जानकारी होती है।
डॉ। राहुल गुप्ता, न्यूरो सर्जन, एम्स गोरखपुर