Gorakhpur News: दुनियाभर को धर्म का मर्म समझाने वाली गीता प्रेस 18 पुराणों के श्रृंखला की अंतिम कड़ी में ब्रह्मंड पुराण का प्रकाशन करने जा रहा है। 12 हजार श्लोक के हिंदी टीका के साथ इसे बड़े ग्रंथाकार के रूप में छापने की तैयारी है। हिंदी अनुवाद का काम लगभग पूरा होने वाला है। अनुवाद पूरा होने के बाद इसकी छपाई शुरू हो जाएगी, जिसके बाद यह पुराण बाजार में लाया जाएगा।

ब्रह्मंड पुराण में होंगे ये साहित्य

ब्रह्मंड पुराण की पांडुलिपियां विश्वकोश हैं, जो ब्रह्मंड विज्ञान, संस्कार, वंशावली, नैतिकता और कर्तव्य (धर्म) पर अध्याय, योग, भूगोल, नदियां, अच्छी सरकार, प्रशासन, कूटनीति, व्यापार, त्योहार, कश्मीर, कटक, कांचीपुरम जैसे स्थानों के लिए एक यात्रा गाइड और अन्य महत्वपूर्ण विषयों को समेटे हुए है।

33 लाख से अधिक पुराणों प्रकाशन
श्रीमद्भागवत गीता और श्रीरामचरित मानस का नाम लोगों के जहन में आता है। इन्हीं के बीच गीता प्रेस से प्रकाशित होने वाले पुराण भी विशेष स्थान रखते हैं। इसका प्रमाण है पुराणों की प्रकाशित होने वाली प्रतियों की संख्या। गीता प्रेस से अब तक विभिन्न भाषाओं में 33 लाख से अधिक पुराणों का प्रकाशन हो चुका है।

ऐसे शुरू हुआ पुराण प्रकाशन
धार्मिक पुस्तकों के लिए गीता प्रेस की दुनियाभर में पहचान है। दुनिया में शायद ही ऐसा कोई हिंदू घर हो जहां गीता प्रेस से प्रकाशित धार्मिक पुस्तकें न हों। गीता प्रेस से हर साल लाखों की संख्या में धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। बात यदि पुराणों की करें तो गीता प्रेस के स्थापना काल के 10 वर्षों बाद यानी 1933 से पुराणों का प्रकाशन शुरू हुआ। सबसे पहले विष्णु पुराण प्रकाशित किया गया। इसकी अपार सफलता के बाद निरंतर पुराणों का प्रकाशन किया जा रहा है।

इन पुराणों का हुआ है प्रकाशन
- 1933 में गीता प्रेस से विष्णु पुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में 333250, गुजराती में 9000, तमिल में 1500 और बंगला में 11000 हजार प्रतियां विष्णु पुराण की प्रकाशित हो चुकीं हैं।
-1986 में पदम पुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में 180000 और गुजराती में 3000 प्रतियां पदम पुराण की प्रकाशित हो चुकीं हैं।
-1993 में स्कंद पुराण का प्रकाशन हुआ। हिंदी में 124500 और गुजराती में 3000 प्रतियां स्कंद पुराण की प्रकाशित हुईं हैं।
-1994 में ब्रह्म वैवर्त पुराण का प्रकाशन हुआ। हिंदी में 73000 और गुजराती में 2500 प्रतियां ब्रह्म वैवर्त पुराण की प्रकाशित हुईं हैं।
-1997 से शिव महापुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में 835500, गुजारती में 168000, बंगला में 27000, तेलगु में 30000, तमिल में 4000 और कन्नड़ में 15500 प्रतियां शिव महापुराण की प्रकाशित हो चुकीं हैं।
- 1998 में भविष्य पुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में 85500 एवं गुजराती में 5000 प्रतियां भविष्य पुराण की प्रकाशित हुईं हैं।
- 1999 में देवी भागवत पुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में 205200, गुजराती में 71000, तेलगु सटीक 21500, तेलगु मूल 3000 एवं कन्नड़ में 5000 प्रतियां देवी भागवत पुराण की प्रकाशित हो चुकीं हैं।
- 1999 में भागवतांक प्रकाशित हुआ। इसके हिंदी में 4000 हजार प्रतियां प्रकाशित हुईं।
- 2000 में मार्कंडेय पुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में 115000, गुजराती में 8000 और तेलगु में 6000 मार्कंडेय पुराण की प्रतियों का प्रकाशन हुआ है।
- 2000 में नारद पुराण का प्रकाशन हुआ। हिंदी में 82500 एवं गुजराती में 4000 प्रतियां नारद पुराण की प्रकाशित हुईं हैं।
- 2000 में ब्रह्मपुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। अब तक हिंदी में 65000 और गुजराती में 3500 प्रतियां प्रकाशित हो चुकीं हैं।
- 2001 में वारह पुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में अब तक 41000 प्रतियां प्रकाशित हो चुकीं हैं।
- 2001 में गरुण पुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। अब तक हिंदी में 164000 और गुजराती में 11000 प्रतियां प्रकाशित हुईं हैं।
- 2002 में अग्नि पुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में अब तक 74000 प्रतियां प्रकाशित हो चुकीं हैं।
- 2002 में वामन पुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में 42000 प्रतियां प्रकाशित हुईं हैं।
- 2004 में मत्स्य महापुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में इसकी 46500 प्रतियां प्रकाशित हुईं हैं।
- 2004 में कूर्म पुराण का प्रकाशन शुरू हुआ। हिंदी में 37500 प्रतियां प्रकाशित हो चुकीं हैं।
- 2010 में देवी भागवत पुराण भाग 1 व 2 का प्रकाशन हुआ। हिंदी में 130000 प्रतियां प्रकाशित हुईं हैं।
- 2014 में लिङ्ग पुराण का प्रकाशन हुआ। हिंदी में 23000 और गुजराती में 2000 प्रतियां प्रकाशित हुईं हैं।
- 2019 में शिव महापुराण सटीक का प्रकाशन हुआ। हिंदी में इसकी 24000 प्रतियां प्रकाशित हुईं हैं।

इन उप पुराणों का हुआ है प्रकाशन
- 1999 में नरसिंह पुराण इसके हिंदी में 53500 प्रतियां प्रकाशित हुईं हैं।
- 2005 में महाभागवत देवी पुराण सटीक की 37000 प्रतियां प्रकाशित हुईं हैं।

भविष्य पुराण का प्रकाशन हुआ बंद
गीता प्रेस ने भविष्य पुराण के प्रकाशन को 2020 से बंद कर दिया है। 18 पुराणों में से एक भविष्य पुराण में कुछ तथ्यों पर आपत्ति आने के बाद गीता प्रेस प्रबंधन ने भविष्य पुराण का प्रकाशन बंद किया था। गीता प्रेस प्रबंधन का कहना है कि विवादित तथ्यों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। ऐसे अंशों को निकाल कर जल्द ही भविष्य पुराण का प्रकाशन किया जा सकता है।


ब्रह्मंड पुराण के हिंदी अनुवाद का काम चल रहा है। अनुवाद के बाद इसकी छपाई का काम शुरू होगा। पुराणों की श्रृंखला में यह अंतिम पुराण है।
डॉ। लालमणि तिवारी, प्रबंधक गीता प्रेस