गोरखपुर(ब्यूरो): आयुष्मान कार्डधारकों को गुमराह कर वे निजी अस्पताल पहुंचा देते थे। अब वेंडर तय हो जाने से इंप्लांट की आपूर्ति हो सकेगी और उनका उपचार सुपर स्पेशियलिटी में ही हो सकेगा। दलालों का काला धंधा बंद होगा।

2019 में बना था ब्लाक


सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक 2019 में बनकर तैयार हो गया था। लेकिन सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर न मिलने से यह ब्लाक उस समय शुरू नहीं हो पाया। 2020 में इस ब्लाक को लेवल थ्री कोविड अस्पताल बनाया गया। कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद नवंबर, 2021 में सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर मिल गए। तभी से यह अस्पताल उन गंभीर रोगों का उपचार कर रहा है, जिसके लिए रोगियों को लखनऊ या दिल्ली जाना पड़ता था। रोगियों की एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी होने के साथ ही पेसमेकर भी लगाए जा रहे हैं। न्यूरो व यूरो के रोगियों का आपरेशन हो रहा है। लेकिन उन्हें इंप्लांट बाहर से खरीदना पड़ता है। वेंडर तय होने से अब आयुष्मान लाभार्थियों के उपचार का रास्ता भी साफ हो गया है।


सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में आयुष्मान लाभार्थियों का वही उपचार हो पा रहा था जिसमें इंप्लाट की जरूरत नहीं थी। अब इंप्लांट भी मिलने लगेगा और ऐसे रोगियों के गंभीर आपरेशन भी संभव होंगे। वेंडर तय हो चुका है। अब आयुष्मान योजना के पात्र रोगियों को अन्यत्र जाने की जरूरत नहीं होगी।
-डा। राजेश कुमार राय, चिकित्सा अधीक्षक, सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक, बीआरडी मेडिकल कालेज

सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में छह कार्डियोलाजिस्ट, तीन न्यूरो सर्जन, तीन न्यूरोलाजिस्ट, दो यूरोलाजिस्ट, तीन गैस्ट्रोएंट्रोलाजिस्ट व एक आंकोलाजिस्ट तैनात हैं। नेफ्रोलाजिस्ट व कार्डियोवैस्कुलर थोरेसिक सर्जन की तैनाती की प्रक्रिया भी चल रही है।
-डा। रामकुमार जायसवाल, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कालेज