गोरखपुर (ब्यूरो)। समय से एसी की मरम्मत नहीं होने से गर्म हवा के बीच लोको पायलट आठ से नौ घंटे के बजाय 10 से 12 घंटे ट्रेन चलाने को मजबूर हैं। कुछ ड्यूटी पूरी होने पर वापस हो जा रहे तो कुछ की तबीयत खराब हो जा रही। इसको लेकर रङ्क्षनग स्टाफ में आक्रोश है। 11 अप्रैल को बस्ती से गोंडा जा रही बीसीएन अप मालगाड़ी में लगे इलेक्ट्रिक इंजन डब्लू एजी-9 में लगा एसी फेल हो गया। ट्रेन लेकर चल रहे लोको पायलट ने संबंधित अधिकारियों से इसकी शिकायत की, लेकिन समाधान नहीं हुआ। अधिकारियों का कहना था कि बरौनी का इंजन है। उनके पास एसी मरम्मत की कोई व्यवस्था नहीं है। 12 अप्रैल को गोंडा में मालगाड़ी में लगे इंजन का एसी जवाब दे गया। 17 अप्रैल को गोरखपुर-गोंडा अप बीसीएन मालगाड़ी के इंजन में लगा एसी गर्म हवा देने लगा। लोको पायलट परेशान हो उठे। मालगाड़ी 10 घंटे में गोंडा पहुंची। गोंडा पहुंचने में एक लोको पायलट की तबीयत खराब हो गई। यह तो कुछ उदाहरण हैं। अप्रैल से गर्मी बढ़ते ही इंजनों में लगे एसी रास्ते में ही जवाब देने लगे हैं।
60-70 प्रतिशत खराब है एसी
लोको पायलट दूर से इंजन में लगे एसी को देख खुश हो जाते हैं, लेकिन जब अंदर पहुंचते हैं तो लिखा होता है एसी नाट वर्किंग। यह पढ़कर निराश हो जाते हैं। इंजनों में लगे 60 से 70 प्रतिशत इंजन खराब ही चल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि लोको पायलटों के केबिन के पीछे ही ट्रांसफार्मर होता है। इसके चलते बाहर के तापमान से अंदर केबिन का तापमान 15 डिग्री बढ़ जाता है। इसके बाद भी संबंधित अधिकारी लोको पायलटों को 11 घंटे ट्रेन चलाने का मेमो पकड़ा देते हैं। गोरखपुर से गोंडा और रोजा (शाहजहांपुर) तक जाने में 12 घंटे से अधिक लग जाते हैं। आरोप है कि 12 घंटे से अधिक की ड्यूटी कर आफिस पहुंचे लोको पायलटों की ड्यूटी रिकार्ड में कम कर दी जाती है। दरअसल, ट्रेन के कोचों में लगे एसी की मरम्मत के लिए रेलवे का स्टाफ चलता है, लेकिन इंजनों का एसी खराब हो जाने के बाद कहीं कोई सुध लेने वाला नहीं होता। लोको पायलट अपने साथ नींबू-पानी, इलेक्ट्राल और अन्य जरूरी दवाइयां लेकर चलने लगे हैं। एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्ता कहते हैं कि लू में भी लोको पायलटों को 12 घंटे से अधिक की ड्यूटी करनी पड़ रही है। सर्वाधिक परेशानी मालगाड़ी के लोको पायलटों को हो रही है। एक तो सभी इंजनों में एसी नहीं लगे हैं, जिनमें लगे हैं वे भी फेल हो जा रहे। रेलवे प्रशासन रेलवे की संरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यथाशीघ्र एसी को दुरुस्त कराने की व्यवस्था नहीं हुई तो प्रकरण को आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के माध्यम से रेलवे बोर्ड में उठाया जाएगा।