गोरखपुर (ब्यूरो)।पैनिक बटन बंद पड़े हैं। साथ ही दिव्यांगों के लिए बने रैम्प में जंग लग चुकी है। इतना ही नहीं दरवाजे भी अक्सर खुले रहते हैं। इससे पैसेंजर्स को काफी प्रॉब्लम है, पर रोडवेज प्रशासन और डिपो मैनेजर ने पूरी तरह से अनदेखी कर रखी है।

बस के दोनों तरफ के दरवाजे खुले

महानगर के विभिन्न रूटों में 27 ई-बसों का संचालन किया जा रहा है। बसों की हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम गुरुवार को यूनिवर्सिटी चौराहे पर पहुंची। यहां से ई-बस यूपी53एचटी1114 पैसेंजर लेकर गुजरती दिखाई दी। हाथ देने पर ड्राइवर ने बस को साइड में रोक दिया। बस के दोनों तरफ के दरवाजे खुले मिले। एसी काम नहीं कर रहा था। साथ ही पैसेंजर सीट के ऊपर लगे पैनिक बटन दबाकर देखा गया तो वह भी काम नहीं कर रहा था। इसके बारे में जब ड्राइवर से बात की गई तो नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मरम्मत के लिए कई बार कंप्लेन की गई है, लेकिन इसे दुरुस्त नहीं किया गया है। यही हाल यूपी53एचटी 1120 बस का मिला। उधर पैसेंजर्स का कहना है कि बस का किराया तो पूरा लिया जा रहा है, लेकिन सुविधा आधी भी नहीं मिल पा रही हैं। बस के ड्राइवर और कंडक्टर से जब कहा जाता है तो वह तरह-तरह की बहानेबाजी करते हैं।

हैंडल का स्टॉप बटन नहीं कर रहा काम

ई-बस में पैसेंजर्स की सुविधा को देखते हुए एंट्री गेट के पास स्टॉप बटन लगा है, लेकिन जर्नी के दौरान पैसेंजर को कहीं उतरना है तो उसे ड्राइवर व कंडक्टर को आवाज देनी पड़ती है। बस को रुकवाने के लिए गेट के पास हैंडल में लगा स्टॉप बटन भी काम नहीं कर रहे हैं।

रैम्प में लगी जंग

ई-बस में दिव्यांगों की सुविधा के लिए रैम्प बनाया गया है, ताकि स्टॉपेज पर बस रुकती है तो रैम्प के सहारे दिव्यांग आसानी से बस में चढ़ और उतर सकें, लेकिन जब रैम्प को चेक किया गया तो उसमें जंग लगी मिली। वह काम नहीं कर रहा था। कंडक्टर ने उसे खोलने की कोशिश भी की, मगर वह नहीं खुल सका।

महिला सीट पर पुरुषों का कब्जा

ई बसों में बेशक महिलाओं के लिए चार सीट रिजर्व की गई हो,ं लेकिन इन पर बैठकर सफर करना महिलाओं के लिए आसान नहीं है। पहले से रिजर्व सीट पर बैठा कोई पुरुष खुद उठकर सीट देता है, तो ही महिलाओं को यह नसीब होती है। अन्यथा भरी बस में उनके लिए खड़े रहकर सफर करना ही मजबूरी है। जबकि कंडक्टर्स को निर्देश हैं कि वे महिलाओं को रिजर्व सीट दिलाएंगे।

सिटी में पैसेंजर्स की सुविधा के लिए ई-बस का संचालन किया जा रहा है। मगर बस के अंदर एसी और पैनिक बटन काम नहीं कर रहा है। कंप्लेन करने पर हीलाहवाली की जाती है।

अनुराग शुक्ला, पैसेंजर

सुविधा के नाम पर किराया तो लिया जा रहा है, लेकिन बस के अंदर व्यवस्था पूरी तरह चौपट हैं। एसी नहीं चलने से पैसेंजर्स को परेशानी होती है।

प्राची सिंह, पैसेंजर

ई-बसों को डिपो में चेक किया जाता है। जो भी कमियां रहती हैं। उन्हें दुरुस्त किया जाता है। अगर बस में कोई भी खराबी होती है तो उसे रूट पर नहीं चलाया जाता है।

केके मिश्रा, डिपो मैनेजर महेसरा