गोरखपुर (ब्यूरो)। मरीजों के लिए ये जहां मददगार साबित हुए, वहीं गर्भवती महिलाएं, मेजर सर्जरी और थैलेसीमिया पीडि़त बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। इसके अलावा सिटी के कई एसोसिएशन रक्तदान के साथ औरों को प्रेरित कर रहे हैं। वल्र्ड ब्लड डोनेशन डे पर पेश है विशेष रिपोर्ट

डॉ। रूप कुमार बनर्जी

81 बार डोनेशन

सिटी के प्रमुख डॉक्टर्स में शामिल डॉ। रूप कुमार बनर्जी अब तक 81 बार ब्लड कर चुके हैं। 18 साल की उम्र में उन्हें जब ब्लड देने के फायदे जानने के बाद इन्होंने साल में दो बार उन्होंने ब्लड देने का नियम बना लिया। अब 61 साल की उम्र में भी पूरी तरह से फिट हैं। डॉ। बनर्जी ने बताया कि उन्होंने दिल्ली में एक बड़े राजनेता को भी ब्लड दिया है। उन्होंने कहा कि कहा कि हर स्वस्थ व्यक्ति को ब्लड डोनेट करना चाहिए।

जसपाल सिंह

80 बार डोनेशन

सिटी के पॉम पैराडाइज में रहने वाले गुरुद्वारा कमेटी जटाशंकर के अध्यक्ष 71 साल के सरदार जसपाल सिंह ने 80 बार ब्लड डोनेट कर मानवता की मिसाल पेश की है। जसपाल सिंह ने बताया कि उनके ब्लड डोनेट करने की शुरुआत करीब 25 साल पहले हुई जब उनके एक रिलेटिव को ब्लड की जरूरत पड़ थी। उस समय ब्लड बैंक नहीं था ऐसे में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में उन्होंने ब्लड डोनेट किया। इसके बाद वह समय-समय पर ब्लड डोनेट करते रहे। 2005 से वह हर तीन महीने पर गुरु गोरक्षनाथ ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट करते रहे। साल 2022 में डाक्टर्स ने उनकी उम्र अधिक होने पर उनके ब्लड देने पर रोक लगा दी।

जगनैन सिंह नीटू

78 बार डोनेशन

जगनैन ने 1992 में की ब्लड डोनेट करने की शुरुआत

सिटी के रहने वाले उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के सदस्य जगनैन सिंह नीटू ने ब्लड डोनेट करने की शुरुआत 1992 में की थी। इसके बाद से वह निरंतर ब्लड डोनेट करते हुए अबतक 78 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। एक साल पहले उनकी तबीयत खराब हो गई थी, जिसके बाद वह पिछले ब्लड डोनेट नहीं कर पा रहे थे, लेकिन शुक्रवार को ब्लड डोनेशन डे पर वह फैमिली के साथ ब्लड डोनेट करेंगे।

शिवाम्बुज पटेल, ट्रैफिक कांस्टेबल

21 बार डोनशन

ट्रैफिक पुलिस के एक सिपाही ने अपना खून देकर एक मासूम की जान बचाई। मासूम का ब्लड ग्रुप बी-निगेटिव है। यह रेयर ब्लड ग्र्रुप है। ब्लड बैंक में इस ग्रुप का ब्लड नहीं था। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में तीन दिन का मासूम भर्ती हैं। मासूम की जान को बचाने के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन करना था। इसके लिए रेयर ग्रुप बी नेगेटिव की एक यूनिट की जरूर थी। परिजनों ने सभी ब्लड बैंकों से संपर्क किया। कहीं भी ब्लड उपलब्ध नहीं था। परिजनों ने इसके लिए पुलिस से संपर्क किया। सूचना ट्रैफिक पुलिस में कांस्टेबल शिवाम्बुज पटेल को मिली। उन्होंने तत्काल कंट्रोल रूम को बताया कि वह ब्लड ग्रुप उनका है। इसके बाद उन्होंने पास के ब्लड बैंक पहुंचकर रक्तदान किया। देर शाम को मासूम को ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। इतना ही नहीं एक अनजान मरीज ऑपरेशन होना था लेकिन ब्लड नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से उसका ऑपरेशन रोक दिया गया था। इसकी जानकारी कांस्टेबल शिवाम्बुज पटेल को मिली। वह एक दिन का अवकाश लेकर लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल पहुंचे और रक्तदान कर मरीज की जान बचाई। अभी तक उन्होंने 21 बार ब्लड डोनेट कर कई मरीजों की जान बचाई हैं और दूसरे को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं।

बेतहाशा बढ़ रही डिमांड

नई-नई बीमारियों के हमले और हादसे की बढ़ती संख्या के कारण साल दर साल सिटी में ब्लड की डिमांड बढ़ती जा रही है। मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से हर साल 23255 यूनिट ब्लड की डिमांड बढ़ गई हैं जबकि ब्लड डोनर्स की संख्या भी बढ़ रही है। बस जरूरत है तो आपको भी इसमें नाम जोडऩे की। क्योंकि ब्लड को किसी फैक्ट्री में बनाया नहीं जा सकता है। हमारे आपके ब्लड डोनेट करने से जरूरत पूरी होगी। यह कभी भी किसी को भी पड़ सकती है। इसलिए ब्लड डोनेट करते रहे। 14 जून को ब्लड डोनर डे हैं। आप भी रक्तदान कर किसी जान बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

इनको सबसे ज्यादा जरूरत

-एक्सीडेंट सर्जरी

-एनीमिया

-डायलिसिस में

-थैलेसीमिया

-हार्ट सर्जरी में

-अन्य मेजर सर्जरी

20 हजार यूनिट हर साल मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक में ब्लड की डिमांड

3255 यूनिट हर साल जिला अस्पताल ब्लड बैंक में ब्लड की डिमांड