गोरखपुर (ब्यूरो)। अपना ख्याल रखना, वकील साहब बोले हैं कि एक दो महीने में जमानत हो जाएगी। ये बातें जेल में एक बंदी के पास आई चिट्ठी में लिखीं थी। 5जी, जी-मेल, वॉट्सएप के जमाने में जहां चिट्ठी, पोस्ट बॉक्स का अस्तित्व खत्म हो चुका है, वहीं दूसरी तरफ जेल में आज भी चिट्ठियां लिखने का प्रचलन जिंदा हैं।

जेल में लगा है पीसीओ

गोरखपुर जेल में बंदियों को घर पर बात कराने के लिए पीसीओ लगाया गया है। लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए बंदियों को सख्त नियमों से गुजरना होता है। एक बंदी सप्ताह में चार बार अपने घरवालों से बात कर सकता है। इसके पहले उसे घर के दो नंबर देने होते हैं। जेल प्रशासन पुलिस की मदद से उन नंबरों की वेरिफिकेशन कराता है। इसके बाद बंदी पीसीओ की सुविधा का लाभ उठा सकता है।

सैकड़ों बंदी नहीं पूरी कर पाते फॉर्मेल्टी

जेल के पीसीओ का लाभ उठाने के लिए तमाम फॉर्मेल्टी करनी पड़ती है। जिसको सैकड़ों बंदी पूरा भी नहीं कर पाते हैं। उनको चिट्ठी लिखना आसान लगता है। बंदी जेल में मिलने आए परिचितों के माध्यम से भी चिट्ठियां भेजा करते हैं। टमाटर, प्याज, ब्रश, मंजन, तेल से लेकर जरूरत के सामानों की भी डिमांड चिट्ठी के जरिए परिवार वालों से की जा रही है।

चिट्ठी की जांच करते हैं जेलर

नियमानुसार बंदियों द्वारा जो भी पत्र लिखा जाता है, उसे भेजने का काम जेल प्रशासन करता है। जेलर अरूण कुमार ने बताया कि बंदियों द्वारा लिखी गई चिट्ठियों की पहले हम लोग जांच करते हैं फिर उसपर टिकट लगाकर आगे भेजते हैं। उन्होंने बताया कि पहले तो एक दिन में सैकड़ों चिट्ठियां हम लोगों के पास आती थीं। जेल के कई कर्मचारियों की ड्यूटी केवल चिट्ठियां पढऩे के लिए लगाया जाता था। अब यह प्रचलन पहले से थोड़ा कम हुआ है।

एलआईयू करती है विदेशी बंदी की चिट्ठी की जांच

ये बता दें कि जेल में विदेशी या दूसरी भाषा में आए पत्र एलआईयू के पास भेजे जाते हैं। एलआईयू की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने पर उस पत्र को आगे बढ़ाया जाता है। विदेशी बंदी आज भी चिट्ठियों की मदद से घर का हाल चाल जान पाते हैं।

जेल में बंद हैं 3 विदेशी

वर्तमान समय में जेल में 3 विदेशी बंदी बंद हैं। जिसमे एक पाकिस्तान, दूसरा बांग्लादेश और तीसरा बंदी अमेरिका का निवासी है।

नए मैन्युअल में भी चिट्ठी को ग्रीन सिग्नल

हाल ही में जेल का नया मैन्युअल आया है। जिसमे चिट्ठी प्रथा को ग्रीन सिग्नल दिया गया है। चि_ियों के आदान-प्रदान में कोई रोक नहीं लगाई है।

जेल में बंदियों का आकड़ा

कुल बंदियों की संख्या - 1967

अंडर ट्रॉयल बंदी - 1597

सजायाफ्ता पुरूष बंदी - 370

महिला बंदियों की संख्या - 110

सजायाफ्ता महिला बंदी - 27

अंडर ट्रायल महिला बंदी - 83

बैरक की संख्या - 29

जेल में बंदियों के घर जाने वाली और वहां से आने वाली चिट्ठियों की पहले जांच होती है। इसके बाद उसे आगे बढ़ाया जाता है। जेल में बहुत से बंदी हैं, जिनके घर पर नंबर भी नहीं है। वह पीसीओ का इस्तेेमाल नहीं कर पाते हैं। विदेशी बंदी भी पत्र के माध्यम से ही घर का हाल चाल जान पाते हैं।

- दिलीप कुमार पाण्डेय, जेल अधीक्षक