- ढाई दशक पहले आंकड़ा में थे 2000 यूरिनल, अब ढूंढे नहीं मिलते
- नगर निगम के आंकड़े और धरातल में कोई मेल नहीं
GORAKHPUR: नगर निगम में विकास की गाड़ी को रिवर्स गियर लग गया है। ढाई दशक पहले जब सिटी निगम बना था तब यहां करीब 2000 यूरिनल थे लेकिन अब जबकि सिटी की पॉपुलेशन व मार्केट में भीड़ बढ़ती चली गई, ये लापता ही हो गए। अब तो सिटी के जिस भी मार्केट में चले जाइए, यूरिनल ढूंढे नहीं मिलते। शहर के पुराने लोगों की मानें तो सिटी के हर मार्केट में कम से कम 2-3 यूरिनल थे, वही अभी उन्हीं बुजुर्गो को इन मार्केट में एक भी यूरिनल नहीं दिखता। इस कारण लोगों को जहां-तहां भटकना पड़ता है।
गंदगी ने ले ली 'जान'
शुरू में जब मार्केट में यूरिनल बना तो लोगों को लगा कि अब गंदगी से निजात मिल जाएगी। रेती चौक के व्यापारी रामानंद जायसवाल का कहना है कि 1995 के लगभग मदीना मस्जिद के पास और रेती चौराहा पर एक यूरिनल बना। तब नगर निगम के कर्मचारी डेली सफाई भी करते थे, लेकिन धीरे-धीरे सफाई कर्मियों ने सफाई करना बंद कर दिया और वहां पर गंदगी फैलने लगी। हालत यह हुई कि जिस यूरिनल के बनने से गंदगी कम हो गई थी, धीरे-धीरे गंदगी ने ही यूरिनल की जान ले ली। कई बार पार्षद को सफाई करने को कहा जाता है तो वह यही कहते हैं कि हम मोहल्ले की सफाई कराएं कि यूरिनल की।
सुरभ शौचालयों की दशा ठीक नहीं
शहर में यूरिनल की तो कमी है ही, सुलभ शौचालयों की भी दशा बहुत अच्छी नहीं है। शहर में कुल 84 सुलभ शौचालय हैं, जिनमें वर्तमान में देखते तो केवल 50 ही सुलभ शौचालय हैं जो सही हैं, जबकि 34 सुलभ शौचालय ऐसे हैं, जिनमें लोग जाने की बात कौन कहे, उसकी तरफ देखते ही नहीं है। कई ऐसे सुलभ शौचालय हैं, जिन पर इन दिनों अवैध कब्जा हो चुका है। अली नगर और दिलेजाकपुर के सुलभ शौचालय को देखकर कोई बता ही नहीं सकता है कि यह यहां पर शौचालय होगा। अली नगर के सुलभ शौचालय में कबाडि़यों ने कब्जा कर दिया है तो दिलेजाकपुर में घर बना लिया गया है। वहीं हावर्ट बंधे पर बना सुलभ शौचालय कब गिर जाए कहा नहीं जा सकता है।
नगर निगम : एक नजर
एरिया- 147 वर्ग किमी
वार्ड- 70
आबादी- 6.72 लाख
मार्केट- 50 के लगभग
मार्केट में आने वाले लोग- लगभग 8 आठ लाख
बाहर से आने वाले कस्टमर- लगभग 2 लाख