- नगर निगम ने नदियों में ही बहा दिया विजर्सन के लिए बने पोखरे का जहरीला पानी
- दुर्गा और लक्ष्मी प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद नहीं हुई थी सफाई
- सिर्फ राप्ती ही नहीं, इससे जुड़ी बाकी नदियों पर भी खतरा
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syedsaim.rauf@inext.co.in
नदियों को पॉल्यूशन फ्री रखने और पोखरों में प्रतिमाएं विसर्जन करने के लिए हुई पहल और सारी कवायद बुधवार को धराशायी हो गई। पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के नियम की धज्जियां उड़ाते हुए नगर निगम ने पहले तो विसर्जन के बाद 48 घंटों के अंदर पोखरों की सफाई नहीं कराई। उसके बाद रही-सही कसर पोखरों का जहरीला पानी नदियों में छोड़कर पूरी कर दी। इसके साथ ही राप्ती और जहरीली हो गई।
डूब गए लाखों
नदियां गंदी न हों और उसके एक्वेटिक प्लांट्स और एनिमल्स को खतरा न हो, इसलिए कोर्ट ने नदियों में विसर्जन पर रोक लगाई थी। इस पर अमल कराते हुए जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाई और प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए राप्ती नदी के पास तीन पोखरों की व्यवस्था कराई। यहां की व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त कराने के साथ ही साफ-सफाई और लाइटिंग की व्यवस्था करने में नगर निगम ने करीब दो लाख रुपए खर्च कर दिए।
विसर्जन के बाद नहीं हुई सफाई
दुर्गा और लक्ष्मी प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद से अब तक नगर निगम ने पोखरों की सफाई ही नहीं कराई। दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद थोड़ा बहुत कोरम पूरा हुआ, लेकिन इस दौरान एक पोखरे से ही मलबा निकला, जबकि बाकी बने दो पोखरों से मलबे भी ठीक तरह से नहीं निकाले जा सके। इसकी वजह से राजघाट पुल के पास बने सभी पोखरे काफी जहरीले हो चुके हैं। इसकी अहम वजह प्रतिमाओं में इस्तेमाल किया गया टॉक्सिक पेंट और केमिकल है। आर्टिफिशियल पॉन्ड होने की वजह से एक्वेटिक प्लांट भी नहीं थे, जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड का लेवल बढ़ गया।
कचरा बीनते रहे नन्हें-मुन्ने
पोखरों से पानी निकालकर नदियों में डाला जा रहा था। वहीं दूसरी ओर आस-पास की झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले नन्हें-मुन्ने बच्चे वहां मलबा खंगाल रहे थे। इससे जहां उनके ऊपर टॉक्सिक वॉटर होने की वजह से खतरा मंडरा रहा था, वहीं दूसरी ओर लगातार इस जहरीले पानी के कॉन्टैक्ट में रहने से उनकी स्किन और बॉडी पर भी खतरा बना हुआ था। इसके बाद भी वहां कोई भी जिम्मेदार देखरेख के लिए नहीं था, जिससे इस खतरे को दूर किया जा सके।
पेंट में होते हैं यह होते हैं केमिकल
लेड
कॉपर
क्रोमियम
निकिल
कोबाल्ट
कैडमियम
टॉक्सिक एलिमेंट्स
ऐसे गंदा होता है पानी
- मूर्तियों में इस्तेमाल किए जाने वाले पेंट्स पानी में घुल जाते हैं और पानी का टॉक्सिक बना देते हैं।
- फूल-पत्तियां जो सड़ सकते हैं, तो इसकी वजह से ऑर्गेनिक मैटर कंटेंट बढ़ता है
- ऑर्गेनिक मैटर डिकम्पोज होता है, तो बैक्टेरियल ग्रोथ होती है, तो पानी को दूषित करती है।
- डिकम्पोजिशन के दौरान डिजॉल्व ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है। इससे ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और कॉर्बन डाईऑक्साइड बढ़ने लगती है।
यह हो सकती है प्रॉब्लम
- वाइटल सिस्टम, सर्कुलेटरी सिस्टम, कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम, नर्वस सिस्टम पर प्रभाव
- स्किन रिलेटेड डिजीज
- फूड चेन के माध्यम से टॉक्सिसिटी सर्कुलेट होती है, उसकी भी दिक्कत हो सकती है।
- ग्राउंड वॉटर में मिलता है, तो इससे पेट से जुड़ी दिक्कत हो सकती है।
- आर्टिफिशियल कलर्स और डाई में टॉक्सिक एलिमेंट्स काफी तादाद में होते हैं।
वर्जन
पोखरे के किनारे को किसी ने काट दिया था। इसकी वजह से उसका सारा पानी नदी में चला गया। जैसे ही सूचना मिली तो मैंने तत्काल मौके पर कर्मचारियों को भेजकर बंद करवाया है।
- डॉ। सत्या पांडेय, मेयर