GORAKHPUR : एक ओर विश्व के सबसे लंबे प्लेटफॉर्म से एनईआर सीसीएम एसी लाठे इंडिया की पहली सुविधा ट्रेन को हरी झंडी दिखा रहे थे। वहीं दूसरी तरफ असुविधाओं से भरा स्टेशन पूरे रेलवे को मुंह चिढ़ाता दिखा। इस खास मौके पर आई नेक्स्ट ने एनई रेलवे की ओर से स्टेशन पर मिल रही सुविधाओं का जायजा लिया तो सुविधा कम और असुविधा ज्यादा नजर आई।
अंधेरे से होता है वेलकम
वर्ल्ड के लांगेस्ट प्लेटफॉर्म वाले रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर्स का वेलकम अंधेरे से होता है। मेन गेट से लेकर वीआईपी गेट तक सिर्फ अंधेरा पसरा रहता है। हालांकि रेलवे ने परिसर को रोशन करने के लिए चार हाईमास्क लगा रखे हैं, मगर सभी की हालत खराब है। एक पूरी तरह बंद है तो दो हाईमास्क में सिर्फ एक लाइट ही जल रही है। वहीं अधिकांश प्लेटफॉर्म पर भी जगह-जगह अंधेरा पसरा था, मगर देखने वाला कोई नहीं था।
पुल पर वाटरलॉगिंग, गंदगी
पैसेंजर्स को वर्ल्ड क्लास स्टेशन की सुविधा मुहैया कराने का दावा करने वाले एनई रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन की पोल बारिश ने खोल दी। प्लेटफॉर्म के ऊपर से जाने वाले पैदल पुल पर जलजमाव था। इससे आने वाले पैसेंजर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही बच्चे कीचड़ होने से उसमें फिसल कर चोटिल भी हो रहे थे। वहीं, स्टेशन पर जीएम को सुविधा ट्रेन का इनॉगरेशन करना था। इसके चलते स्वच्छता अभियान जोरों से चल रहा था, मगर इस अभियान का इफेक्ट सिर्फ प्लेटफॉर्म नं। एक और दो पर ही नजर आया। बाकी के प्लेटफॉर्म पर गंदगी का अंबार लगा था। कई प्लेटफॉर्म पर तो लोगों ने गढ्डे को ही गंदगी से पाट दिया था। इन प्लेटफॉर्म पर छिटपुट गंदगी मिलना तो आम है।
नहीं है आवारा जानवरों पर रोक
वर्ल्ड के लांगेस्ट प्लेटफॉर्म पर पैसेंजर्स को सीऑफ करने के लिए 10 रुपए का प्लेटफॉर्म टिकट ख्ररीदना होगा, मगर आवारा जानवरों के लिए कोई रोक नहीं है। कुत्तों का इस कदर साम्राज्य है कि वे प्लेटफॉर्म नंबर एक से लेकर 9 के बीच कहीं भी बैठे नजर आ जाएंगे। कई बार तो वे पैसेंजर्स के बीच ही सोते नजर आते हैं तो कई बार उन्हें भगाने के चक्कर में पैसेंजर्स उनके शिकार हो जाते हैं। मंडे को भी सभी अधिकारियों के होश उड़े थे, मगर ये कुत्ते प्लेटफॉर्म नं। दो पर ही आराम फरमा रहे थे। जबकि इसी प्लेटफॉर्म से सुविधा ट्रेन रवाना होनी थी।
खस्ताहाल प्लेटफॉर्म
वर्ल्ड के लांगेस्ट प्लेटफॉर्म के अलावा रेलवे स्टेशन के अन्य सभी प्लेटफॉर्म की हालत खस्ताहाल है। न बैठने की सुविधा है और न ही सफाई की। कई प्लेटफॉर्म पर तो गढ्डों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि पैसेंजर्स को चलने में प्रॉब्लम होती है। सबसे अधिक प्रॉब्लम ट्रेन में चढ़ते समय पैसेंजर्स को फेस करनी पड़ती है। कई बार गढ्डे में पैर फंस कर पैसेंजर्स गिर भी जाते हैं और उन्हें मोच भी आ जाती है।