- जिला प्रशासन से जेल अधिकारियों ने मांगी सुरक्षा
- बवाल के बाद बंदियों से मिलने के लिए लग रही भीड़
GORAKHPUR: मंडलीय कारागार में रविवार को हालात सामान्य रहे। घटना के चौथे दिन बंदी रक्षक बैरकों में पहुंचे। रोजाना की तरह बैरक खुले। उधर, जेल में बवाल की सूचना से मुलाकाती बढ़ गए हैं। कुछ बंदियों को उनके परिजनों ने बवाल में न पड़ने की सलाह भी दी है। उधर, जेलर और डिप्टी जेलर ने जानमाल के खतरे की आशंका जताते हुए जिला प्रशासन से सुरक्षा मांगी है। इसको लेकर वरिष्ठ जेल अधीक्षक की और से डीएम को पत्र भेजा गया है।
बवाल के बाद सब सहमे
जेल में मोबाइल फोन जब्त करने को लेकर गुरुवार को जमकर बवाल हुआ था। आजीवन कारावास के कैदी सूरजभान की मौत के बाद बंदियों ने जमकर बवाल काटा। कैदियों ने दो बंदी रक्षकों को बंधक बनाकर तीन लोगों पर जानलेवा हमला किया था। बंदियों ने जेल पर कब्जा करके पुलिस-प्रशासन को हलकान कर दिया था। तोड़फोड़, आगजनी और पथराव से जेल के भीतर की व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी। बंदी रक्षकों ने काम करने से मना किया तो भूचाल आ गया। जेल अधिकारियों ने किसी तरह से उनको समझाबुझाकर शांत कराया। लेकिन बंदी रक्षक बैरकों में जाने से कतराते रहे इसलिए व्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकी। तीन दिनों तक जैसे-तैसे काम चलता रहा। रविवार को कुछ बंदी रक्षक बैरकों में गए लेकिन अब भी सभी सहमे हुए हैं।
जेल अधिकारियों ने मांगी सुरक्षा
जानमाल की धमकी को देखते हुए जेल अधिकारियों ने जिला प्रशासन से सुरक्षा मांगी है। जेल में सख्ती बरतने पर जेलर डॉ.आरके सिंह, डिप्टी जेलर प्रणय सिंह, देवदर्शन सिंह निशाने पर आ गए हैं। कुछ बंदियों ने उनको गंभीर परिणाम भुगतने को कहा था। इसके पहले भी जेल अधिकारियों, कर्मचारियों पर हमले हो चुके हैं। इसलिए धमकी ने अधिकारियों की टेंशन बढ़ा दी है। जिला प्रशासन को पत्र भेजकर जेल अधिकारियों ने सुरक्षा मांगी है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक एसके शर्मा ने पत्र भेज दिया है ताकि जेल अधिकारियों को अलग से सुरक्षा दिलाई जा सके।
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बंदियों की बढ़ गई मुश्किलें
बवाल की वजह से जेल की प्रशासनिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। चार दिनों से अधिकारी रूटीन का कोई काम नहीं कर सके हैं। माहौल शांत कराने की कोशिश में लगे अधिकारी दिनचर्या के कामों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। उधर, जांच के लिए मांगे जा रहे दस्तावेजों को जुटाने के चक्कर में बंदियों से जुड़े कामकाज की फाइलें अटक गई हैं। बंदियों के पेरोल पर छोड़े जाने, बुजुर्ग कैदियों की रिहाई, जेल में सुविधाओं को बढ़ाने जाने से संबंधित कामकाज पर असर पड़ा है। जेल अधिकारियों का कहना है कि व्यवस्था पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है।
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जांच के लिए आएंगे आईजी एसटीएफ
जेल में मोबाइल चलने की जांच एसटीएफ के आईजी करेंगे। सोमवार को उनके गोरखपुर पहुंचने की संभावना है। आईजी के अलावा जिला प्रशासन की ओर से नामित एडीएम सिटी और एसपी सिटी भी इस मामले की जांच कर रहे हैं। जांच अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर जेल में जंगलराज कायम करने वाले बंदियों, जेल कर्मचारियों पर आरोप तय होगा। माना जा रहा है कि इसका खामियाजा कई लोगों को भुगतना पड़ेगा। इसको लेकर भी गहमा-गहमी बनी हुई है।