- डर से बैरकों में नहीं जा रहे जेलर, बंदी रक्षक
- अंदर लोहे की रॉड, ईंट-पत्थर जुटा रहे बंदी
GORAKHPUR: मंडलीय कारागार में बंदी रक्षकों को बंधक बनाने, जानलेवा हमले और बवाल के तीन दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं हो सके हैं। बैरकों के भीतर रॉड, ईंट-पत्थर जमा होने की सूचना से जेल स्टॉफ भीतर जाने का साहस नहीं जुटा पा रहा है। तीन दिनों से माफिया बंदियों के हवाले पूरी जेल है। गैस पाइपलाइन पर बवाली बंदियों के काबिज होने से हर पल बड़ी घटना की आशंका बनी हुई है।
कार्रवाई रोकने को हुए लामबंद
मंडलीय कारागार में गुरुवार को बवाल हुआ था। मोबाइल की तलाशी लेने से नाराज माफिया बंदियों ने जेल कर्मचारियों पर हमला कर दिया। बंदियों ने बंदी रक्षकों को बंधक बनाकर पिटाई की। हमले में तीन बंदी रक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए। शुक्रवार को किसी तरह हालात सामान्य करने की कोशिश की गई लेकिन मामला नहीं बन सका। बवाल के बाद होने वाली कार्रवाई रोकने लिए बंदी लामबंद हो गए हैं। इसलिए परिसर में लगी लोहे की पाइप तोड़कर बंदियों ने जमा कर लिया है। कुछ जगहों पर ईंट-पत्थर इकट्ठा होने की बात सामने आई है।
कभी-कभार जा रहे दो अधिकारी
हमलावर बंदियों के निशाने पर जेलर डॉ। आरके सिंह, डिप्टी जेलर देवदर्शन और प्रणव हैं। इन अधिकारियों के अलावा कुछ बंदी रक्षक भी टारगेट पर आ गए। बैरकों में खतरा भांपकर जेलर, डिप्टी जेलर और बंदी रक्षक भीतर नहीं जा रहे हैं। तीन दिन से डीआईजी जेल और जेल अधीक्षक कभी-कभार भीतर जा रहे हैं। लेकिन हालात सामान्य करने के लिए वह लोग बात नहीं कर पा रहे। इसे लेकर कई सवाल खड़े होने लगे हैं।
बंदियों के इशारे पर जेल प्रशासन
जेल में बवाल के बाद से बैरकों के भीतर हालात सामान्य नहीं हो सके हैं। बंदियों के खाने-पीने की दिक्कतों को देखते हुए माफिया बंदियों ने भंडारा का इंतजाम अपने हाथ में ले लिया है। रसोई में ड्यूटी करने वाले बंदी माफियाओं के कहे अनुसार भोजन पका रहे हैं। हालत यह हो गई है कि उनकी हर मांग पूरी करने की कोशिश की जा रही है। वहीं, बड़ी घटना के बाद लखनऊ से किसी अफसर का ना पहुंचना लोगों को खटक रहा है।
वर्जन
बंदियों से बातचीत की जा रही है। माफिया बंदियों के साथ संवाद चल रहा है। सभी बंदी शांति बनाए हुए हैं।
- एसके शर्मा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक