- बिजली विभाग में तरह-तरह की गड़बड़ी दिखाकर काटा जा रहा कनेक्शन

- कनेक्शन जोड़ने के नाम पर कंज्यूमर्स से वसूल किए जा रहे 300 से 500 रुपए तक

- अक्टूबर में चेक से बिल जमा करने वालों के साथ हो गया खेल

GORAKHPUR: बिजली विभाग ने अपनी ऊपरी कमाई के खेल को खामी का नाम दे दिया है। कभी ऑनलाइन सिस्टम में खामी के कारण बिल अपडेट नहीं होने की बात कही जाती है तो कभी कुछ। बिल जमा करने के बाद भी बकाए में लोगों की बिजली काट दी जाती है और उसके बाद कनेक्शन जोड़ने के नाम से 300 से लेकर 500 तक वसूल किए जाते हैं। इस बार निशाने पर शहर का व्यापारी वर्ग है। अक्टूबर माह में जिन लोगों ने चेक से बिल जमा किए हैं, उनका बिल ऑनलाइन नहीं शो कर रहा। वे अब भी बकाएदार ही शो कर रहे हैं और उनकी बिजली काटकर फिर जोड़ने के नाम पर पैसे वसूल किए जा रहे हैं। बड़े अधिकारी भी विभाग में चल रहे इस खेल पर चुप हैं।

देने ही पड़ गए 300 रुपए

धर्मशाला बाजार निवासी एक कंज्यूमर ने अक्टूबर माह में बिल का पेमेंट चेक से किया। लेकिन उसका कनेक्शन काट दिया गया। इसके बाद उसने चेक से बिल जमा करने की जानकारी अपने एरिया के जेई और एसडीओ को दी। उसके बाद दोनों अधिकारियों ने कनेक्शन जोड़ने का आदेश दिया। लेकिन आदेश के बाद भी शाम 5 बजे तक जब कनेक्शन नहीं जुड़ा तो कंज्यूमर फिर विभाग गया। वहां उससे खर्चे की मांग की गई। पहले 500 रुपए की मांग हुई। किसी तरह 300 रुपए में कर्मचारी माने और कनेक्शन जोड़ा।

15 हजार लोग करते चेक से पेमेंट

बिजली विभाग के आंकड़ों की मानें तो हर माह 12 से 15 हजार कंज्यूमर्स चेक से बिल जमा करते हैं। इनमें 90 प्रतिशत व्यापारी होते हैं जबकि सिर्फ 10 प्रतिशत सामान्य कंज्यूमर्स होते हैं। विभाग के कुछ अधिकारी-कर्मचारी इसी का लाभ उठा रहे हैं। चूंकि व्यापारियों के पास इतना समय नहीं होता कि वे विभाग की कारगुजारियों पर बहस करें या कर्मचारियों से लड़ें। साथ ही तीन-चार सौ रुपए उनके लिए मामूली रकम होती है। इसलिए वे अपनी गलती नहीं होते हुए भी परेशानी से बचने के लिए आसानी से रुपए देकर फिर कनेक्शन जुड़वा लेते हैं।

सभी को है जानकारी

बिजली विभाग में ऊपरी कमाई के लिए चल रहे खेल की जानकारी ऊपर से लेकर नीचे तक सभी को पता है लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता। बड़े अधिकारी भी चुप हैं। इस चुप्पी की वजह कुछ भी समझिए लेकिन यदि अधिकारी कुछ बोल नहीं रहे तो कुछ वजह तो जरूर है। बिजली विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह पूरा खेल अक्टूबर 2015 के बाद से शुरू हुआ है। उसी समय विभाग के कंप्यूटर में गड़बड़ी आई थी, उसी दौरान बकाएदारों की लिस्ट निकली और उसके बाद अपडेट लिस्ट बिना निकाले ही पुरानी लिस्ट पर बिजली काटने का काम चलता रहा।

केस नं 1

असुरन चौराहे पर चाय की दुकान चलाने वाले रवि जायसवाल के वहां 26 हजार रुपए का बकाया था। उन्होंने 13 हजार रुपए चेक से जमा कर दिया। 10 दिन बाद उनके वहां टीम पहुंच गई। उन्होंने 13 हजार रुपए की रसीद भी दिखाई लेकिन तब भी टीम ने कनेक्शन काट दिया। उसके बाद से वह अपने चेक जमा किए जाने के सबूत को लेकर ऑफिस में दौड़ रहे हैं।

केस नं 2

मोहद्दीपुर के किराना व्यापारी के वहां 34 हजार रुपए बकाया था। उन्होंने चेक से 30 हजार रुपए जमा कर दिया और रसीद भी मिल गई। लेकिन उनके घर की बिजली बकाया बताते हुए काट दी गई। वह तीन दिन लगातार मोहद्दीपुर ऑफिस दौड़े, उसके बाद उनके रसीद को सही मानते हुए कनेक्शन जोड़ा गया, लेकिन अभी भी उनके वहां का बकाया शो हो रहा है।

वर्जन