- प्राइवेट पैथोलॉजी के केस को आंकड़े में शामिल नहीं करता जिला अस्पताल
- प्राइवेट पैथॉलोजी मिलाकर एक हफ्ते में 250 मरीजों में डेंगू की पुष्टि, सरकारी अस्पताल का आंकड़ा सिर्फ 12 का
GORAKHPUR: शहर के अस्पताल डेंगू के पेशेंट से भर गए हैं लेकिन स्वास्थ्य प्रशासन अभी भी 12 पेशेंट में ही डेंगू बताकर अपनी नाकामियां छुपाने में लगा हुआ है। हालत यह है कि अभी तक 250 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। वहीं हेल्थ डिपार्टमेंट सिर्फ गवर्नमेंट हॉस्पिटल में आए पेशेंट की ही गिनती कर डेंगू पेशेंट की संख्या सिर्फ 12 बता रहा है। वह प्राइवेट पैथॉलोजी में हुई जांच को मान ही नहीं रहा। जबकि प्राइवेट पैथोलॉजी में भी एलाइजा से लेकर बेहतरीन टेक्नॉलोजी पीसीआर से ब्लड सैंपल की जांच की जा रही है।
हर रोज 35 मरीज
हर रोज ग्रामीण व शहर के 35 मरीज जांच के लिए आ रहे हैं। एक हफ्ते में प्राइवेट पैथॉलोजी में लगभग 250 मरीजों में डेंगू के पाए गए हैं। वहीं जिला अस्पताल में अब तक 72 मरीजों की जांच हो चुकी है जिसमें 12 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। अस्पताल प्रशासन सिर्फ इसी आंकड़ों को मान रहा है। एक तरफ डेंगू के पेशेंट की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है वहीं स्वास्थ्य महकमा अभी भी अपने 12 पेशेंट के आंकड़ों के साथ लापरवाह बना हुआ है।
पहले लिए जाते थे आंकड़े
शहर के मेन पैथॉलोजी में होनी वाले डेंगू के आंकड़ों की डिटेल पहले हेल्थ डिपार्टमेंट मंगवाता था लेकिन इस पर रोक लगा दी गई। अब स्वास्थ्य प्रशासन इस आंकड़े को मानता ही नहीं है। इसके पीछे खेल यही है कि रोग की भयावहता सामने नहीं आती और स्वास्थ्य महकमा अपनी नाकामियों को छुपा ले जाता है।
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यहां तो करते हैं इंतजार कि हो जाएं बीमार
हेल्थ डिपार्टमेंट व नगर निगम की संयुक्त टीम पर सफाई, फागिंग और दवा के छिड़काव का जिम्मा है लेकिन ये अपनी जिम्मेदारी से हमेशा ही भागते रहते हैं। किसी पेशेंट को डेंगू की पुष्टि होने के बाद टीम उस एरिया में खानापूर्ति करने जाती है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि डिपार्टमेंट की लापरवाही का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। महानगर में साफ-सफाई, फॉगिंग और दवाइयों का छिड़काव नहीं होने की वजह से डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। लेकिन जिम्मेदार सचेत नहीं हो रहे।
मौत के बाद हड़कंप
गोरखपुर राप्तीनगर के रहने वाले व सामाज कल्याण के संयुक्त निदेशक महेंद्र प्रताप सिंह की लखनऊ में मौत हो गई। वे डेंगू से पीडि़त थे। इस सूचना के बाद गोरखुपर के हेल्थ डिपार्टमेंट में हड़कंप मच गया। स्वास्थ्य महकमा उनके मोहल्ले में सफाई, फागिंग और दवाइयों का छिड़काव करवाने जा पहुंचा लेकिन यही विभाग इसके पहले इस एरिया में सफाई के लिए नहीं पहुंचा। पिछले साल संगम चौराहा स्थित एक शिक्षिका की भी डेंगू से मौत होने के बाद ही स्वास्थ्य महकमा और नगर निगम की टीम हरकत में आई थी।
वर्जन
प्राइवेट पैथॉलोजी डेंगू की जांच कार्ड से करते हैं। जिसकी जांच को हेल्थ डिपार्टमेंट नहीं मानता है। अगर वह एलाइजा टेस्ट कराते हैं तो उसे बिल्कुल माना जाएगा। प्राइवेट से रिकॉर्ड भी मंगवाए जाते हैं।
- डॉ। रविंद्र कुमार, सीएमओ
प्राइवेट में एलाइजा और पीसीआर से टेस्ट हो रहे हैं। उसमें भी संख्या पॉजिटिव आ रहे हैं। छोटे पैथॉलोजी में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसलिए वे कार्ड से जांच करते हैं।
- डॉ। अमित गोयल, पैथोलॉजिस्ट, लाइफ लाइन
ऐसा हो तो तुरंत दिखाएं डॉक्टर को
- तेज बुखार जो 3 से 7 दिन तक बना रहे।
= जी मिचलाए या उल्टी हो।
-सर, ऑखों, बदन जोड़ों में दर्द हो।
-शरीर में लाल चक्कते पड़ जाए।
-भूख न लगे।
्र-चिड़चिड़ापन महसूस हो।
-ब्लड प्रेशर में गिरावट आए।
- डेंगू की गंभीर स्थिति में ऑख या नाक से खून आता हो।
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डेंगू से बचाव
-घर में और घर के आस-पास पानी एकत्र न होने दें।
-आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें।
-यदि घरों में बर्तन में पानी भर कर रखते हैं तो उसे ढक कर रखें।
-खाली बर्तन को कोशिश करे की ढक कर रखें।
-कूलर, गमले का पानी रोज बदलते रहें यदि जरूरत न हो तो कूलर में पानी भर के न रखें।
-ऐसे कपड़े पहने जो शरीर के अधिकतम हिस्से को ढक कर रखें।
-घर में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।